अहोई माता के व्रत से होता है सबका कल्याण
Ahoi Ashtami Vrat Katha 2023: उत्तर भारत में मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है, खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा राज्यों में। इस दिन माताएं अपने बच्चों की सलामती और लंबी उम्र के लिए सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक व्रत रखती हैं। यह उपवास हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष (चंद्रमा के घटते चरण) के आठवें दिन (अष्टमी) को मनाया जाता है।
इस त्योहार से जुड़ी एक पारंपरिक कहानी है। अलग-अलग क्षेत्रों में कहानी अलग-अलग है, लेकिन सार एक ही है। यहां अहोई अष्टमी व्रत कथा का एक सामान्य संस्करण दिया गया है

अहोई अष्टमी व्रत कथा
Ahoi Ashtami Vrat Katha 2023: एक समय की बात है, एक गाँव में एक औरत रहती थी। उसके सात बेटे थे. एक दिन, दिवाली की तैयारी में, वह अपने घर की दीवारों की मरम्मत के लिए मिट्टी लाने के लिए जंगल में गई। खुदाई करते समय उसने गलती से एक शेर के बच्चे को मार डाला। उससे अनजान शेरनी ने उसे श्राप दिया कि उसके सभी बच्चे मर जायेंगे।
साल बीत गए और उसके बेटे बड़े हो गए और उनकी शादी हो गई। एक दिन, जब बेटे काम पर गए, तो उनकी पत्नियों ने घर साफ करने का फैसला किया। भंडारण क्षेत्र की सफाई करते समय, उन्हें एक छिपा हुआ कमरा मिला। दरवाज़ा खोलने पर उन्हें अपने बच्चों के साथ एक भूखी और कमज़ोर शेरनी मिली। महिलाओं को शेरनी पर दया आ गई और वे उसे खाना खिलाने लगीं। शेरनी ने अपनी ताकत वापस पा ली और परिवार को आशीर्वाद देते हुए वहां से चली गई।
Ahoi Ashtami Vrat Katha 2023:
इसके तुरंत बाद, इस क्षेत्र में भयंकर सूखा पड़ा। सभी ग्रामीणों को भोजन और पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ा। महिला को श्राप याद आया और उसे एहसास हुआ कि यह उसके पिछले कर्मों का परिणाम था। अपने पश्चाताप में, उसने अत्यंत भक्तिपूर्वक देवी अहोई भगवती से प्रार्थना की। उसकी प्रार्थना और ईमानदारी से प्रसन्न होकर, देवी अहोई उसके सामने प्रकट हुईं और उसे वरदान दिया।
महिला ने माफ़ी मांगी और श्राप हटाने का रास्ता पूछा। देवी अहोई ने उसे गाँव की अन्य माताओं के साथ कार्तिक माह की अष्टमी का व्रत रखने का निर्देश दिया। उसने उससे कहा कि इस व्रत को करने और भक्तिपूर्वक उसकी पूजा करने से श्राप दूर हो जाएगा और उसके बच्चों को लंबी उम्र और समृद्धि का आशीर्वाद मिलेगा।
निर्देशों का पालन करते हुए गांव की महिलाओं और अन्य माताओं ने अहोई अष्टमी का व्रत बड़ी श्रद्धा से किया। देवी अहोई उनकी प्रार्थना से प्रसन्न हुईं और श्राप हटा लिया। महिला के बच्चे और पूरा गांव समृद्ध हुआ और तभी से अहोई अष्टमी व्रत की परंपरा माताओं के बीच लोकप्रिय हो गई। यह कहानी भक्ति, पश्चाताप और देवी अहोई के आशीर्वाद के महत्व पर जोर देती है। माताएं अपने बच्चों की खुशहाली और लंबी उम्र के लिए, ईश्वर का आशीर्वाद मांगते हुए, बड़े समर्पण के साथ यह व्रत रखती हैं।
व्रतविधि
Ahoi Ashtami Vrat Katha 2023: व्रत के दिन प्रात: उठकर स्नान करें और पूजा पाठ करके संकल्प करें कि संतान की लम्बी आयु एवं सुखमय जीवन हेतु मैं अहोई माता का व्रत कर रही हूं। अहोई माता मेरे पुत्रों को दीर्घायु, स्वस्थ एवं सुखी रखें। अनहोनी को होनी बनाने वाली माता देवी पार्वती हैं इसलिए माता पार्वती की पूजा करें। अहोई माता की पूजा के लिए गेरू से दीवाल पर अहोई माता का चित्र बनायें , सामने अनाज मुख्य रूप से चावल ढीरी (कटोरी), मूली, सिंघाड़े रखते हैं और सुबह दिया रखकर कहानी कही जाती है। कहानी कहते समय जो चावल हाथ में लिए जाते हैं, उन्हें साड़ी/ सूट के दुप्पटे में बाँध लेते हैं। सुबह पूजा करते समय जिगर (लोटे में पानी और उसके ऊपर करवे में पानी रखते हैं।) यह करवा, करवा चौथ में इस्तेमाल हुआ होना चाहिए। इस करवे का पानी दिवाली के दिन पूरे घर में छिड़का जाता है। संध्या काल में इन चित्रों की पूजा करें।
Ahoi Ashtami Vrat Katha 2023:
पके खाने में चौदह पूरी और आठ पूयों का भोग अहोई माता को लगाया जाता है। उस दिन बयाना निकाला जाता है – बायने मैं चौदह पूरी या मठरी या काजू होते हैं। लोटे का पानी शाम को चावल के साथ तारों को आर्ध किया जाता है। शाम को माता के सामने दिया जलाते हैं और पूजा का सारा सामान (पूरी, मूली, सिंघाड़े, पूए, चावल और पका खाना) पंडित जी या घर के बड़ों को दिया जाता है। अहोई माता का कैलंडर दिवाली तक लगा रहना चाहिए। अहोई पूजा में एक अन्य विधान यह भी है कि चांदी की अहोई बनाई जाती है अहोई पूजा रोली, अक्षत, दूध व भात से की जाती है। पूजा चाहे आप जिस विधि से करें लेकिन दोनों में ही पूजा के लिए एक कलश में जल भर कर रख लें। पूजा के बाद अहोई माता की कथा सुने और सुनाएं…
पूजा के पश्चात सासु मां के पैर छूएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें, इसके पश्चात व्रती अन्न जल ग्रहण करें।