>
शौर्य दिवस

“शौर्य दिवस” विवादित ढांचा विध्वंस या भारतीय संस्कृति को बचाने वाले बलिदानी कारसेवकों की याद में मानते है ? जानें….

भारत के इतिहास में 6 दिसंबर की तारीख हिंदुओं के लिए शौर्य दिवस के रूप में मनाई जाती है। इस दिन अलग-अलग हिंदू संगठन अपने-अपने स्तर से शौर्य दिवस मनाते हैं। इस दिन उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। जी हां, इस पूरी घटना को बाबरी विध्वंस के नाम से जाना जाता है। उस दिन अयोध्या में देखते ही देखते इस घटना ने हिंसक रूप ले लिया था। जिसके कारण कई कारसेवकों को अपनी जान भी गवानी पड़ी। इस घटना की चर्चा पूरे देश में हुई, और हिंदू संगठनों ने इस दिन को भविष्य में “शौर्य दिवस” मनाने का निर्णय लिया। आइए जानते हैं अयोध्या में 6 दिसंबर को क्या और क्यों हुआ था।

इतिहास के पन्ने…

 शौर्य दिवस इस पूरी घटना को जानने और समझने के लिए इतिहास के पन्नों को भी पलटना जरूरी है। हमारा देश भारत पहले सोने की चिड़िया कहा जाता था। यह धरती राम और कृष्ण की धरती के नाम से जानी जाती थी। वेदों और पुराणों में लिखा गया है कि त्रेता युग में भगवान श्री राम ने बुराई के अंत के लिए मानव अवतार लिया तो वहीं श्री कृष्ण ने द्वापर युग में बुराई के अंत के लिए मानव का अवतार लिया था। भगवान श्री राम ने अयोध्या के राजा दशरथ के यहां जन्म लिया था और भगवान श्री कृष्ण ने अयोध्या के ही निकट मथुरा में जन्म लिया था। यहीं कारण है कि हिंदू धर्म को मानने वालों में अयोध्या और मथुरा तीर्थस्थल ही हैं।

शौर्य दिवस
श्री राम मंदिर (मॉडल)

भारत में हर तरह की धन संपदा होने के कारण यह संपन्नता से भरा राष्ट्र हुआ करता था। धीरे-धीरे समय बीता और अरब देशों के मुसलमानों की नजर भारत पर पड़ी। उन्हें यहां काफी मात्रा में धन दिखाई दिया। इस धन को लूटने के लिए उस समय के सुल्तानों ने यहां आक्रमण किए और ढेर सारा धन लूटा। धीरे-धीरे यह मुस्लिम आक्रांताओं में एक परंपरा सी बन गई। एक के बाद एक मुस्लिम आक्रांता आने लगे और भारत के हर हिस्से को लूटते चले गए।

मुस्लिम शासक जिन्होंने भारत पर हुकूमत किया

कई मुस्लिम आक्रांता तो भारत को लूटने के उद्देश्य से आते थे, लेकिन कुछ ऐसे मुस्लिम शासक हुए जिन्होंने भारत पर हुकूमत भी करनी चाही। खिलजी, गोरी, तुगलक ऐसे कई वंश हुए जिन्होंने भारत की गद्दी पर बैठकर राज किया और यहां के लोगों का इस्लामी करण भी किया।

भारत अब हिंदुस्तान के नाम से भी जाना जाने लगा था। यह मुस्लिम सुल्तान सेना और अन्य संसाधनों से इतने पूर्ण थे कि भारत के हिन्दू राजा इनके सामने टिक नहीं पाते थे। हालांकि, महाराणा प्रताप और अन्य कुछ ऐसे हिन्दू राजा हुए जिन्होंने इन मुस्लिम आक्रमणकारियों को चुनौती दी। लेकिन, आपसी मतभेदों के कारण यह सफल नहीं पाए।
ऐसे में वर्ष 1526 का समय आ चुका था।

हिंदुस्तान में बाबर ने मुगल वंश की नींव रखी। वर्ष 1526 में तैमूर वंश के शासक बाबर ने पानीपत के मैदान में इब्राहिम लोदी से युद्ध किया। इस युद्ध में लोदी हार गया और मुगल वंश की नींव पड़ी। इसके बाद बाबर, हुमायूं, अकबर ने हिंदुस्तान की गद्दी पर राज किया। लगभग 800 सालों तक मुस्लिम शासकों का राज भारत में रहा।

कैसे बना विवादित ढांचा ?

 शौर्य दिवस
विवादित ढांचा

मुस्लिम शासकों ने न सिर्फ भारत पर राज किया, बल्कि यहां के लोगों का काफी संख्या में इस्लामीकरण भी किया। कई मंदिरों को तोड़ कर मस्जिद बनाई गई। इसी कड़ी में बाबर की सेना में मीर बकी नाम का एक सेनापति हुआ। इसी मीर ने उस समय अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया था।

दरअसल, 1528 में भगवान श्री राम के जन्मस्थान पर बने विष्णुपद मंदिर को तोड़ कर विवादित ढांचा का निर्माण किया गया। ऐसा, हिन्दू धर्म को मानने वालों का दावा था कि जिस जगह यह मस्जिद बनाई गई, उसी जगह भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। अंग्रेजी हुकूमत में भी कई हिंदू संगठनों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया जाता था, लेकिन हुकूमत इस पर कोई विशेष ध्यान नहीं देती थी। 15 अगस्त 1947 में देश आजाद होने के बाद भी कई प्रयास किए गए। जिसमें कोशिश की गई की उस स्थान को हिंदू संगठनों को दी जाए।

लेकिन, लगभग 500 सालों के बाद 1992 में कुछ हिंदुओं ने जिन्हें कारसेवक के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने इस विवादित ढांचा (बाबरी मस्जिद) को गिरा दिया। जिस दिन विवादित ढांचा को गिराया गया, उस दिन 6 दिसंबर की तारीख थी। विवादित ढांचा गिरने की घटना शहर में आग की तरफ फैल गई। देखते ही देखते पूरे अयोध्या को छावनी में तब्दील कर दिया गया। पुलिस-प्रशासन ने भी इसे काबू करने का प्रयास किया। कई कारसेवकों को अपनी जान भी गवानी पड़ी। इसीलिए इस दिन को और उन बलिदानियों को याद करते हुए बीते 30 सालों से हिन्दू संगठन शौर्य दिवस के रूप में मनाते हैं।

मा. सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

इस पूरे प्रकरण में देश की  सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को अयोध्या में राम मंदिर बनाने के पक्ष में फैसला सुनाया था. इस फैसले के तहत, 2.77 एकड़ की विवादित ज़मीन राम मंदिर बनाने के लिए दी गई. मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ ज़मीन देने का आदेश दिया गया । अब अयोध्या के कई साधु संतों का मत भी सामने आ रहा है कि अब इस दिन शौर्य दिवस के रूप में न मनाकर सौहार्द दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए। जिसका बहुत सारे संगठनों ने अनुसरण करना शुरू कर दिया है।

Rajesh Mishra
Writer at Hind Manch

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।

आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

By Rajesh Mishra

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं। आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

2 thoughts on “जानें हिंदू संगठन क्यों मनाते है 6 दिसंबर को “शौर्य दिवस”?”
  1. […] पक्ष की एकादशी शुरू हो रही है. यह तिथि 9 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 31 मिनट तक है.  उदयातिथि के आधार पर Utpanna Ekadashi का व्रत 8 […]

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »
error: Content is protected !!
  • Facebook
  • X (Twitter)
  • LinkedIn
  • More Networks
Copy link