जानें क्या होते है हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स ? जिन पर योगी सरकार ने लगाया बैन !
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अभी हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स की बिक्री पर रोक लगा दिया है, सरकार का आरोप है कि हलाल सर्टिफिकेट के नाम पर अवैध कमाई की जा रही है और इस पैसे का उपयोग भारत विरोधी गतिविधियों में किया जा रहा है। बिना कोई अधिकार के कोई भी प्रोडक्ट्स को हलाल सर्टिफिकेट देना गैर क़ानूनी है और इसपर योगी सरकार का बुलडोजर चलने जा रहा है। मजहब की आड़ लेकर एक धर्म विशेष को बरगलाने और अन्य धर्मों के बीच विद्वेष भड़काने की इस नापाक कोशिश का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया है
लखनऊ कमिश्नरेट में एफआईआर की गयी दर्ज:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हलाल के मामले को संज्ञान में लेते ही लखनऊ कमिश्नरेट में एफआईआर दर्ज कर ली गयी है। एफआईआर के मुताबिक हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई, जमीयत उलेमा हिन्द हलाल ट्रस्ट दिल्ली, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुम्बई, जमीयत उलेमा महाराष्ट्र मुम्बई आदि की तरफ से एक धर्म विशेष के ग्राहकों को मजहब के नाम से कुछ उत्पादों पर हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स प्रमाणपत्र प्रदान कर उनकी बिक्री बढ़ाने के लिए अवैध कारोबार चलाया जा रहा है। इन कंपनियों के पास किसी उत्पाद को प्रमाण पत्र देने का कोई अधिकार नहीं है।
क्या है हलाल सर्टिफिकेट ?

हलाल सर्टिफिकेट का उपयोग सर्वप्रथम 1974 में गले की नसों को काटकर वध किये गए यानि जिबह किये गए जानवरों के मांस के लिए शुरू किया गया था और 1993 तक यह केवल जिबह मांस के उत्पादों पर ही लागु था। लेकिन उसके बाद यह अन्य सौंदर्य प्रसाधनों और खाद्य पदार्थों पर भी जारी किया जाने लगा।
अरबी में हलाल का अर्थ :
हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स अरबी में हलाल का अर्थ सरियत या इस्लामिक कानून के हिसाब से तैयार किये गए भोजन से है। यह पहले जानवरो के मांस के लिए कानून था, जिसका मलतब ऐसे मांस से था जो किसी जानवर के गले की केवल नसों को काटकर यानि तड़पाकर यानि जिबह कर मारा गया हो से था। उसे रीढ़ की हड्डी यानि झटके से नहीं मारा गया हो से था।
हलाल पर प्रतिबन्ध के लिए सुप्रीम कोर्ट में पड़ी है याचिका:
ज्ञात हो की 2022 में एक याचिका डालकर हलाल सर्टिफिकेशन पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने की मांग की गयी थी। याचिका में कहा गया गया था कि 15% आबादी की वजह से 85% आबादी के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है।
क्यों मचा है बवाल?
हलाल पर काफी समय से हिन्दू संगठनों द्वारा प्रतिबंध की मांग की जाती रही है, इसका मुख्य कारण है कि शाकाहारी उत्पादों जैसे तेल, साबुन, टूथपेस्ट, मधु आदि की बिक्री के लिए भी हलाल प्रमाण पत्र दिया जा रहा है। जबकि शाकाहारी वस्तुओं पर ऐसे किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे में हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स की बिक्री गलत और गैर क़ानूनी है।
यह भी जानें :
शिकायत में हलाल सर्टिफिकेट से प्राप्त फण्ड से राष्ट्र विरोधी गतिविधि की आशंका :

शिकायत कर्ता ने आरोप लगाया ही कि इन कंपनियों के द्वारा हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स से करोड़ों रुपये का लाभ कमाकर उससे आतंकवादी संगठनों और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की फन्डिंग किए जाने की आशंका है। शिकायत कर्ता ने अपील की है की मजहब की आड़ लेकर एक वर्ग विशेष में अनर्गल प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। सभी लोग ऐसे उत्पाद का प्रयोग न करें जिसे इनकी कम्पनी द्वारा हलाल प्रमाणपत्र दिया गया हो
बता दें कि भारत में खान-पान के उत्पादों की गुणवत्ता आदि के प्रमाण पत्र के लिए एफएसएसएआई और आईएसआई जैसी संस्थाओं को अधिकृत किया गया है। जो प्रमाण पत्र जारी करती है और सुनिश्चित करती है की ग्राहक को अच्छी गुणवत्ता का उत्पाद प्राप्त हो सके।
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