Thomas Elva Edison : दुनिया को रौशनी देने वाला महान जादूगर
आज दुनिया को “रात का सूरज” देने वाले व्यक्ति का जन्मदिन है। जी हां, हम बात कर रहे हैं Thomas Elva Edison की, जिन्होंने अपने प्रयोगों की बदौलत दुनिया को “रात का सूरज”यानी बल्ब दिया। Thomas Elva Edison ने इंसानों के जीवन को आसान बना दिया। आज दुनिया भर में शाम होते ही हर घर,दुकान,ऑफिस, सड़क,गली न जाने कितनी ऐसी जगहें हैं, जहां इंसान आता जाता है। वहां छोटे-बड़े बल्ब रौशनी देते हुए टिमटिमाते हुए नजर आते हैं।
Thomas Elva Edison की वजह से ही ऐसा संभव हो पाया। दुनिया में बल्ब के आविष्कार को किसी चमत्कार से कम नहीं माना जाता है। विज्ञान की दुनिया में बल्ब का अविष्कार सभी अविष्कारों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। बताते चलें कि 19वीं शताब्दी के आखिर में बल्ब का आविष्कार हुआ था।

विज्ञान की दुनिया में मशहूर वैज्ञानिक Thomas Elva Edison ने दुनिया को बल्ब की रोशनी का तोहफ दिया था। लेकिन, थॉमस एल्वा एडिसन का जीवन काफी मुश्किलों भरा था। उन्हें स्कूल में पढ़ने के लिए दाखिला नहीं मिला था। उन्हें स्कूल में पढ़ाने से इसीलिए मना कर दिया गया कि वो एक कमजोर दिमाग वाले बच्चे हैं। लेकिन, Thomas Elva Edison ने हार नहीं मानी और अपनी बुध्दि और प्रतिभा को हमेशा ही बढ़ाते गए। उन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर फोनोग्राम और बल्ब समेत हजारों आविष्कार किए, जो आज भी इंसानों के जीवन को काफी आसान बना देते हैं। ऐसे में आइए उनके जीवन से जुड़ी कुछ विशेष बातों को जानते हैं
Thomas Elva Edison : थॉमस एल्वा एडिसन का जन्म और बल्ब का अविष्कार
बल्ब के महान आविष्कारक थॉमस एल्वा एडिसन का जन्म 11 फरवरी 1847 में हुआ था। थॉमस एल्वा एडिसन की मां का नाम नैंसी मैथ्यू इलिएट था, जो एक डच महिला थी। बचपन में उनकी मां ने ही उन्हें शुरुआती शिक्षा देनी शुरू की। थॉमस एल्वा एडिसन को जब वे 10 वर्ष के थे, तब उनकी मां ने एक कई सारे रसायनिक प्रयोग वाली एक पुस्तक दी।

थॉमस एल्वा एडिसन ने बहुत कम उम्र में ही अपनी पहली प्रयोगशाला स्थापित की थी। थॉमस एल्वा एडिसन अपने प्रयोगों में इतने व्यस्त होते थे, कि उन्हें अपने आसपास की चीजों का ख्याल ही नहीं रहता था। थॉमस एल्वा एडिसन कई-कई दिनों तक बिना सोए अपनी प्रयोगशाला में प्रयोग करते थे। यहां तक कि वो खाना भी खाना भूल जाते थे।
हालांकि, थॉमस एल्वा एडिसन ने कई सारे प्रयोग किए लेकिन उनका सबसे बड़ा प्रयोग बल्ब पर माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि बल्ब बनाने में थॉमस एल्वा एडिसन 10 हजार से ज्यादा बार फेल हुए थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और बल्ब का आविष्कार किया। ये थॉमस एल्वा एडिसन की मेहनत ही थी कि उन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर1093 पेटेंट अपने नाम किए हैं। उन्होंने अपने आविष्कार का दुनिया में लोहा मनवाया है।
जानकारी के लिए बता दें कि पहली बार बल्ब बनाने के लिए थॉमस एल्वा एडिसन को 40 हजार डॉलर खर्चा करना पड़ा था। थॉमस एल्वा एडिसन ने वर्ष 1879 से 1900 तक सभी मुख्य आविष्कार कर दिए थे। वह वैज्ञानिक होने के साथ ही एक धनवान बिजनेसमैन बन गए थे।

ऐसा नहीं है कि थॉमस एल्वा एडिसन अपने प्रयोगों में हमेशा अच्छा ही करते थे। उन्हें बचपन में प्रयोगों के लिए कई बार डांट का भी सामना करना पड़ा। थॉमस एल्वा एडिसन के बचपन की कई ऐसी घटनाएं हैं जो हमें सीख देती हैं। एक बार एडिसन जब स्कूल में थे, तब उनकी टीचर ने उनकी स्कूल डायरी में कुछ लिखकर उनकी मां को दिया था। जिसे देखकर एडिसन की मां रोने लगी।
इस घटना को कई वर्ष बीत चुके थे, उनकी मां का भी निधन हो गया था। तब तक एडिसन भी एक महान वैज्ञानिक बन चुके थे। एक दिन मां की अलमारी को साफ करते हुए उन्हें वो टीचर द्वारा दिया गया नोट्स मिला। जिसे देखकर उनकी मां काफी रोई थी। इस नोट्स को पढ़कर थॉमस एल्वा एडिसन भी खूब रोए। इस नोट्स पर लिखा था कि आपका बेटे का दिमाग कमजोर है इसलिए अब उसको स्कूल मत भेजिएगा। एडिसन ने अपनी डायरी में लिखा है एक मां ने कमजोर दिमाग वाले बच्चे को महान वैज्ञानिक बना दिया। 18 अक्टूबर 1931 को एडिसन का निधन हो गया था।

Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।