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खरमास

आज सूर्य वृश्चिक राशि को छोड़कर धनु राशि में जाएंगे।सूर्य का धनु राशि में प्रवेश खरमास कहलाता है। सामान्य बोलचाल में इसे खरमास और मलमास कहा जाता है। यह खरमास 16 दिसम्बर से 15 जनवरी तक 1 माह तक रहेगा। और इस 1 माह में मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते है।

शास्त्रों में सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह,मुंडन,ग्रह प्रवेश,जनेऊ संस्कार, के लिए महूर्त नहीं है।क्योकि जब सूर्य देव धनु और मीन राशि में प्रवेश करते है तो खरमास होता है।ऐसे में इस अवधि में विवाह,यगोपवित्र,मुंडन एवं ग्रह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य नहीं होते।इस दौरान सूर्य एक माह तक धनु राशि में रहेंगे।

खरमास साल में 2 बार आता है।गर्मी के सीजन में भी मई और जून में शुभ विवाह के मुहर्त नहीं रहेंगे।क्योकि इन दोनों माह में शुक्र ग्रह अस्त होने के कारण लोगो को इंतजार करना पड़ेगा।

खरमास में मांगलिक कार्य नहीं होने की यह है वजह:-

खरमास

 

●पंडितों के अनुसार सूर्य शिष्य है , और बृहस्पति गुरू है। और जब-जब सूर्य अपने गुरु के घर मे जाते है तो शिष्य होने के नाते सहज नहीं रह पाते।इसलिए सूर्य जब धनु और मीन राशि में जाते है तो असहजता के भाव के कारण मांगलिक कार्यो पर रोक लगा दी जाती है।

●चूंकि धनु और मीन राशि के स्वामी बृहस्पति होते हैं और किसी भी शुभ काम में बृहस्पति का शुद्ध होना आवश्यक है किंतु जब सूर्य इन दोनों राशियों में गोचर करते हैं तो बृहस्पति मलिन हो जाते हैं। इस कारण कोई भी मांगलिक काम मलमास के दौरान नहीं किए जाते हैं। यह मलमास 15 जनवरी के सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही समाप्त होगा। सूर्य की मकर संक्रांति से ही उत्तरायण का प्रारंभ होता है।

नए साल में अब इन तारीखों पर होंगे विवाह के मुहर्त:–

●खरमास के बाद नए साल में विवाह की शहनाई 16 जनवरी से गूंजेगी।इसके बाद 20,22,30,31 जनवरी को विवाह के मुहर्त है।फरवरी में 4,6,12,18,19 तक और मार्च में 2,3,4,5,6, को मांगलिक आयोजन हो सकेंगे। फिर वही मार्च मध्य और अप्रैल मध्य में खरमास रहेगा।अप्रैल में 18,21,22,23 जुलाई में 9,11,15 को विवाह के मुहर्त रहेंगे।

खरमास की कथा –

 

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं. सूर्यदेव को कहीं रुकने की अनुमति नहीं है, लेकिन रथ से जुड़े घोड़े लगातार दौड़ने और आराम न करने के कारण थक जाते हैं. घोड़ों की ऐसी हालत देखकर एक बार सूरज देवता का मन द्रवित हो गया।

जिसके बाद वे घोड़ों को तालाब किनारे ले गए. उन्हें यह आभास हुआ कि रथ रुक गया तो अनहोनी हो जाएगी. तब सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने और आराम करने के लिए वहीं छोड़ दिया. वह रथ में गधों को जोड़ा. गधों को सूरज देवता का रथ खींचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. इस दौरान रथ की गति धीमी हो जाती है. सूर्य देव एक माह में चक्र पूरा करते हैं. इस बीच घोड़ों ने भी आराम कर लिया. इसके बाद सूर्य का रथ पुनः अपनी गति में लौट आता है. इस तरह यह सिलसिला हर वर्ष जारी जारी रहता है।

500 साल बाद बन रहा राजयोग:-

मालवा के ज्योतिष डॉ. अशोक शास्त्री के मुताबिक़ खरमास में 500 साल बाद दिसंबर अंत में एक साथ कई ग्रहों के चाल बदलने से राजयोग का निर्माण होने जा रहा है। मंगल,शनि, बुध, गुरू, शुक्र,सूर्य की युक्ति से बुधादित्य, राजलक्षण, लक्ष्मी नारायण, रूचक,और मालव्य राजयोग बनने वाले है। सूर्य देव 16 दिसंबर को सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं।

इस दौरान सूर्य बुध मिलकर बुधादित्‍य राजयोग बनाएंगे। बुध 28 दिसंबर और शुक्र 25 दिसंबर को वृश्चिक राशि में प्रवेश कर रहे हैं, ऐसे में वृश्चिक राशि में बुध और शुक्र की युति से लक्ष्मी नारायण योग बन रहा है। वही शुक्र से मालव्य तो मंगल से रूचक राजयोग का निर्माण होने जा रहा है। माना जा रहा है कि ऐसा संयोग 500 सालों बाद बन रहा है, जो कई राशियों के लिए फलदायी साबित होने वाला है।

मलमास के देवता श्रीहरि विष्णु-

खरमास

मलमास को खरमास भी कहा जाता है। मलमास के देवता भगवान श्रीहरि विष्णु होते हैं। मलमास में विष्णु भगवान की नियमित पूजा आराधना करना चाहिए। पीले पुष्पों से श्रृंगार करके उन्हें गाय के देसी घी या घी से बनी मिठाई का नैवेद्य नियमित रूप से लगाना चाहिए।

सूर्य देव का भी करे पूजन:-

खरमास के दौरान सूर्यदेव की भी विशेष आराधना करना चाहिए। मलमास में नित्य प्रतिदिन सूर्यदेव को जल का अर्घ्य प्रदान करें और आयु आरोग्य की कामना करें। सूर्यदेव की प्रसन्नता के लिए नियमित रूप से लाल चंदन या केसर का तिलक मस्तक और नाभि पर लगाएं।

खरमास में करे यह काम :-

● रोज सुबह उठकर सूर्यदेव की आराधना करें और सूर्यदेव को अर्घ देना चाहिए।

●खरमास में जप,तप,दान का विशेष महत्व है। इससे सभी कष्ट दूर होते है।

●खरमास में गाय,ब्राह्मण की सेवा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

●खरमास में किसी पवित्र तीर्थ स्थान की यात्रा करनी चाहिए।

Lokendra Singh Tanwar
Auther at Hind Manch

लोकेन्द्र सिंह तंवर

आप मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के नागदा तहसील के रहने वाले हैं। आपने उज्जैन के विक्रम विश्विद्यालय से पत्रकारिता मास कम्युनिकेशन में एम.ए किया है। इससे पूर्व में नईदुनिया अखबार में एक वर्ष इंटरशिप किया है। जागरण,शिप्रा संदेश, दस्तक,अक्षर विश्व, हरिभूमि जैसे अखबारों में ऑथर के रूप में काम किया है। आप लोगो से मिलने ,उनके बारे में जानने, उनका साक्षात्कार करने उनके जीवन की सकारात्मक कहानी लिखने का शोक रखते हैं। साथ ही कुछ प्रोग्राम से जुड़ कर यूथ डेवलपमेंट व कम्यूनिटी डेवलोपमेन्ट पर भी काम कर रहे हैं।

आप  The Hind Manch में ऑथर के रूप में जुड़े हैं।

By Lokendra Singh Tanwar

लोकेन्द्र सिंह तंवर

आप मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के नागदा तहसील के रहने वाले हैं। आपने उज्जैन के विक्रम विश्विद्यालय से पत्रकारिता मास कम्युनिकेशन में एम.ए किया है। इससे पूर्व में नईदुनिया अखबार में एक वर्ष इंटरशिप किया है। जागरण,शिप्रा संदेश, दस्तक,अक्षर विश्व, हरिभूमि जैसे अखबारों में ऑथर के रूप में काम किया है। आप लोगो से मिलने ,उनके बारे में जानने, उनका साक्षात्कार करने उनके जीवन की सकारात्मक कहानी लिखने का शोक रखते हैं। साथ ही कुछ प्रोग्राम से जुड़ कर यूथ डेवलपमेंट व कम्यूनिटी डेवलोपमेन्ट पर भी काम कर रहे हैं। आप  The Hind Manch में ऑथर के रूप में जुड़े हैं।

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