पिछले दो दिनों से Share Market में जबरदस्त तेजी
पिछले दो दिनों से Share Market में जबरदस्त तेजी देखने को मिल रही है। सेंसेक्स 1000 अंक से अधिक चढ़ चुका है, और बाजार में उत्साह का माहौल बना हुआ है। इस तेजी का प्रमुख कारण डॉलर और कच्चे तेल में आई भारी गिरावट है। इन दोनों फैक्टर्स ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक मजबूत सहारा दिया है, जिससे बाजार में हरियाली लौट आई है।
डॉलर और कच्चे तेल की गिरावट: भारत को दोहरा लाभ
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें गिरकर $70 प्रति बैरल से भी नीचे आ गई हैं, जो भारत के लिए बहुत बड़ा फायदा है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक है और कम कीमतों का सीधा फायदा हमारी अर्थव्यवस्था को होता है।
इसके अलावा, डॉलर की कमजोरी से रुपया मजबूत हुआ है। जब डॉलर कमजोर होता है, तो भारत को अपने आयात के लिए कम भुगतान करना पड़ता है। इससे महंगाई पर दबाव कम होता है और निवेशकों का भरोसा बढ़ता है।
छोटे और मझोले शेयरों में जबरदस्त उछाल

इस पूरे घटनाक्रम का सबसे अधिक लाभ छोटे और मिडकैप शेयरों को मिला है। बीएसई स्मॉल-कैप इंडेक्स पिछले तीन दिनों में 5.6% से अधिक बढ़ चुका है। यह दर्शाता है कि निवेशकों का भरोसा अब बड़ी कंपनियों के अलावा छोटे और मझोले शेयरों में भी लौट रहा है।
विदेशी निवेशक अभी भी सतर्क
हालांकि, विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) अब भी भारी मात्रा में बिकवाली कर रहे हैं। वे बाजार (Market) में अब तक शुद्ध विक्रेता (Net Seller) बने हुए हैं, लेकिन अब संकेत मिल रहे हैं कि वे अपनी रणनीति बदल सकते हैं। यदि यह बदलाव होता है, तो भारतीय Share Market में लंबी अवधि की तेजी देखने को मिल सकती है।
अमेरिकी नीतियों का प्रभाव और ब्याज दरों में संभावित कटौती
अमेरिका में ब्याज दरों में 0.75% तक कटौती की संभावनाएं बढ़ गई हैं। पहले जहां यह संभावना मात्र 6% थी, अब यह बढ़कर 32% हो गई है। इससे बांड यील्ड गिर रही हैं और निवेशक डॉलर से बाहर निकलकर इक्विटी मार्केट्स में पैसा लगाने की सोच रहे हैं।
इसके अलावा, अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के टैरिफ नीतियों में बदलाव की चर्चा भी जोरों पर है। यदि अमेरिका अपने टैरिफ फैसलों पर नरमी दिखाता है, तो इसका सकारात्मक असर वैश्विक बाजारों पर पड़ेगा और भारत को इसका बड़ा फायदा मिलेगा।
क्या अब Indian market लंबी रैली के लिए तैयार है ?
बाजार (Market) में मौजूद कई जानकारों का मानना है कि भारत के लिए एक मजबूत ग्रोथ फेज शुरू हो सकता है। यदि जीडीपी ग्रोथ और कॉर्पोरेट अर्निंग्स में मजबूती दिखती है, तो यह तेजी लंबे समय तक बनी रह सकती है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक अनिश्चितताओं को देखते हुए अभी भी सतर्क रहने की जरूरत है।
निवेशकों के लिए क्या रणनीति होनी चाहिए?
- दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह सही समय हो सकता है कि वे मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों में अपने पोर्टफोलियो का विस्तार करें।
- छोटी और मझोली कंपनियों में हो रही तेजी से निवेशकों को फायदा हो सकता है, लेकिन सतर्कता जरूरी है।
- वैश्विक घटनाओं पर नजर बनाए रखें और बाजार में अत्यधिक उत्साह में आकर जल्दबाजी में निवेश से बचें।
निष्कर्ष
डॉलर और कच्चे तेल में गिरावट ने भारतीय बाजार (Market) को मजबूती दी है, जिससे बाजार में तेजी देखने को मिल रही है। हालांकि, विदेशी निवेशकों की गतिविधियां और वैश्विक अर्थव्यवस्था के अन्य कारक इस तेजी को किस हद तक बनाए रखेंगे, यह देखना बाकी है। निवेशकों को सतर्क रहते हुए अपने निर्णय लेने चाहिए और लंबी अवधि के नजरिए से सोचकर निवेश करना चाहिए।