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धनतेरस के लिए शुभ मुहूर्त: पूजा का सही समय

Dhanteras जिसे हम भारतीय समाज में धन और समृद्धि का सौभाग्यपूर्ण दिन मानते हैं, एक ऐसा मौका है जब हर कोई अपनी जेब को मोटा करने की योजना बना रहा है और भगवान धन्वंतरि की कृपा से अपने घर में धन और समृद्धि का पौधा बोने का सपना देख रहा है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि इस धनतेरस, आपकी पूजा का सही समय क्या होना चाहिए? और कैसे आप अपनी धनतेरस पूजा को एक हंसी-में-भरी घड़ी बना सकते हैं?

Dhanteras
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धनतेरस की सुबह :-

Dhanteras का दिन होते ही, सबका ध्यान पूजा के लिए मुहूर्त पर जाता है। कहते हैं, ‘समय का महत्व है’, लेकिन धनतेरस में समय का ही नहीं, मुहूर्त का भी बड़ा महत्व है। एक बार मुहूर्त बिता दिया तो श्रीलक्ष्मी जी कहीं ना कहीं आपके द्वार पर खड़ी न रह जाएँ । अब यह एक ऐसा मौका है जब हर कोई विचार कर रहा है कि ‘कहीं तो सुबह का वक्त ना निकल जाए बिना धनतेरस का पूजा आरंभ कर दूं’।

पूजा के लिए विशेष मुहूर्त का इंतजार करना, व्यक्ति को अपने घर में एक सुखी चेहरे के साथ बैठा देता है, क्योंकि कोई भी अपने दरवाजे पर ‘लक्ष्मी जी’ का स्वागत बिना विशेष मुहूर्त के नहीं करना चाहता। इसलिए, धनतेरस के मौके पर लोग अपने घड़ी की सुई की तरफ देखते रहते हैं, क्योंकि आज तो ‘धन’ का ही सवाल है, बाकी का तो कल है!

इस धनतेरस, आप भी तैयार हो जाएं और धन और समृद्धि के साथ हंसी-में-भरी पूजा का समय निकालें। हंसते रहें, पूजा करें, और धन्वन्तरि जी का स्वागत करें!

1. धनतेरस का महत्व और इसका सामाजिक संदेश

Dhanteras
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धनतेरस का महत्व:

Dhanteras हिन्दी पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, जो हमारे समाज में धन, धान्य, और समृद्धि की मंगलकामना को लेकर आता है। इस दिन, लोग धन्वंतरि भगवान की पूजा करके आपसे धन का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। धनतेरस का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे दिवाली के पहले दिन के रूप में माना जाता है, जिससे नए साल की शुरुआत धन और समृद्धि के साथ होती है।

Dhanteras के दिन लोग अपने घरों को सजाकर उसे धन का मंगलिक अंग देते हैं और स्वर्ण, चांदी, या किसी भी नए धन से उपहारों को स्वीकार करते हैं। इसका अर्थ है कि धनतेरस का महत्व न केवल आर्थिक संदर्भों में है, बल्कि यह सामाजिक और आध्यात्मिक संदेशों का भी संवेदनशीलता से भरपूर है।

शुभ मुहूर्त का अर्थ और महत्व:

“शुभ मुहूर्त” शब्दों के पीछे छिपा हुआ अर्थ है समय का महत्व। हिन्दी पंचांग और ज्योतिष विज्ञान के अनुसार, विशेष समयों में किए गए कार्यों का अधिक महत्व होता है और इनमें अधिक सफलता प्राप्त होती है।Dhanteras पर शुभ मुहूर्त का चयन करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन पूजा करने से धन और समृद्धि का अधिकार प्राप्त हो सकता है।

शुभ मुहूर्त का अनुसरण करने से हम अपने कार्यों को सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचा सकते हैं और नई शुरुआतों में सफलता की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। इसलिए, Dhanteras के इस पवित्र दिन पर शुभ मुहूर्त का अवलोकन करना हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

२. शुभ मुहूर्त का महत्व:

हिन्दू धार्मिक दृष्टिकोण से शुभ मुहूर्त का महत्व:

Dhanteras हमारे समृद्धि और धर्म के अद्वितीय संस्कृति में, “शुभ मुहूर्त” शब्दों का महत्वपूर्ण स्थान है। हिन्दू धर्म में विभिन्न कार्यों को करने के लिए विशेष समय का चयन करना एक महत्वपूर्ण आदत है। शुभ मुहूर्त का अध्ययन करने का उद्देश्य किसी भी कार्य को शुभता और सफलता के साथ सम्पन्न करना है। यह मन्तव्य है कि समय के अनुसार किए गए कार्यों में अधिक सफलता मिलती है।

धार्मिक दृष्टिकोण से शुभ मुहूर्त का अध्ययन करना हमें यह बताता है कि कौन-कौन से समय कार्यों के लिए उपयुक्त हैं और कौन-कौन से नहीं। धर्मशास्त्रों के अनुसार, शुभ मुहूर्त का चयन करने से उपास्य देवताओं की कृपा बढ़ती है और व्यक्ति हर कार्य में सफलता प्राप्त करता है। इसके अलावा, शुभ मुहूर्त में किए गए कार्यों से नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम होता है और सबकुछ मंगलमय होता है।

शुभ मुहूर्त का धनतेरस पूजा में योगदान:

Dhanteras जिसे हम धन्वन्तरि भगवान जी के पूजा के रूप में मनाते हैं, इस धार्मिक उत्सव में शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व है। लोग इस दिन धन्वन्तरि पूजा के लिए उचित समय का चयन करके इस महत्वपूर्ण दिन को और भी शुभ बनाना चाहते हैं।

Dhanteras पूजा में शुभ मुहूर्त का योगदान करने से व्यक्ति न केवल अपने घर को श्री धन्वन्तरि भगवान की कृपा से भरा-पूरा महसूस करता है, बल्कि उसकी आत्मा में भी शांति और सुख का आभास होता है। शुभ मुहूर्त का पूरी तरह से अनुसरण करने से पूजा के कार्य में भगवान का आशीर्वाद मिलता है और साल भर स्वस्थ्य काया धन, समृद्धि, और खुशियों का संयोग बना रहता है।

इस रूप में, हम देख सकते हैं कि शुभ मुहूर्त का अध्ययन धनतेरस पूजा में हमारे धार्मिक और सामाजिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और हमें इसे समझने का अवसर मिलता है।

3. शुभ समय का चयन कैसे करें:

धनतेरस के लिए उपयुक्त मुहूर्त का चयन करने के लिए गाइडेंस:

Dhanteras के पावन दिन पर शुभ समय का चयन करना एक विशेष और महत्वपूर्ण कार्य है जो हमें समृद्धि और शांति की ओर पहुंचा सकता है। यहां हम देखेंगे कि कैसे धनतेरस के लिए उपयुक्त मुहूर्त का चयन करने के लिए कुछ गाइडेंस हो सकती हैं:

  1. पंचांग का अध्ययन: धनतेरस के कुछ दिन पहले पंचांग की जाँच करें और उपयुक्त मुहूर्त की जानकारी प्राप्त करें। पंचांग में दिन के विभिन्न समय को देखकर आप शुभ समय का चयन कर सकते हैं।

  2. ज्योतिष सलाह: अगर आपके पास ज्योतिषीय ज्ञान नहीं है, तो एक विशेषज्ञ ज्योतिषी से संपर्क करें। वे आपको विशेष रूप से धनतेरस के लिए शुभ मुहूर्त की सलाह देंगे और आपके क्षेत्र के अनुसार सटीक समय बताएंगे।

  3. स्थानीय परंपरा और पुराने संस्कृति की सुनें :Dhanteras के अवसर पर स्थानीय परंपराओं और पुराने आदान-प्रदान की गहराईयों में विश्वास करें। कई समुदायों में पुराने ग्रंथों और आचार्यों की सलाह का महत्वपूर्ण स्थान है, जो आपको योग्य मुहूर्त के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं।

ज्योतिष और परंपरागत विश्वासों का रोल:

ज्योतिष और परंपरागत विश्वास धर्मिक और सांस्कृतिक आधारों पर आधारित होते हैं और इनका धनतेरस में शुभ समय का चयन में महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। ज्योतिष के अनुसार, विशेष समयों में किए गए कार्यों का अधिक महत्व होता है और उनमें अधिक सफलता प्राप्त होती है। परंपरागत विश्वास भी हमें कार्यों को धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भों में स्थानांतरित करने का मार्गदर्शन कर सकते हैं।

इस रूप में, Dhanteras के शुभ समय का चयन करने के लिए ज्योतिष और परंपरागत विश्वासों को एक साथ मिलाकर आप अपने जीवन में सफलता और शुभ लाभ पा सकते हैं।

4. 10 नवम्बर 2023 को धनतेरस के लिए शुभ मुहूर्त

उदयातिथि के अनुसार,Dhanteras 10 नवंबर यानी आज मनाई जा रहा है. इस बार धनतेरस की त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर यानी आज दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 11 नवंबर यानी कल दोपहर 1 बजकर 57 मिनट पर होगा प्रदोष काल- शाम 05 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगा 

धनतेरस10 नवम्बर 2023 में खरीदारी मुहूर्त ?

अभिजीत मुहूर्त 10 नवंबर को Dhanteras पर सुबह 11:43 मिनट से लेकर 12:26 तक है। यह सबसे अच्छा शुभ मुहूर्त है। शुभ चौघड़िया मुहूर्त सुबह 11:59 से दोपहर 1:22 तक है
और तीसरा मुहूर्त शाम 4:07 मिनट से लेकर शाम 5:30 मिनट तक रहेगा।

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5. विशेष धनतेरस पूजा विधि:

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Dhanteras पूजा की विशेष रीति-रिवाज़ और कदम:

Dhanteras पूजा, जिसे लोग आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वन्तरि की कृपा प्राप्त करने के लिए करते हैं, विशेष रूप से रीति-रिवाज़ से भरी होती है। यह एक पवित्र पूजा है जो उत्तम स्वास्थय की प्राप्ति के लिए की जाती है। यहां हम धनतेरस पूजा की विशेष विधि पर चर्चा करेंगे:

  1. शुभ संकल्प:

    • पूजा की शुरुआत में, विशेष रूप से संकल्प लें कि आप धनतेरस पूजा को भक्ति भाव से कर रहे हैं और भगवान धन्वन्तरि से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं।
  2. कलश स्थापना:

    • एक कलश में पानी, सुपारी, लौंग, इलायची, सोने के सिक्के और फूल स्थापित करें। इसे पूजा स्थल पर स्थापित करें और उसे अपनी पूजा के लिए प्रसाद के रूप में फल मिष्ठान रखें।
  3. धन्वन्तरि भगवान् की पूजा :

    • Dhanteras पूजा में धन्वन्तरि भगवान् की पूजा होती है। धन्वन्तरि भगवान की मूर्ति या चित्र को धूप, दीप, फूल, और नैवेद्य से पूजें।
  4. धनतेरस कथा का पाठ:

    • पूजा में धनतेरस कथा का पाठ करें, जिसमें आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वन्तरि की कथा होती है।
  5. श्रीफल पूजा:

    • एक श्रीफल को सुगंधित तेल से सजाकर उसे पूजा के दौरान प्रदर्शित करें और उसे विशेष रूप से पूजनीय मानें।
  6. आरती और प्रदक्षिणा:

    • पूजा के अंत में धन्वन्तरि भगवान् की आरती गाएं और मूर्ति के चारों ओर प्रदक्षिणा करें।

पूजा के लिए आवश्यक वस्त्र और उनका प्रतीकात्मक महत्व:

पूजा के लिए विशेष रूप से आवश्यक वस्त्रों का उपयोग करना एक महत्वपूर्ण परंपरागत अंग है। यह वस्त्र पूजा की पवित्रता को बढ़ाते हैं और उन्हें विशेषता प्रदान करते हैं।

त्रिफला समर्पण :

इसे भगवान धन्वन्तरि के मूर्ति के पास रखना शुभ होता है। यह स्वस्थ जीवन के लिए अमृत माना जाता है जिसके सेवन से हमारे सरीर में व्याप्त वात, पित्त, कफ साल भर संतुलित रहते है ।

चन्दन:

धनतेरस पूजा में चन्दन का विशेष महत्व है। इसे मूर्तियों पर लगाने से आशीर्वाद में वृद्धि होती है और वातावरण पवित्र बनता है।

केसरिया वस्त्र:

भगवान धन्वन्तरि के लिए केसरिया वस्त्र पहनना शुभ होता है। यह सौभाग्य और समृद्धि को बढ़ावा देता है।

आयुर्वेदिक औषधीयाँ जड़ी बूटी :

Dhanteras: पूजा के दौरान और्वेदिक जड़ी बूटियाँ भी रखे जाते हैं जो धन्वन्तरि भगवान आशीर्वाद के प्रतीक होते हैं और स्वास्थ्य वृद्धि के लिए संकेत होते हैं।

इस प्रकार, Dhanteras पूजा के दौरान इन विशेष रूप रीतिरिवाज़ों और पूजा के लिए आवश्यक वस्त्रों का उपयोग करने से पूजा का महत्व एवं शक्ति में वृद्धि होती है और भक्त को आशीर्वाद प्राप्त होता है।

6. पूजा के बाद: टिप्स और अनुसंधान:

Dhanteras पूजा का समय एक अद्वितीय और शांतिप्रद समय होता है जब हम आयुर्वेद के स्वामी के समीप होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर पाते हैं। इसके बाद कुछ महत्वपूर्ण टिप्स और अनुसंधान की आवश्यकता होती है जो हमें इस धार्मिक प्रक्रिया को सही तरीके से समाप्त करने में मदद कर सकती हैं।

  1. आदर्श पर्यावरण की रखरखाव:
    • पूजा के बाद, पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखना महत्वपूर्ण है। ध्यान दें कि दीप, फूल, और अन्य पूजा सामग्री को सुरक्षित रखें और आदर्शता से संभालें।
  2. आत्मिक आत्मा को स्थायी बनाएं:
    • पूजा के बाद, अपनी आत्मिक आत्मा के साथ सम्बंध स्थायी बनाएं। इसके लिए ध्यान और मेधावी क्रियाएं अपनाएं जो आपकी आत्मिक उन्नति में मदद कर सकती हैं।
  3. दान और सेवा का अभ्यास:
    • पूजा के बाद, दान और गरीबों की सेवा करें। अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति सहयोग करना और दरिद्रों की मदद करना आत्मिक सुख प्रदान करता है।
  4. शांति और सुख-शांति के लिए थोड़ा समय आत्म समीक्षा रूप में निकालें :
    • पूजा के बाद, थोड़ा समय ध्यान और आत्मसमीक्षा का निकालें। इससे आपको शांति और सुख-शांति मिलेगी और आप जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से देख सकेंगे।
  5. संगीत और मनोहर गाने:
    • पूजा के बाद, मनोहर संगीत और ध्यानात्मक गाने सुनना भी शांति में मदद कर सकता है। यह आपके मन को प्रशान्ति और आत्मिक संबंध में सहारा प्रदान करेगा।
    • समर्पण और श्रद्धांजलि:
    • पूजा के बाद, अपनी पूरी भावना को संगीत के साथ देवी लक्ष्मी को समर्पित करें। श्रद्धांजलि अर्पित करना और आभास करना कि आपने पूजा को विशेषता से मनाया है।

7. धन्वन्तरि भगवान की कथा :-

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कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को हम Dhanteras मनाते हैं, जिसमें समुद्र मंथन के रूप में धन्वंतरि भगवान का प्रकट होना एक अद्वितीय घटना है। इस दिन का महत्वपूर्ण पौराणिक कथा हमें हमारी संस्कृति और धार्मिक तत्त्वों को समझने का अवसर प्रदान करती है:

कथा का संक्षेप:

Dhanteras  के दिन भगवान धन्वंतरि का प्रकट होना समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। समुद्र मंथन विषयक पौराणिक कथा अनुसार, देवता और असुर मिलकर समुद्र को हलाहल विष पीने का निर्णय करते हैं। इस समय, समुद्र से निकलने वाले अमृत की खोज में भगवान धन्वंतरि का प्रकट होना हुआ। वे अमृत कुम्भ के साथ समुद्र से प्रकट होते हैं और उनके हाथ में अमृत कलश होता है। इससे असुरों और देवताओं के बीच महायुद्ध होता है, जिसमें देवताएं विजयी होती हैं और वे अमृत को प्राप्त करती हैं।

कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का महत्व:

आयुर्वेद में महत्वपूर्ण रोल:

इस दिन धन्वंतरि जयंती को धन्य त्रयोदशी भी कहा जाता है और यह दिन आयुर्वेद में भगवान धन्वंतरि के जन्म के रूप में महत्वपूर्ण है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसे स्वस्थ जीवन और रोग प्रतिरोध को बढ़ावा देने वाला एक शुभ दिन माना जाता है।

धन्वंतरि पूजा और आराधना:

भक्त इस दिन धन्वंतरि भगवान की पूजा और आराधना करते हैं ताकि उनसे आयुर्वेदिक उपचारों के लिए आशीर्वाद प्राप्त हो।

रोग निवारण और स्वस्थता के लाभ:

इस दिन को विशेष रूप से स्वस्थ जीवन की दिशा में मनाने का सुझाव दिया जाता है, ताकि लोग धन्वंतरि भगवान से रोग निवारण और अच्छे स्वास्थ्य के लाभ की कामना कर सकें।

धन्वंतरि होम और व्रत:

कुछ लोग इस दिन धन्वंतरि होम और व्रत करते हैं ताकि वे आयुर्वेदिक ज्ञान और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति के लिए भगवान से कृपा प्राप्त कर सकें।

Dhanteras: इस दिन को धन्वंतरि जयंती के रूप में मनाकर हम भगवान की कृपा और आशीर्वाद से स्वस्थ और खुशहाल जीवन की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। इस अद्वितीय दिन को धार्मिकता और स्वस्थ जीवन की दृष्टि से मनाने से हम अपने जीवन को एक नई दिशा में मोड़ सकते हैं।

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