जहां राम मंदिर (Ram Mandir) में रामलला की मूर्ति की चर्चा हर जगह हो रही है।
वहीं अयोध्या में नवनिर्मित भव्य राम मंदिर (Ram Mandir) के डिजाइन, निर्माण स्तंभों, व दीवारों पर आकर्षक नक्काशी, मंदिर प्रांगण में जगह-जगह स्थापित मूर्तियों की इन दिनों हर और चर्चा है। राम मंदिर (Ram Mandir) को प्राचीन नगर शैली में बनाया गया है। पूरा राम मंदिर (Ram Mandir) 392 पर बनाया गया है। इसी के साथ राम मंदिर (Ram Mandir) के मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा और उनकी टीम की भी हर जगह चर्चा है। अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) ही नहीं नवनिर्मित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन को भी मंदिर स्थापत्य की तर्ज पर ही विकसित किया गया है।

इस तरह का निर्माण केवल अयोध्या में ही नहीं स्थापत्य पर सनातन संस्कृति का यह प्रभाव काशी के विश्वनाथ धाम और उज्जैन के महाकाल मंदिर में भी देखा जा सकता है। निर्माण की अद्भुत शैली को देखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि भारत में स्थापत्य कला को एक बार फिर से विकसित करने की कोशिश पुरजोर की जा रही है। सरकार की ओर से देश भर में बुनियादी ढांचे को विकसित करने पर जोर दिए जाने से हाल के वर्षों में कुशल आर्किटेक्ट्स की मांग तेजी से बढ़ गई है।

दरअसल, ऐसे विशेषज्ञों के पास देश की प्राचीन संस्कृति और परंपरा की सुरक्षित रखते हुए प्रकृति के अनुरूप विभिन्न सरकारी परियोजनाओं, आवासीय भवनों, वाणिज्यिक भवनों, औद्योगिक या फिर शैक्षणिक भवनों को डिजाइन करने की विशेषज्ञता होती है। जैसे-जैसे टिकाऊ पर्यावरण और ऊर्जा के अनुकूल इमारतें बनाने पर फोकस बढ़ रहा है। आर्किटेक्चर की जरूरत भी बढ़ती जा रही है इस क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं, काम करने की स्वतंत्रता तथा आकर्षक कमाई को देखते हुए युवा भी अब इस तरफ अधिक आकर्षित हो रहे हैं। आइए जानते हैं इस क्षेत्र में कैरियर संबंधी संभावनाएं
राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण के बाद बढ़ी आर्किटेक्ट्स की डिमांड
आर्किटेक्चर यानी वास्तु कला या स्थापत्य कला की पढ़ाई करने वालों को आर्किटेक्चर कहा जाता है। यह आर्किटेक्ट के रूप में ऐसे प्रोफेशनल्स किसी भी इमारत के निर्माण की योजना बनाने से लेकर उसके लेआउट डिजाइनिंग और देखरेख जैसे कामकाज करते हैं। ताकि बनने वाली इमारत लोगों के लिए सुविधाजनक हो और ऊर्जा बचाने वाली भी हो।

आर्किटेक्ट केवल बहु मंजिला इमारत भवनों की ही डिजाइनिंग नहीं करते हैं। पार्क,स्मारक, लैंडस्केप और राजमार्गों के निर्माण और उसकी डिजाइनिंग में भी इनकी सेवाएं ली जाती हैं। लोग भी अपने नए घरों को भव्य स्वरूप देने के लिए इसे डिजाइन बनवाना पसंद करते हैं। ताकि उपलब्ध स्थान का सदुपयोग हो सके और हर चीज व्यवस्थित जगह पर हो। पुराने स्मारकों, भवनों और राष्ट्रीय धरोहरों के जीर्णोद्धार जैसे कार्यो में भी इनकी सेवाएं ली जाती है।

स्थापत्य कला में आकर्षण का एक बड़ा कारण है कि यहां मनमुताभिक काम की सुविधा के साथ-साथ विविध रूपों में सरकारी और गैर सरकारी दोनों ही क्षेत्र में करियर की संभावनाएं हैं। आप अपनी पसंद योग्यता कौशल अनुभव और रचनात्मकता के आधार पर बिल्डिंग आर्किटेक्ट, कमर्शियल आर्किटेक्ट, हेरिटेज आर्किटेक्ट,।औद्योगिक आर्किटेक्ट, इंटीरियर आर्किटेक्ट, लैंडस्केप आर्किटेक्ट, लाइटिंग आर्किटेक्ट प्लानिंग आर्किटेक्ट रिसर्च आर्किटेक्ट आवासीय आर्किटेक्ट, शहरी आर्किटेक्ट, डिजाइनर आर्किटेक्चर, जैसे विभिन्न विभागों में अपना कैरियर बना सकते हैं।

आर्किटेक्चर में डिग्री कोर्स करने के बाद आर्किटेक्चर फर्म, सरकारी एजेंसियों, प्रतिष्ठानों तथा गैर लाभकारी संगठनों में सबसे अधिक जॉब के अवसर हैं। इस क्षेत्र में स्वरोजगार के भी अच्छे अवसर हैं। खुद का आर्किटेक्चर फर्म शुरू करके लोगों की लोगों को आर्किटेक्चर संबंधित सेवाएं भी आप दे सकते हैं। आर्किटेक्चर की फील्ड से कैरियर बनाने के लिए बैचलर आफ आर्किटेक्चर की डिग्री होना आवश्यक है।
आर्किटेक्चर के क्षेत्र में युवाओं के आकर्षित होने का एक बड़ा कारण यह भी है कि यहां सैलरी पैकेज बहुत अच्छा मिलता है। हालांकि यह काफी हद तक आपकी योग्यता कौशल अनुभव नियुक्ति पर निर्भर करता है।। फिर भी बीआर्क डिग्री धारी की शुरुआत में 30 से 40000 तक का मासिक वेतन आसानी से मिल जाता है। दो-तीन वर्षों के अनुभव के बाद 50 से ₹60000 तक मासिक वेतन मिलने लगता है। सामान्यत इस क्षेत्र में मजबूत पोर्टफोलियो और उच्च गुणवत्ता वाले कम से पहचान बनाने वाले कुशल पेशेवर हर महीने ₹100000 या इससे अधिक की सैलरी भी पा रहे हैं। स्वतंत्र रूप से भी काम करने वाले आर्किटेक्ट्स की कमाई की कोई सीमा नहीं है।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।