राममंदिर की अयोध्या समेत पूरे देश में रामलहर चल रही है।
इस समय हर जन भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की चर्चा कर रहा है। राममंदिर में विराजमान दिव्य स्वरूप हर भक्त को बरबस ही अपनी और आकर्षित कर रहा है। राममंदिर में रामलला का अलौकिक स्वरूप स्वयं मूर्ति गढ़ने वाले मूर्तिकार अरुण योगिराज को भी चकित कर गया। अरुण योगिराज ने बताया कि जब गर्भगृह में उन्हें रामलला के दर्शन के लिए बुलाया गया, तो उन्हें महसूस हुआ कि जिस मूर्ति को उन्होंने गढ़ा है। ये वो नहीं है, रामलला के अंदर प्राण प्रतिष्ठा के बाद उनका स्वरूप ही बदल गया।
ऐसे में जब राममंदिर में रामलला का श्रृंगार किया जाता है। राममंदिर में रामलला का दिव्य स्वरूप और भी मनमोहक हो जाता है। आपको बताते चलें कि राममंदिर में रामलला को हर दिन के हिसाब से वस्त्र पहनाए जाते हैं। उनके आभूषणों को हीरे, पन्ने, माणिक्य जैसे नवरत्नों से सुशोभित किया जाता है। राम मंदिर में प्रतिष्ठित रामलाल को हर दिन अनुरूप ही निर्धारित वस्त्र धारण कराए जाते हैं।

यदि बात करें तो प्राण प्रतिष्ठा के दिन भगवान को विशिष्ट दिन होने की वजह से पीला वस्त्र धारण कराया गया था। ऐसे में राममंदिर में प्रभु श्री राम को सोमवार को श्वेत,मंगलवार को लाल,बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को हल्का बादामी, शनिवार को नीला व रविवार को गुलाबी स्वर्ण धागे से युक्त वस्त्र धारण कराया जाता है। आइए आज जानते हैं राममंदिर में प्रभु श्री राम के धारण कराए जाने वाले आभूषणों के बारे में
राम मंदिर में रामलला को धारण कराए गए आभूषण
मुकुट: रामलला के शीश पर शोभायमान मुकुट में कई खासियत है। यह उत्तर भारतीय परंपरा में स्वर्ण निर्मित है। इसमें माणिक्य, पन्ना, और हीरों से सजाया गया है। मुकुट के ठीक मध्य में भगवान सूर्य अंकित है। बताते चलें कि भगवान राम सूर्यवंश से संबंध रखते थे। इसीलिए इनके मुकुट में भगवान सूर्य को विशेष स्थान दिया गया है। मुकुट के दायीं ओर मोतियों की लड़ियां पिरोई गई हैं।
पैजानिया: वहीं भगवान के पैरों में सोने से निर्मित छाड़ और पैजानिया है। मुकुट और किरीट के अनुरूप ही भगवान के कर्ण आभूषण में मयूर आकृतियां बनी हैं। और यह भी सोने, हीरे माणिक्य और पन्ने से सुशोभित हो रही है।

गले में अर्द्ध चंद्राकार रत्नों से जड़ित कंठा सुशोभित है। जिसे मंगल का विधान रचते पुष्प अर्पित हैं। और मध्य में सूर्य देव बने हैं। सोने से बना कंठा हीरे,माणिक्य और पन्नों से जुड़ा हुआ है।
कौस्तुभ मणि: राम मंदिर में विराजमान को कौस्तुभ मणि भी धारण कराया गया है। इसे भगवान के हृदय में धारण कराया गया है। जिसे एक बड़े माणिक की और हीरो से सजाया गया यह शास्त्र विधान है कि भगवान विष्णु तथा उनके अवतार हृदय में कौस्तुभ मणि धारण करते हैं।
पदिक: यह कंठ से नीचे तथा नाभि कमल से ऊपर पहनाया गया हर होता है या अधिक पांच लाडो वाला हीरे और पाने का ऐसा पेंच लड़ा है जिसके नीचे एक बड़ा सा अलंकृत फलक लगाया गया है।

विजय माला: यह भगवान को पहनाया जाने वाला तीसरा और सबसे लंबा स्वर्ण निर्मित लगाए गए हैं इसमें मंगल चिन्ह सुदर्शन चक्रपान पुष्प शंकर व मंगल कलश दर्शाया गया है।
मंगल तिलक: भगवान के मस्तक पर मंगल व तिलक को हीरे और माणिक की सजा रचा गया है भगवान की कमर में करधनी धारण कराई गई है जो रत्न जड़ित है स्वर्ण से निर्मित करधनी में प्राकृतिक सुषमा का अंकन है।
भुजबंध या अंगद: भगवान की दोनों भुजा में स्वर्ण रतन से जुड़े भुज बंद बनाए गए हैं मस्तक पर मंगल तिलक को हीरे माणिक्य से रचा गया है। भगवान के प्रभाव मंडल के ऊपर स्वर्ण का छत्र धारण कराया गया है।

कंगन: दोनों ही हाथों में रत्न जड़ित सुंदर कंगन पहने गए हैं मां भगवान के बाएं हाथ में स्वर्ण का धनुष है जिनमें मोती माणिक्य और पढ़ने के लटकने लगी हैं दाहिने हाथ में स्वर्ण का बाद धारण कराया गया है।
मुद्रिका: मुद्रिका यानी अंगूठी दाएं हाथ में पन्ना और बाएं हाथ में मानिक के जड़ित मुद्रिकाओं से रामलाल की उंगलियां सुशोभित हैं भगवान के गले में रंग-बिरंगे फूलों की आकृतियां वाली वर्णमाला धारण कराई गई है। वही भगवान के चरणों के नीचे जो कमल सुसज्जित हैं उसके नीचे एक स्वर्ण माला सजाई गई है रामलाल चुकी 5 वर्ष के बालक रूप में विराजे हैं।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।