Lok Sabha Elections 2024: स्वामी ने दिया उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव को झटका
Lok Sabha Elections 2024 को लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में काफी हलचल देखने को मिल रहा है। भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, सपा एवं अन्य राजनीतिक दल उत्तर प्रदेश में अपनी-अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है। बताते चलें की उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं। बता दें कि दिल्ली की गद्दी तक का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर ही जाता है।
इसीलिए, हर राजनीतिक दल अपने वोटबैंक साधने में लगे हुए हैं। जहां सभी राजनीतिक पार्टी अपने बड़े नेताओं के साथ अब Lok Sabha Elections 2024 तैयारी में लगे हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी समाजवादी पार्टी को आए दिन नए-नए झटके लगते दिखाई दे रहे हैं। अभी कुछ ही दिन पहले समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता माने जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या ने राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया था।

अब इसी कड़ी में स्वामी प्रसाद मौर्य अब अपनी नई पार्टी बनाने जा रहे हैं। स्वामी अपने समर्थकों के साथ 22 फरवरी को दिल्ली में नए राजनीतिक संगठन या पार्टी की घोषणा कर सकते हैं। हालांकि, उन्होंने सोमवार को मीडिया से कहा कि हमने कार्यकर्ताओं पर आगे का निर्णय छोड़ दिया है। अब कार्यकर्ता तय करेंगे उन्हें क्या करना है।
स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी पूर्व विधायक बृजेश कुमार प्रजापति ने सपा से इस्तीफा दे दिया। स्वामी के साथ ही वह भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हुए थे। सोमवार को पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि सवर्णों का हित साधने वाले सपा मुखिया पीडीए के साथ छलावा कर रहे हैं। वह भाजपा से मिले हैं, इसलिए उसे हरा भी नहीं सकते हैं। प्रजापति ने बताया कि कि दो दिन पहले सपा अध्यक्ष को भेज दिया था।
Lok Sabha Elections 2024 : स्वामी प्रसाद मौर्या की पकड़ पिछड़ा वोटबैंक में अच्छी
चर्चा यह भी है कि पीडीए (पिछड़े, दलित व अल्पसंख्यकं) नेताओं को जोड़कर स्वामी प्रसाद मौर्य एक नए राजनीतिक संगठन के साथ सामने आ सकते हैं। इसमें सपा के उनके समर्थक भी शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा, ’22 फरवरी को दिल्ली में कार्यकर्ताओं का समागम होगा और उसी दिन फैसला सुनाया जाएगा… जब सपा के संगठन में ही भेदभाव है, एक राष्ट्रीय महासचिव का हर बयान निजी हो जाता है… जब एक ही पद के लोगों में भेदभाव है और मैं भेदभाव के खिलाफ ही लड़ाई लड़ता हूं तो ऐसे पद पर रहने का औचित्य क्या है?’

सपा अध्यक्ष अखिलेश के बयान- ‘लाभ लेकर तो सभी चले जाते हैं‘, क लोगों पर स्वामी प्रसाद ने कहा, ‘विपक्ष नाव के में रहकर शेखचिल्ली बघारना ठीक तो ऐसे नहीं है। उन्होंने जो भी दिया है मैं उन्हें सम्मान के साथ वापस कर दूंगा।’ स्वामी सपा के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव से भी खासे नाराज दिखे। कहा उनकी भाषा में न सम्मान है न बातचीत का सलीका और तरीका आता है।
मायावती ने कहा- बसपा के बिना दाल नहीं गलने वाली
बसपा प्रमुख मायावती ने फिर दोहराया कि वह लोकसभा जाति व जनजाति का चुनाव अकेले ही लड़ेंगी। इंटरनेट मीडिया अकाउंट एक्स पर किए गए पोस्ट में उन्होंने साफ किया कि लोकसभा में बसपा द्वारा किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करने की बार-बार स्पष्ट घोषणा के बावजूद आए दिन गठबंधन संबंधी अफवाह फैलाना यह साबित करता है कि बसपा के बिना कुछ पार्टियों की सही से दाल गलने वाली नहीं है।
उन्होंने लिखा कि बसपा के लिए अपने लोगों का हित सर्वोपरि है। सर्वसमाज के गरीबों, शोषितों एवं उपेक्षितों के हित व कल्याण के मद्देनजर, बसपा का देश भर में अपने लोगों के सहारे अकेले अपने बलबूते पर लोकसभा आम चुनाव लड़ने का फैसला अटल है, लोग अफवाहों से सावधान रहें।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।