Mukhtar Ansari : एक ही अदालत ने दो बार सुनाई अंसारी को उम्रकैद
फर्जीवाड़ा कर दोनाली बंदूक का लाइसेंस प्राप्त करने के मामले में Mukhtar Ansari को विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) अवनीश गौतम की अदालत ने बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसी अदालत ने आठ महीने पहले अवधेश राय हत्याकांड में भी Mukhtar Ansari को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जानकरी के लिए बता दें कि सुरक्षा कारणों से माफिया Mukhtar Ansari को बाँदा जेल से वाराणसी नहीं लाया गया।
जब वाराणसी की एमपी/एमएलए कोर्ट ने 36 साल पुराने शस्त्र लाइसेंस मामले में Mukhtar Ansari को वाराणसी के विशेष न्यायाधीश अवनीश गौतम ने उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके बाद वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश हुआ Mukhtar Ansari न्यायाधीश के सामने गिड़गिड़ाने लगा और सिर पकड़कर बैठ गया। दुखी होने के कारण बुधवार शाम उसने कुछ खाया भी नहीं।

सजा मिलने के बाद बचाव पक्ष ने कोर्ट से अपील की Mukhtar Ansari बुजुर्ग, बीमार और जेल में है। ऐसे में सजा को कम जाए। खुद मुख्तार ने भी कोर्ट के सामने याचना की कि वो बीमार है, बूढ़ा हो चुका है। मुख्तार ने अपनी सजा को कम करने के लिए कोर्ट से अपील की। लेकिन, कोर्ट ने कहा कि जो अपराध किया गया है वो सबसे बड़ा है।मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि अदालत ने मुख्तार को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) में दोषमुक्त किया है। शेष धाराएं मजिस्ट्रेट द्वारा परीक्षणीय हैं।
Mukhtar Ansari : अवधेश राय, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के भाई थे
अवधेश राय कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के बड़े भाई थे। तीन अगस्त 1991 को वर्चस्व को लेकर मारुति वैन से आए पांच हमलावरों ने अवधेश राय की अत्याधुनिक असलहों से अंधाधुन गोलियां बरसाकर हत्या कर दी थी। हमला उस समय हुआ था, जब अवधेश राय मारुति जिप्सी से कहीं से आए थे और घर के बाहर अजय राय के साथ खड़े थे। मामले में अजय राय ने चेतगंज थाने में मुख्तार, भीम सिंह, कमलेश सिंह, पूर्व विधायक अब्दुल कलाम व राकेश न्यायिक के खिलाफ धारा ब 148, 149 व 302 के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

मुकदमे की सुनवाई के दौरान पूर्व विधायक अब्दुल कलाम व कमलेश सिंह की मौत हो गई। आरोपित भीम सिंह को गैंगस्टर एक्ट के मामले में दस वर्ष की सजा हो चुकी है और वह गाजीपुर जेल में बंद है। आरोपित राकेश न्यायिक ने मामले में अपनी फाइल अलग करवा ली थी। उसका केस प्रयागराज सत्र न्यायालय में चल रहा है। मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्या का यह पहला मामला था जिसमें उसे दोषी ठहराया गया था। अदालत का फैसला 32 साल बाद आया था। मुख्तार को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसी के साथ कोर्ट ने बीस हजार का जुर्माना भी लगाया था।
Mukhtar Ansari : गाजीपुर में खूब हुआ फर्जी शस्त्र लाइसेंस का खेल
गाजीपुर में फर्जी शस्त्र लाइसेंस का खेल खूब हुआ। नियमों को ताक पर रखकर लोगों को फर्जी नाइसेंस बांटे गए। मुख्तार के फर्जीवाड़ा करके दोनाली बंदूक का शस्त्र लाइसैंस लेने के मामले के सामने नाने के बाद स्थानीय स्तर पर पुलिस व प्रशासन ने इसकी जांच कराई थी। उस वक्त मामले मिले, जनमें फर्जीवाड़ा किया गया था। मुख्तार के खिलाफ लंबित मुकदमे में जुलाई 1988 से दिसंबर 1989 क गाजीपुर के जिलाधिकारी ने अपने बयान में इसका जिक्र भी किया है। उन्होंने अदालत को बताया कि स दौरान पुलिस अधीक्षक का एक पत्र उन्हें मिला था। इसमें उन्होंने बताया था कि उनके संज्ञान में फर्जी स्त्र लाइसेंस का मामला उनकी संज्ञान में आया था।
उन्होंने इस मामले की जांच कराकर कार्यवाही बरने का निवेदन किया था। इस मामले की जांच कराई गई तो पता चला कि पांच या छह लोगों ने अवैध रीके से शस्त्र लाइसेंस प्राप्त किया था। इसमें कलेक्ट्रेट के कर्मचारीगण की मिलीभगत मालूम हुई थी। नके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। मामला गंभीर प्रवृत्ति का था इसलिए इसकी जांच के लिए बीसीआइडी को संस्तुति की थी। इस मामले की जानकारी शासन को भी दी गई थी।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।