वर्तमान विमान के जनक और उनके साथ हुए विश्वास घात की कहानी…………………..
Shivkar Bapuji Talpare का जन्म
आम भारतीयों सिर्फ वैदिक ग्रंथो में ही विमानों के बारे में पढ़ते थे। लेकिन, बापूजी ने ठान लिया कि वो इसे सच करके दिखाएंगे। अपने अध्ययन की मदद से Shivkar Bapuji Talpare ने विमान बनाने का काम शुरू कर दिया। लेकिन, Shivkar Bapuji Talpare के सामने एक बड़ी चुनौती थी कि वो विमान का सामान कहां से लाएंगे। बताते चलें कि जिस समय की यह बात है उस समय भारत में अंग्रेजी हुकूमत ने अपनी जड़ें जमा दी थी। अंग्रेजों को यह कतई पसंद नहीं था कि कोई भारतीय ऐसे अविष्कार करे। पैसों की तंगी और अंग्रेजों का डर दोनों बापूजी को विमान बनाने में आड़े आ रहा था।
मुंबई के चौपाटी में उड़ा विश्व का पहला हवाई जहाज

जैसे-तैसे Shivkar Bapuji Talpare ने विमान बनाना शुरू किया। सबसे पहले उन्होंने बांस की लकड़ियों से विमान का ढांचा बनाया और ईंधन के रूप में पारा धातु का उपयोग किया। वजन में हल्का होने के कारण पारे को ईंधन के रूप में प्रयोग किया गया। जिससे विमान आसानी से उड़ान भर सकता था। आखिरकार, विमान बनकर तैयार हो गया, अब बारी थी इसे आसमान में उड़ाकर नया इतिहास रचने की। इस विमान का नाम
वर्ष 1895 में Shivkar Bapuji Talpare विमान को उड़ाने के मुंबई के चौपाटी पर पहुंच गए। बापूजी की इस नई खोज पर उस समय ज्यादा लोगों को कोई भरोसा नहीं था। यहां तक कि उनकी इस उड़ान को देखने न तो कोई वैज्ञानिक और न ही कोई पत्रकार उस दिन वहां पहुंचे। उनके साथ कुछ मित्र, परिवारजन के लोग ही इस करिश्मे को देखने पहुंचे।
Shivkar Bapuji Talpare ने विमान उड़ाने की प्रक्रिया को शुरू किया, देखते ही देखते विमान धरती छोड़ आसमान की तरफ उड़ने लगा। Shivkar Bapuji Talpare की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा, उनका यह प्रयास सफल हो गया था। ऐसा कहा जाता है कि यह विमान 1500 फिट की ऊंचाई तक उड़ा था। इसके बाद विमान नीचे गिर गया। इधर बापूजी की कोशिश सफल हुई थी, लेकिन दूसरी बार वो सफल होंगे इसका उन्हें खुद संशय था। इधर उनके पास जो भी पैसा था, वो भी अब खत्म हो चुका था। दोबारा विमान बनाने के लिए उनके पास न तो सामान था और न ही पैसा था। इसके लिए उन्होंने कई व्यापारियों से पैसे की मदद मांगी लेकिन, सबने मना कर दिया। यहां तक कि वो बड़ोदा के राजा के पास भी गए, उन्होंने भी अपने हाथ खड़े कर दिए।
रेली ब्रदर्स ने किया धोखा
इतना कुछ होने के बाद इस बात की खबर अंग्रेजी हुकूमत को लग गई। अंग्रेजों ने उनके इस आईडिया को लेने के लिए साजिश रची। उन्होंने रेली ब्रदर्स नाम की एक कंपनी बापूजी के पास भेजी। कंपनी ने प्रस्ताव रखा कि हम आपको आर्थिक मदद देंगे, लेकिन बदले में उन्हें इस डिजाइन को देना होगा। बापूजी अंग्रेजों की इस चाल को समझ नहीं पाए और इस प्रस्ताव पर हामी भर दी।
डिजाइन मिलने के बाद कंपनी लंदन चली गई। वहां यह डिजाइन राइट बंधुओं के हाथ लग गई। डिजाइन हाथ लगने के बाद वर्ष 1903 में राइट बंधुओं ने विमान बनाकर अमेरिका के कैरेलिना समुद्र तट पर इसे पहली बार उड़ाया था। इसके बाद दुनिया में पहली बार विमान उड़ाने का श्रेय राइट बंधुओं के पास चला गया। इधर अंग्रेजों से धोखा मिलने के बाद Shivkar Bapuji Talpare भी अस्वस्थ रहने लगे और वर्ष 1916 में उनकी मृत्यु हो गई।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।
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