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गेहूं की उत्पत्ति

 गेहूं की उत्पत्ति और उत्पादन

गेहूं की उत्पत्ति : आज गेहूं के बगैर भोजन की कल्पना करना संभव नहीं है, हमारे जीवन में गेहूं ने मुख्य जगह ले ली है, गेहूं एक महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है जो दुनिया भर में उगाई जाती है। यह प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का एक अच्छा स्रोत है, और इसका उपयोग रोटी, पास्ता, बिस्कुट, और अन्य खाद्य पदार्थों के निर्माण में किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि गेहूं की उत्पत्ति कब और कैसे हुई और कैसे हमारे जीवन में रच बस गयी आज के इस ब्लॉग में हम इसपर विस्तार से चर्चा करेंगें।

गेहूं की उत्पत्ति:

माना जाता है कि गेहूं की उत्पत्ति आज से लगभग 10,000 साल पहले पश्चिम एशिया में हुई थी, और यह तब से यह धीरे धीरे दुनिया भर में फैल गई है।। यह माना जाता है कि गेहूं की खेती सबसे पहले तुर्की, इराक, और ईरान में की गई थी। गेहूं की खेती के प्रारंभिक प्रमाण मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की खुदाईयों से प्राप्त हुए हैं, जो बताते हैं कि भारत में भी गेहूँ की खेती 5000 वर्ष से भी अधिक समय पहले प्रारम्भ हुई थी।

गेहूं की उत्पत्ति के बारे में कई सिद्धांत हैं। एक सिद्धांत के अनुसार, गेहूं की उत्पत्ति एक जंगली घास, ट्रिटिकम एरिस्टोफोरियम से हुई थी। इस घास में गेहूं के समान दाने होते हैं, लेकिन ये छोटे और कम उपज देने वाले होते हैं। मनुष्यों ने इस घास को चुनिंदा रूप से उगाया और इसकी खेती के लिए अनुकूल बनाया, जिससे गेहूं की वर्तमान किस्में विकसित हुईं।

गेहूं का उत्पादन:

गेहूं की उत्पत्ति

गेहूं दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। 2022 में, दुनिया में गेहूं का उत्पादन 778.8 मिलियन टन था। चीन गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक है, इसके बाद भारत, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, और कनाडा का स्थान आता है।

गेहूं की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है। गेहूं को उगाने के लिए अच्छी तरह से सूखा और उपजाऊ मिट्टी की भी आवश्यकता होती है। गेहूं की खेती के लिए दो प्रकार की बुवाई की जाती है: रबी बुवाई और खरीफ बुवाई। रबी बुवाई अक्सर अक्टूबर या नवंबर में की जाती है, और खरीफ बुवाई अक्सर जून या जुलाई में की जाती है, भारत में रबी की बुआई प्रचलित है।

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गेहूं की फसल को कई चरणों में उगाया जाता है। इन चरणों में शामिल हैं:

  • बुवाई: गेहूं के बीज को मिट्टी में बोया जाता है।
  • सिंचाई: गेहूं की फसल को अच्छी तरह से सिंचाई की आवश्यकता होती है।
  • निराई-गुड़ाई: गेहूं की फसल में उगने वाले खरपतवारों को निकालना आवश्यक होता है।
  • निषेचन: गेहूं की फसल को उर्वरक देने से उत्पादन में वृद्धि होती है।
  • रोग नियंत्रण: गेहूं की फसल को कई प्रकार के रोगों का खतरा होता है। इन रोगों से बचाव के लिए कीटनाशकों और फफूंदनाशक का उपयोग किया जाता है।
  • कटाई: गेहूं की फसल को आमतौर पर मार्च या अप्रैल में काटा जाता है।

गेहूं का उपयोग:

गेहूं की उत्पत्ति

गेहूं का उपयोग कई प्रकार के खाद्य पदार्थों के निर्माण में किया जाता है। इनमें शामिल हैं:-

  • रोटी
  • पास्ता
  • बिस्कुट
  • केक
  • दलिया
  • सिवईं
  • नूडल्स

गेहूं का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में भी किया जाता है। गेहूं के भूसे का उपयोग आजकल विभिन्न उद्योगों लिए भी किया जानें लगा है।

आज गेहूं एक महत्वपूर्ण खाद्यान्न बन गया है यह फसल है जो दुनिया भर में उगाई जानें वाली फसलों में से एक है। यह प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का एक अच्छा स्रोत है, और इसका उपयोग कई प्रकार के खाद्य पदार्थों के निर्माण में किया जाता है। आज गेहूं हमारे जीवन का मुख्य भोज्य पदार्थो में से एक है और इसकी उत्पत्ति भी रहस्य से भरी है क्योंकि इसके उत्पत्ति के सही साक्ष्य उपलब्ध नहीं है।

the hind manch
Pradeep Saini
Editor at HIND MANCH

प्रदीप कुमार सैनी

आप उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर के रहने वाले हैं। आपने कानपुर के C.S.G.M विश्विद्यालय से Biochemistry में Msc किया है। व GD verma IIT, JEE institute , Allen Plus Institute ,Pace IIT JEE Institute , Vedanta IIT JEE Istitute जैसे कोचिंग संस्थान में Chemistry Faculty के रूप में काम किए हैं।
आप  THE HIND MANCH में संपादक के रूप में जुड़े हैं।

By Pradeep Saini

प्रदीप कुमार सैनी

आप उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर के रहने वाले हैं। आपने कानपुर के C.S.G.M विश्विद्यालय से Biochemistry में Msc किया है। व GD verma IIT, JEE institute , Allen Plus Institute ,Pace IIT JEE Institute , Vedanta IIT JEE Istitute जैसे कोचिंग संस्थान में Chemistry Faculty के रूप में काम किए हैं। आप  THE HIND MANCH में संपादक के रूप में जुड़े हैं।

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