Sindoor : सिंदूर लगाने के धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों लाभ हैं
सनातन परंपरा विश्व में सबसे प्राचीन मानी जाती है। इस परंपरा में व्यक्ति के जीवन को सही तरीके से जीने के लिए 16 संस्कारों की व्यवस्था बनाई गई है। इन्हीं 16 संस्कारों में से एक विवाह संस्कार माना जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि सनातन परंपरा में विवाह को पवित्र संस्कार माना जाता है। विवाह में केवल दो व्यक्तियों का ही मिलन नहीं होता है। विवाह के समय दो परिवारों, उनके आचार-व्यवहार, रीति-रिवाज, विचारों का भी मिलन होता है। विवाह संस्कार वर पक्ष और वधु पक्ष दोनों के लिए उत्सव का मौका होता है। वहीं विवाह संस्कार के दौरान वर-वधू अलग-अलग तरह के रीति-रिवाजों का पालन करते हैं। इसके बाद दोनों परिणय सूत्र में बंधते हैं।
दरअसल, इन रीति-रिवाजों में मुख्य रूप से सात फेरे, कन्यादान और सिंदूरदान प्रमुख हैं। जैसा कि आजकल आधुनिक होते समय में जयमाला की परंपरा भी निभाई जाती है। इसके बाद विवाह की इस पूरी प्रक्रिया के दौरान वर-वधू अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेते हैं। जानकारी के लिए बताते चलें कि इन विधि-विधानों के बिना विवाह की विधि पूरी नहीं मानी जाती है।

सात फेरे लेने के बाद वर वधू की मांग में सिंदूरदान करता है। वधू की मांग में एक बार Sindoor पड़ने के बाद वधू और वर का रिश्ता जन्मजन्मांतर के लिए जुड़ जाता है। विवाह के पश्चात विवाहित महिला अपनी मांग में हर रोज Sindoor लगाती है। लेकिन, क्या आपको पता है कि महिलाएं ही मांग में Sindoor क्यों लगाती हैं। आइए आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि इसके पीछे का वैज्ञानिक और धार्मिक क्या कारण है
Sindoor : मांग में Sindoor लगाने के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण
दरअसल, सदियों पुरानी परंपरा है कि सनातन धर्म में आस्था रखने वाली विवाहित महिलाएं दैनिक क्रिया से निवृत होकर यानी स्नान ध्यान करने के बाद अपने मांग में सिंदूर लगाती हैं। यदि वर्तमान समय में सनातनी विवाहित महिलाएं स्नान-ध्यान करने के बाद माता पार्वती को Sindoor अर्पित कर मांग भरती हैं। ऐसी मान्यता है कि यदि कोई विवाहित महिला अपनी मांग में Sindoor लगाती है तो उसके पति की आयु में वृद्धि होती है। यहां तक कि त्रेता युग में भी माता सीता प्रभु श्रीराम के लिए अपनी मांग में सिंदूर लगाया करती है। इस संबंध में एक कथा बड़ी प्रचलित है कि एक बार माता सीता को सिंदूर लगाते हुए हनुमान ने देख लिया।

इसके बाद वीर हनुमान ने माता सीता से प्रश्न किया। हे माता, यह आप क्या कर रही हैं? तब माता सीता ने उत्तर दिया कि ये सिंदूर मैं प्रभु श्रीराम की लंबी आयु के लिए लगाती हूं। जिससे प्रभु श्रीराम की जीवन की आयु बढ़ेगी। फिर, इसके बाद हनुमान ने तर्क लगाया कि यदि चुटकी भर सिंदूर से प्रभु श्री राम की आयु बढ़ती है।

तो क्यों न मैं अपने पूरे शरीर में सिंदूर लगा लूं तो प्रभु श्री राम की आयु काफी वर्षो की हो जाएगी। इसके बाद वीर हनुमान ने अपने पूरे शरीर में सिंदूर लेप लिया था। इसके लिए हनुमान जी को पूजा में सिंदूर अवश्य भेंट की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि मांग में सिंदूर लगाने से जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती प्रसन्न होती हैं। उनकी कृपा से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही पति की आयु भी लंबी होती है। इसके लिए विवाहित महिलाएं शादी के बाद रोजाना मांग में सिंदूर लगाती हैं।
Sindoor : सिंदूर लगाने का वैज्ञानिक पक्ष
आइए अब इसके वैज्ञानिक पक्ष देखते हैं। इस विषय से जुड़े हुए जानकार बताते हैं कि महिलाओं की मांग में सिंदूर लगाने से उनका दिमाग शांत रहता है। इसके साथ ही मांग में सिंदूर लगाने से महिलाओं का ब्लड प्रेशर भी संतुलन में रहता है। दरअसल, सिंदूर का निर्माण पारा धातु से किया जाता है। और, पारे की अधिकता से चेहरे पर झुर्रियां नहीं होती है। वहीं, सिंदूर नजर और बुरी बला को भी टालने में काफी लाभकारी होता है।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।