One Nation-One Election : दो चरणों में एक साथ हों चुनाव-कोविंद समिति
आगामी Lok Sabha Election 2024 के बाद संभव है कि देश में “One Nation-One Election” की शुरुआत हो। जानकारी के लिए बता दें कि Lok Sabha Election 2024 की तारीखें बहुत जल्द घोषित होने वाली है। लेकिन, इन सबके बीच देश में अब CAA लागू होने के बाद “One Nation-One Election” कि चर्चा तेज हो गई है। सूत्र बताते हैं कि इस Lok Sabha Election 2024 के बाद संभव है कि आने वाले चुनावों में “One Nation-One Election” लागू कर दिया जाएगा।
अब इसी कड़ी में “One Nation-One Election” को लेकर गठित पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अगुआई वाली उच्च स्तरीय कमेटी ने देश में लोकसभा, विधानसभा, नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों को एक साथ कराने की सिफारिश की है। कमेटी ने गठन के 191 दिनों के भीतर दी गईं अपनी सिफारिशों में इसे दो चरणों में पूरा करने का सुझाव किया है।

पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव कराने का प्रस्ताव दिया है, जबकि दूसरे चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के सौ दिनों के भीतर ही नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव कराने का प्रस्ताव दिया है। पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने गृह मंत्री अमित शाह समेत कमेटी के सदस्यों के साथ जाकर 18,626 पृष्ठों की रिपोर्ट गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सौंप दी। समिति ने 321 पृष्ठ सार्वजनिक किए हैं।
कमेटी ने त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव या फिर ऐसी किसी स्थिति में नए सदन के गठन के लिए नए सिरे से चुनाव कराने की सिफारिश तो की है, लेकिन ऐसी स्थिति में नई लोकसभा का कार्यकाल बची अवधि के लिए ही होगा। यानी चुनाव के बाद गठित सरकार यदि एक वर्ष के बाद गिर जाए और नए सिरे से चुनाव हो सकते हैं। लेकिन, इस दौरान नए सदन का गठन बाकी बचे चार वर्षों के लिए ही होगा।

कमेटी ने विधानसभाओं के गठन को लेकर भी सिफारिशें दी हैं, जिसमें भंग त्रिशंकु या फिर अविश्वास प्रस्ताव जैसी स्थिति में नए चुनाव हो सकते हैं, लेकिन नई विधानसभा का कार्यकाल लोकसभा के कार्यकाल के अंत तक ही रहेगा, बशर्ते उसे पहले भी भंग न किया गया हो। कमेटी ने इसके लिए संविधान के अनुच्छेद-83 की है और अनुच्छेद- 172 (राज्य विधानसभा की अवधि) में जरूरी संशोधनों की सिफारिश भी की है। कमेटी ने देश में एक वोटर लिस्ट बनाने की सिफारिश भी की है।
One Nation-One Election : देश में एक साथ चुनाव के लिए बनाना होगा कानूनी तंत्र
- एक साथ चुनावों के चक्र को बहाल करने के लिए सरकार को कानूनी तंत्र विकसित करना चाहिए।
- लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के लिए राष्ट्रपति आम चुनावों के बाद लोकसभा की पहली बैठक की तिथि को ‘नियत तिथि’ के रूप में अधिसूचित करेंगे।
- ‘नियत तिथि’ के बाद और लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने से पहले चुनाव के जरिये गठित विधानसभाओं का कार्यकाल अगले संसदीय चुनाव तक की अवधि का होगा। इस एक बार के अस्थायी उपाय के बाद देश में सभी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक ही समय पर एक साथ होंगे।
One Nation-One Election : समिति के द्वारा सुझाए गए मुख्य बिंदु
- लोकसभा व विधानसभा चुनाव के सौ दिन के भीतर कराए जाएं निकायों व पंचायत चुनाव
- चुनाव आयोग व राज्य आयोगों के परामर्श से एकल मतदाता सूची व मतदाता फोटो पहचान पत्र तैयार हों
- सदन समयपूर्व भंग होने पर नए सिरे से चुनाव, लेकिन कार्यकाल बाकी बची अवधि का होगा
जानकारी के लिए बता दें कि यदि देश में कई प्रक्रिया लागू हो जाएगा। तो ऐसे में चुनावों में होने वाले खर्च कम होंगे। बता दें कि अगर देश में एक साथ चुनाव होते हैं तो करीब 2400 करोड़ रुपए ही खर्च होंगे। मिली जानकारी के अनुसार, पिछले लोकसभा चुनाव में करीब 3000 करोड़ रुपए खर्च हुए।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।