डीप फेक (Deep Fake), एआई, चैट जीपीटी जैसे टूल्स ने इंटरनेट पर तहलका मचा दिया है।
जी हां, बढ़ती आधुनिकता ने इंसानों को मशीनों का आदी बना दिया है। छोटे-बड़े हर काम के लिए मशीनें बनी हुई है। बस एक बटन क्लिक करने की देर है, पलक झपकते काम पूरे हो जाते हैं। आज के दौर में कम्युनिकेशन और कंटेंट को सरल बनाने के लिए भी काफी टूल्स आ गए हैं। इन्हीं टूल्स में सबसे ज्यादा चर्चा इनदिनों डीप फेक (Deep Fake) की हो रही है। आखिर ये डीप फेक (Deep Fake) बला क्या है, इसने लोगों को इतना क्यों डरा दिया है। यहां तक पीएम मोदी से लेकर मेगा स्टार अमिताभ बच्चन तक इससे डरे हुए हैं। आइए जानते हैं की ये डीप फेक (Deep Fake) क्या है:
डीप फेक (Deep Fake) वीडियो क्या है, कैसे काम करता है
डीप फेक (Deep Fake) एक स्पेशल मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करके बनाया जाता है। जिसे डीप लर्निंग कहा जाता है। आसान भाषा में समझे तो डीप फेक (Deep Fake) वीडियो एक एडिटिंग वीडियो होता है, जिसमें किसी अन्य के फेस पर किसी दूसरे का फेस लगा देते हैं। इस तरह के फेक वीडियो में असली और नकली का फर्क कर पाना पहचानना बेहद मुश्किल होता है।
डीप फेक (Deep Fake) वीडियो किसी भी इंसान का बनाया जा सकता है। डीप फेक (Deep Fake) वीडियो बनाने के लिए AI टूल्स और मशीन लर्निंग का यूज़ किया जाता है। इस तरह की फोटो और वीडियो में छुपी हुई परतें होती हैं, जो सिर्फ एडीटिंग सॉफ्टवेयर से ही दिखाई पड़ती है। जानकर हैरानी होती है कि ये डीप फेक (Deep Fake) वीडियो-फ़ोटो नकली होते हुए, असली वाले से ज्यादा बेहतर लगते हैं।

अभी हाल ही में रश्मिका मंदाना के फेस को लगाकर एक डीप फेक (Deep Fake) वीडियो बनाया गया था। जो देखते ही देखते सोशल मीडिया और तेजी से वायरल हो गया था। यदि इस वीडियो में असली लड़की जारा पटेल सामने न आती तो इस डीप फेक (Deep Fake) वीडियो को सब रश्मिका का ही मान रहे थे। देश के पीएम मोदी और मेगास्टार अमिताभ बच्चन भी इस डीप फेक वीडियो को शिकार हो चुके हैं।

डीप फेक (Deep Fake) दो नेटवर्क की मदद से काम करता है। एक एनकोडर और दूसरा डिकोडर होता है। एनकोडर नेटवर्क असली कंटेंट को कहा जाता है। डीप फेक (Deep Fake) बनाने के लिए इनकोडर नेटवर्क असली कंटेंट का विश्लेषण करता है, इसके बाद कंटेंट को डिकोडर के पास भेजता है। इसके बाद फाइनल आउटपुट निकलता है जो हूबहू असली वाले कंटेंट से मैच खाता है। हालांकि, ये कंटेंट पूरी तरह से फेक होता है। इनदिनों लोग कई वेबसाईट और एप के थ्रू डीप फेक वीडियो बना रहे हैं।
डीप फेक (Deep Fake) वीडियो बनाने पर हो सकती है सजा
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इस तरह के फेक वीडियो को समझना बेहद ही कठिन काम है। इन्हें समझने के लिए वीडियो को बहुत ही बारीक से देखना होगा। फेस के एक्सप्रेशन, आंखों की हलचल, बॉडी स्टाइल और बॉडी कलर से ही असली और नकली में फर्क समझ आएगा। इन डीप फेक वीडियो को लोकेशन और ब्राइट नेस के आधार ओर भी असली और नकली में फर्क किया जा सकता है।

भारतीय कानून में डीप फेक (Deep Fake) वीडियो या पिक्चर बनाने पर सख्त सजा का प्रावधान है। यदि कोई भी व्यक्ति या तरह की वीडियो बनाता है, या शेयर करता है तो उसके खिलाफ IPC की धारा के तहत कानूनी कार्यवाही की जाएगी। इसी के साथ जुर्माने का भी प्रावधान है। यदि डीप फेक वीडियो से किसी की छवि को नुकसान पहुंचता है, ऐसे में वो मानहानि का केस भी कर सकता है। ऐसे में सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी IT नियमों के तहत कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।

Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।
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