क्या नॉमिनी बनने से शेयर पर वारिसाना हक मिलता है? Supreme Court का बड़ा फैसला
शेयर बाजार में निवेश करना आम हो रहा है. ऐसे में एक महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि अगर किसी शेयरधारक का देहांत हो जाता है तो उसके शेयरों का क्या होगा? क्या ये शेयर नॉमिनी के पास चले जाएंगे? इसी सवाल का जवाब हाल ही में Supreme Court ने दिया है, जिससे लाखों निवेशकों के लिए स्थिति साफ हो गई है.
Supreme Court ने दिसंबर 14, 2023 के अपने फैसले में कहा है कि किसी शेयर में नॉमिनी बनाए जाने से उस व्यक्ति को स्वत: ही उस शेयर का वारिस होने का हक नहीं मिलता. शेयरों का स्वामित्व वारिसान को या तो मृतक की वसीयत के माध्यम से या भारत के उत्तराधिकार कानूनों के तहत मिलेगा. इन कानूनों में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम और भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम शामिल हैं.
इस फैसले का मतलब साफ है कि नॉमिनी केवल एक ट्रस्टी होता है, जिसका काम मृतक के कानूनी उत्तराधिकारियों तक संपत्ति पहुंचाना है. वह खुद को शेयरों का असली मालिक नहीं समझ सकता. इस फैसले से पहले कुछ मामलों में भ्रम की स्थिति थी, जहां नॉमिनी यह दावा करते थे कि शेयरों पर उनका ही हक है. Supreme Court के इस फैसले से अब यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि नॉमिनी का अधिकार किसी वसीयत में नामित उत्तराधिकारी या फिर उत्तराधिकार कानून के तहत तय हुए उत्तराधिकारी के अधीन है.
Supreme Court के इस फैसले के निवेशकों के लिए कई महत्वपूर्ण implications हैं:
- उत्तराधिकार की योजना स्पष्ट करें: अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो यह जरूरी है कि आप अपनी उत्तराधिकार योजना को स्पष्ट करें. एक वसीयत लिखकर आपको तय करना चाहिए कि आपके शेयर आपके देहांत के बाद किसे मिलेंगे. अगर आप वसीयत नहीं लिखते हैं तो आपके शेयर उत्तराधिकार कानूनों के तहत आपके कानूनी उत्तराधिकारियों को मिलेंगे.
- नॉमिनी को सावधानी से चुनें: नॉमिनी को चुनते समय सावधानी बरतें. वह व्यक्ति सच्चा होना चाहिए और आपको उस पर भरोसा होना चाहिए. साथ ही, यह सुनिश्चित करें कि नॉमिनी को पता हो कि उसकी भूमिका केवल ट्रस्टी की है और शेयरों का असली हक तो कानूनी उत्तराधिकारियों का है.
- नॉमिनी को जानकारी दें: अपने नॉमिनी को यह जानकारी दें कि शेयरों का हस्तांतरण कैसे होगा. अगर आपने वसीयत लिखी है तो उसे इसकी कॉपी भी दें. यह सुनिश्चित करेगा कि देहांत के बाद कोई समस्या न आए.
Supreme Court का यह फैसला निवेशकों के लिए राहत का काम है. अब यह साफ हो गया है कि शेयरों का उत्तराधिकार किसी वसीयत या उत्तराधिकार कानूनों के तहत होता है, न कि सिर्फ नॉमिनी के नाम होने से.
भारत में उत्तराधिकार कानूनों का संक्षिप्त विवरण
भारत में उत्तराधिकार कानूनों का उद्देश्य किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का वितरण करना है. इन कानूनों के तहत, व्यक्ति अपनी संपत्ति को अपनी इच्छानुसार किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को दे सकता है, या फिर कानून के तहत तय हुए उत्तराधिकारियों को दे सकता है.
भारत में दो मुख्य उत्तराधिकार कानून हैं:
- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956: यह कानून हिंदुओं, बौद्धों, जैनों और सिखों पर लागू होता है.
- भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925: यह कानून मुसलमानों, ईसाइयों, पारसी और अन्य धर्मों के लोगों पर लागू होता है.
विभिन्न प्रकार की वसीयत और उनकी प्रक्रिया
वसीयत एक कानूनी दस्तावेज है जिसमें व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद अपनी संपत्ति का वितरण कैसे करना चाहता है, यह बताता है. वसीयत लिखने के लिए व्यक्ति को 18 वर्ष से अधिक आयु का होना चाहिए और वह मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए.
भारत में वसीयत मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं:
- लिखित वसीयत: यह वसीयत एक लिखित दस्तावेज होती है, जिसे दो गवाहों की उपस्थिति में लिखा जाता है.
- मौखिक वसीयत: यह वसीयत किसी व्यक्ति द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति के सामने मौखिक रूप से कही जाती है. मौखिक वसीयत को सात गवाहों की उपस्थिति में किया जाना चाहिए.
वसीयत लिखने के लिए एक वकील की मदद लेना सबसे अच्छा होता है. वकील वसीयत को सही तरीके से लिखने में मदद करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि वसीयत कानूनी रूप से मान्य हो.
देहांत के बाद शेयरों के हस्तांतरण की प्रक्रिया
किसी शेयरधारक की मृत्यु के बाद उसके शेयरों का हस्तांतरण करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है:
- मृतक के नॉमिनी को शेयरों के हस्तांतरण के लिए एक आवेदन पत्र लिखना होगा.
- आवेदन पत्र में मृतक का मृत्यु प्रमाण पत्र, नॉमिनी का पहचान पत्र और पता, और शेयरों की संख्या शामिल होनी चाहिए.
- आवेदन पत्र को शेयर कंपनी को भेजना होगा.
- शेयर कंपनी आवेदन पत्र की जांच करेगी और अगर सब कुछ सही पाया जाता है तो शेयरों का हस्तांतरण नॉमिनी के नाम कर देगी.
अगर मृतक ने कोई वसीयत लिखी है तो शेयरों का हस्तांतरण वसीयत में नामित उत्तराधिकारी के नाम होगा. अगर मृतक ने कोई वसीयत नहीं लिखी है तो शेयरों का हस्तांतरण उत्तराधिकार कानूनों के तहत तय हुए उत्तराधिकारियों के नाम होगा.
Supreme Court के फैसले से जुड़े अन्य मामले और उनके निहितार्थ
Supreme Court के फैसले से पहले कुछ मामलों में नॉमिनी यह दावा करते थे कि शेयरों पर उनका ही हक है, भले ही मृतक ने वसीयत नहीं लिखी हो. इस फैसले से ऐसे दावों पर रोक लग गई है.
इस फैसले से निम्नलिखित निहितार्थ निकलते हैं:
- शेयरों के उत्तराधिकार के लिए वसीयत या उत्तराधिकार कानूनों का पालन करना जरूरी है.
- नॉमिनी केवल एक ट्रस्टी होता है और शेयरों का असली मालिक नहीं होता.
- शेयरों का हस्तांतरण नॉमिनी या उत्तराधिकारियों के नाम पर किया जा सकता है.
निवेशकों के लिए सुझाव और सावधानियां
शेयर निवेशकों के लिए निम्नलिखित सुझाव और सावधानियां महत्वपूर्ण हैं:
- अपनी उत्तराधिकार योजना स्पष्ट करें. एक वसीयत लिखकर तय करें कि आपके शेयर आपके देहांत के बाद किसे मिलेंगे.
- नॉमिनी को सावधानी से चुनें. नॉमिनी वह व्यक्ति होना चाहिए जिस पर आप भरोसा करते हैं और जिसे आप अपनी संपत्ति सौंपना चाहते हैं.
- शेयरों के हस्तांतरण की प्रक्रिया को समझें. अगर आपने वसीयत नहीं लिखी है तो आपको उत्तराधिकार कानूनों के तहत शेयरों के हस्त