भारतीय संस्कृति में तुलसी का विशेष महत्व है। औषधीय गुणों के साथ इसमें दैवीय रूप भी समाहित है।
तुलसी हिंदू धर्म में पूजनीय और पवित्र पौधे के रूप में माना जाता है। तुलसी की पत्तियों का उपयोग पूजा-पाठ में किया जाता है। जिस तरह से आम के पत्तों का मांगलिक कार्यो में महत्व है, उसी तरह तुलसी भी महत्वपूर्ण है। शास्त्रों में तुलसी के पौधे को देवी लक्ष्मी का रूप माना गया है। जो भगवान विष्णु की पत्नी है। इसीलिए तुलसी को “हरिप्रिया” के नाम से भी जाना जाता है।
जिन घरों में तुलसी की नियमित पूजा और आरती होती है, वहां सदा ही सुख-समृद्धि का वास रहता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, यदि घर में तुलसी के पौधे को रोपित किया जाए तो नकरात्मक ऊर्जा कभी प्रवेश नहीं कर सकती है। तुलसी की नियमित पूजा से भगवान विष्णु की कृपादृष्टि सदा ही बनी रहती है। आइए इस तुलसी पूजन दिवस पर जानते हैं महत्वपूर्ण तथ्य:
तुलसी के पौधे में सबसे ज्यादा औषधीय गुण पाए जाते हैं। तुलसी का पौधा सकारात्मक ऊर्जा और अच्छे विचारों का स्त्रोत है। नियमित तुलसी पाठ करने से इच्छाओं के अनुरूप फल की प्राप्ति होती है। वेद-पुराणों में वर्णित है कि तुलसी पूजन से जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है। तुलसी के पौधे में नियमित जल देने से घर में शांति और जीवन में प्रगति दोनों बनी रहती है।

25 दिसंबर को मनाया जाता है तुलसी पूजन
भारत में 25 दिसंबर को कई त्यौहार मनाए जाते हैं। जिनमें तुलसी पूजन दिवस महत्वपूर्ण है। इस दिन हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग अपने-अपने घरों में तुलसी की पूजा पूरे विधि-विधान से करते हैं। वर्ष 2014 से भारत में तुलसी पूजन की शुरूवात हुई। आने वाली पीढ़ियों को सनातन संस्कृति और हिंदू धर्म से जोड़े रखने के लिए तुलसी पूजन दिवस मनाने मनाया जाता है।

अक्सर देखा जा रहा है कि भारत में पश्चिमी सभ्यता ने हिंदू समाज में अपनी जड़ें जमा ली हैं। नई पीढ़ी के माता-पिता अपने बच्चों को पश्चिमी सभ्यता के साथ जोड़े रखना पसंद करते हैं। ऐसे में नई पीढ़ी की पौध सनातन संस्कृति से दूर होती जा रही है।
तुलसी स्वास्थ्य और वैदिक रूप से पूजनीय पौधे के साथ ही मोक्षदायिनी भी माना गया है। अंतिम समय में व्यक्ति को गंगा जल और तुलसी की पत्तियां दी जाती है। जिससे व्यक्ति सीधे स्वर्ग में श्री हरि के चरणों में गमन कर सके।

तुलसी के औषधीय गुण
तुलसी एक दैवीय पौधा होने के साथ ही औषधीय पौधा भी है। तुलसी की पत्तियों, टहनियों, जड़ों में हर रोग का इलाज है। तुलसी में विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। तुलसी की पत्तियां शरीर से रोगों को दूर करने वाली और शक्ति और फुर्ती पैदा करने वाली गुणों से भरपूर होती है। भारत में तुलसी मुख्यतः दो प्रकार की पाई जाती हैं। श्वेत और कृष्ण तुलसी प्रमुख हैं, जिन्हें क्रमशः कृष्ण और राम तुलसी भी कहा जाता है।

तुलसी के पौधे में पत्तियों वाला भाग ज्यादा गुणकारी होता है। इन्हें सीधे पौधे से लेकर खाया जा सकता है। हालांकि, पत्तों के साथ ही बीजों के भी अपने औषधीय गुण हैं। तुलसी की पत्तियों और बीजों का चूर्ण भी बनाकर उपयोग किया जाता है। सर्दियों में तुलसी की चाय या काढ़े के नियमित सेवन से सर्दी, जुखाम जैसी समस्याएं नहीं होने पाएंगी।
तुलसी की पत्तियों के रस की बनी दवा उपयोग कफ-वात, सिरदर्द, रतौंधी, पेट दर्द, बुखार, हृदय से जुड़ी समस्या, संक्रमण जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाती हैं। राम तुलसी की तुलना में कृष्ण तुलसी का महत्व अधिक होता है।

Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।
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