Kashi Vishwanath Dham : महाशिवरात्रि पर बम-बम हुआ काशी का माहौल
Kashi Vishwanath Dham में अपने पुराधिपति आदिदेव अड़भंगीनाथ भगवान विश्वनाथ शिव के विवाहोत्सव महाशिवरात्रि पर शुक्रवार को काशी बम-बम हो उठी। चारों ओर से श्रद्धालुओं का जत्था काशी पहुंच रहा था। जगह- जगह से शिव बरातें निकलीं, महंत निवास में मंगल गीतों के बीच विवाह की विभिन्न रस्मों के साथ बाबा विश्वनाथ व मां गौस के विवाह के लोकाचार हुए। पुलकित काशी का कण-कण ‘हर-हर महादेव’ का उद्घोष कर रहा था। ब्रह्म मुहूर्त से ही Kashi Vishwanath Dham में बाबा के दर्शन-पूजन का जो क्रम आरंभ हुआ तो देर रात तक जारी रहा। देर रात तक बाबा दरबार में 10,07,190 श्रद्धालु दर्शन कर चुके थे।
बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए Kashi Vishwanath Dham में गुरुवार आधी रात के बाद से ही भक्त कतारों में लग गए थे। रात 2:15 बजे मंगला आरती के बाद भोर में 3:30 बजे मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। महाशिवरात्रि व्रत पर्व पर पूरी काशी शिवमय रही। शुक्रवार को हर ओर से शिवबरातें निकलीं, जिसमें अभंगीनाथ, बम भोले शिव दूल्हा रूप में विराजित थे तो अनेक साधु- संत, देव-दानव, भूत, पिशाच, यक्ष, गंधर्व, किन्नर, सांप, बिच्छू का रूप धरे अड़भंगीनाथ के भक्तों की टोली के रूप में पूरी काशी साथ चल पड़ी।

बरातियों का जगह-जगह फल, मेवा, मिश्री, मिश्रांबु, भंग आदि से स्वागत किया गया। मैदागिन स्थित हरिश्चंद्र महाविद्यालय से निकली शिव बरात में 36गढ़, असम, उत्तराखंड व बरसाने की होली का दृश्य आकर्षण का केंद्र रहा। नाचते गाते भूत-प्रेत, पिशाच, अबीर-गुलाल व भस्म उड़ाते चल रहे थे। एक रथ पर दूल्हा शिव के रूप में प्रसिद्ध हास्य कवि सांड़ बनारसी तो दुल्हन के रूप में बकरुद्दीन बैठे काशी की गंगा-जमुनी संस्कृति का परिचय दे रहे थे। बरात के पूर्व संयोजक रहे सामाजिक कार्यकर्ता जगदंबा तुलस्यान को श्रद्धांजलि देकर बरात आगे बढ़ी तो डेढ़सी पुल पर काशीवासियों ने स्वागत किया।
Kashi Vishwanath Dham : बरात में सम्मिलित हुए देव-दानव, यक्ष, गंधर्व, किन्नर
सायंकाल साढ़े छह बजे मैदागिन से बाबा विश्वनाथ की भव्य-दिव्य एवं अनोखी बरात निकली। इसमें देवी-देवता, साधु-संत, यक्ष, गंधर्व, किन्नर, भूत-पिशाच, सर्प, बिच्छू आदि के स्वरूप में भक्त शामिल हुए। विविध झांकियों से सजी बरात का डेढ़सी पुल पर पारंपरिक तरीके से भंग व ठंडई से स्वागत किया गया।
महाशिवरात्रि पर बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ और माता गौरा के विवाह के समस्त लोकाचार टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर हुए। वर-वधू के रूप में बाबा व माता गौरा का राजसी श्रृंगार किया गया। दूल्हा बने बाबा की प्रतिमा को सेहरा लगाया गया, गौरा मदुरै से आई खास लाल लहंगे में सजीं।

लगभग साढ़े तीन सौ वर्ष वर्षों से भी अधिक समय से चली आ रही लोक परंपरा के अनुसार पं. वाचस्पति तिवारी ने दोपहर में मातृका पूजन की परंपरा का निर्वाह किया। पारंपरिक वैवाहिक गीतों की गूंज होती रही। आटे से चौका पूरकर उस पर लगभग चार सौ साल पुराने स्फटिक के शिवलिंग को पीतल की परात में रखा गया। वैदिक ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चार से सभी देवी-देवताओं को शिव के विवाह में होने का आमंत्रण दिया।

जानकारी के लिए बता दें कि Kashi Vishwanath Dham में महाशिवरात्रि पर्व पर रिकार्ड तोड़ 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किया। भोर में 3:30 बजे मंगला आरती के बाद जब पट खुले तो भक्तों को बाबा ने दर्शन दिया। इसके बाद तो ज्यों- ज्यों दिन चढ़ता गया, भक्तों की कतार बढ़ती ही गई। घड़ी की सुइयों के साथ भक्तों की संख्या कुछ इस प्रकार रही।
- सुबह 6:00 बजे तक – 178561
- सुबह 9:00 बजे तक – 388006
- सुबह 10 बजे तक – 453270
- सुबह 11 बजे तक – 494093
- दोपहर 12 बजे तक – 542120
- दोपहर बाद एक बजे – 598011
- ‘दोपहर बाद दो बजे – 656791
- दोपहर बाद तीन बजे – 682414
- शाम चार बजे तक – 726123
- शाम पांच बजे तक – 757541
- शाम छह बजे तक – 781002
- शाम सात बजे तक – 811396
- रात 11 बजे तक – लगभग 10 लाख
- देर रात तक-10,07,190
खबरों से अपडेट रहने के लिए जुड़ें :-

Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।