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Kanshi Ram Jayanti 2024दलितों के जननायक रहे मान्यवर कांशीराम की जयंती आज

Kanshi Ram Jayanti : बहुजन समाज पार्टी की नीव रखी थी।

भारत में कई ऐसे व्यक्तित्व ने जन्म लिया है, जिन्होंने भारत की विचारधारा, समझ, और कमजोर वर्ग की लड़ाई के लिए अपना पूरा जीवन ही समर्पित कर दिया। ऐसे ही भारत में मान्यवर Kanshi Ram जैसे व्यक्तित्व ने जन्म लिया। जानकारी के लिए बता दें कि मान्यवर Kanshi Ram भारत के जाने माने राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे।

मान्यवर Kanshi Ram ने दलितों, पिछड़ों और सामाजिक रूप से हाशिए पर पड़े लोगों की लड़ाई लड़ी। मान्यवर Kanshi Ram ने इन लोगों के लिए अपना पूरा जीवन ही समर्पित किया था। Kanshi Ram ने अपने पूरे जीवन काल में दबे, कुचले, शोषित समाज के लोगों के लिए एक ऐसी जमीन तैयार की, जिससे आज इस समाज के लोग भी अपनी बात कह सकते हैं और अपनी हक की लड़ाई लड़ सकते हैं।

Kanshi Ram Jayanti 2024
दलितों के जननायक रहे मान्यवर कांशीराम की जयंती आज

हालांकि, Kanshi Ram ने समाज के लोगों के लिए न्याय के लिए कई रास्ते चुने, लेकिन इन सबमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण राजनीतिक पार्टी “बहुजन समाज पार्टी” की स्थापना रही। Kanshi Ram ने अपने पूरे जीवनकाल में सिर्फ पिछड़ों वर्ग की सामाजिक, आर्थिक उन्नति के लिए ही कार्य किया। कांशीराम ने पिछड़े वर्ग को संगठित और उन्हें सशक्त बनाने में ही अपने जीवन का लक्ष्य समझा। इसके लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन अविवाहित ही बीता दिया। आज जब मान्यवर कांशीराम जी की जयंती है तो आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी खास बातें:

Kanshi Ram Jayanti : मान्यवर कांशीराम का जन्म और उनकी शिक्षा दीक्षा

मान्यवर कांशीराम का जन्म पंजाब के रोरापुर के एक सिख रैदास परिवार में वर्ष 15 मार्च 1934 को हुआ था। कांशीराम के पिता हरी सिंहऔर माता बिशन कौर थे। कांशीराम के परिवार में दो भाई और चार बहनें थे। कांशीराम अपने सभी भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उनके पिता बहुत ज्यादा शिक्षित नहीं थे,लेकिन वो अपने सभी बच्चों को शिक्षित देखना चाहते थे। जानकारी के लिए बता दें कि कांशीराम अपने पूरे परिवार में सबसे पढ़े-लिखे व्यक्ति थे। कांशीराम ने B.Sc तक कि पढ़ाई की थी। इसके बाद कांशीराम ने वर्ष 1958 में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद पुणे में रक्षा उत्पादन विभाग में सहायक वैज्ञानिक के पद पर नियुक्त हुए।

Kanshi Ram Jayanti :  मान्यवर कांशीराम का राजनीतिक परिचय

कांशीराम नौकरी के साथ-साथ सामाजिक जीवन में भी सक्रिय भूमिका निभाते रहे। वर्ष 1965 में जब डॉ. भीम राव अंबेडकर की जयंती पर सार्वजनिक अवकाश रद्द करने की घोषणा हुई तो उन्होंने इसका खुलकर विरोध किया। इस घटना के बाद उनका मन काफी दुःखी हुआ। और, उन्होंने पिछड़ों, शोषितों के लिए संघर्ष करने का मन बनाया। कांशीराम ने संपूर्ण जातिवादी प्रथा और डॉ. अंबेडकर के कार्यों का काफी गहन अध्ययन किया। इसके बाद दलितों के उद्धार, उनके विकास के लिए कई प्रयास किए। इसके बाद वर्ष 1971 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ और अपने एक साथी के साथ मिलकर अनसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ी जाति और अल्पसंख्यक कर्मचारी कल्याण संस्था की स्थापना की।

Kanshi Ram Jayanti 2024
दलितों के जननायक रहे मान्यवर कांशीराम की जयंती आज

इस संस्था का पूना परोपकार अधिकारी कार्यालय में पंजीकरण कराया गया। जानकारी के लिए बता दें कि कांशीराम ने इस संस्था का गठन दलितों,पिछड़ों। दबे -कुचले व पीड़ित समाज के कर्मचारियों का शोषण रोकने के लिए गया था लेकिन इसका असली उद्देश्य लोगों को शिक्षित करना और जाति प्रथा के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागृत करना। इस संस्था से निकले विचारों का काफी गहरा असर हुआ और कांशीराम द्वारा चलायी गई मुहीम का असर हुआ कि उनके साथ काफी संख्या में लोग जुड़ते चले गए। जिससे इस संस्था ने काफी सफलता हासिल की।

इसके बाद कांशीरम यही नहीं रुके,उन्होंने वर्ष 1973 में अपने सहकर्मियो के साथ मिल कर BAMCEF (बेकवार्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीस एम्प्लोई फेडरेशन) की स्थापना की। जिसका पहला क्रियाशील कार्यालय सन 1976 में दिल्ली में शुरू किया गया। इस संस्था का आदर्श वाक्य था एड्यूकेट ओर्गनाइज एंड ऐजिटेट।

कांशीराम द्वारा बनाई गई इस संस्था का ने बाबा साहब के विचारों, और उनकी संदेशों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का काम किया। इस संस्था की मदद से कांशीराम और उनकी छवि काफी लोगों तक पहुंची जिससे इनका प्रचार तंत्र काफी मजबूत हुआ। इसके बाद कांशीराम ने लोगों को जाति प्रथा, भारत में इसकी उपज और अम्बेडकर के विचारों के बारे में जागरूक किया। वे जहाँ-जहाँ गए उन्होंने अपनी बात का प्रचार किया और उन्हें बड़ी संख्या में लोगो का समर्थन प्राप्त हुआ।

Kanshi Ram Jayanti 2024
दलितों के जननायक रहे मान्यवर कांशीराम की जयंती आज

कांशी राम ने अपने सामाजिक और राजनीतिक कार्यो के द्वारा पिछड़ी जातियों के लिए एक ऐसी बुलंद आवाज बनाई, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। निचली जाति के लोगो को एक ऐसी बुलंद आवाज़ दी जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। कांशीराम ने वर्ष में बहुजन समाज पार्टी  की नीव रखी। जिसने उत्तर प्रदेश और भारत की राजनीति की दिशा और दशा दोनों ही बदल कर रख दी। बहुजन समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश और अन्य उत्तरी राज्यों जैसे मध्य प्रदेश और बिहार में निचली जाति के लोगों को असरदार स्वर प्रदान किया।

Kanshi Ram Jayanti :  मान्यवर कांशीराम की मृत्यु

कांशी राम को मधुमेह और उच्च रक्तचाप की समस्या थी। 1994 में उन्हें दिल का दौरा भी पड़ चुका था। दिमाग की नस में खून का गट्ठा जमने से 2003 में उन्हें दिमाग का दौरा पड़ा। 2004 के बाद ख़राब सेहत के चलते उन्होंने सार्वजनिक जीवन छोड़ दिया।  करीब 2 साल तक शय्याग्रस्त रहेने के बाद 9 अक्टूबर 2006 को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।

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Rajesh Mishra
Writer at Hind Manch

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।

आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

By Rajesh Mishra

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं। आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

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