राम मंदिर (Ram Mandir) प्राण प्रतिष्ठा को लेकर हाई कोर्ट में याचिका डाली गई है।
दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट में अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर (Ram Mandir) में आयोजित प्राण प्रतिष्ठा पर रोक लगाने की मांग की गई है। राम मंदिर (Ram Mandir) प्राण प्रतिष्ठा को लेकर शंकराचार्यों द्वारा उठाई गई आपत्तियों को आधार बनाकर इसे सनातन परंपरा के खिलाफ बताया गया है। याचिका में कहा गया है कि देश की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी इसे आगामी लोकसभा में मुद्दा बनाना चाहती है। जिससे ऐसी उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों पर इस मुद्दे का असर पड़ सकता है।
राम मंदिर (Ram Mandir) प्राण प्रतिष्ठा को लेकर यह याचिका हाईकोर्ट में गाजियाबाद के भोला दास की ओर से दाखिल की गई है। जिसमें कहा गया है कि आगामी 22 जनवरी को धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है। याची ने याचिका में जानकारी दी है कि 22 जनवरी को राम मंदिर (Ram Mandir) में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। यह प्राण प्रतिष्ठा पीएम मोदी के द्वारा की जाएगी और इसमें उत्तर प्रदेश के मुखिया सीएम योगी आदित्यनाथ भी हिस्सा लेने वाले हैं जो की पूर्णता गलत है। याची ने अपनी जनहित याचिका में इसके लिए कई आधार बताए हैं। याचिका में निम्न बिंदुओं को आधार बनाया गया है

याची ने अपनी याचिका में सबसे पहले यह बताया कि 25 जनवरी को पूर्णिमा है। पूर्णिमा से पहले सनातन परंपरा में किसी भी तरह के धार्मिक आयोजन आयोजित नहीं किया जा सकते हैं। इसी के साथ याची ने बताया कि पूस माह में किसी भी तरीके के मांगलिक कार्यों को करना वर्जित है। याची की ओर से कहा गया है कि यह प्राणप्रतिष्ठा गलत है, क्योंकि सनातन धर्म के अगुवा शंकराचार्यों की ओर से इस पर आपत्ति उठाई गई है।
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में पीएम सीएम का क्या काम
दाखिल याचिका में आगे बताया गया है कि राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माणाधीन है। राम मंदिर (Ram Mandir) में कई भाग अभी पूर्ण नहीं है। ऐसे में राम मंदिर (Ram Mandir) का सबसे महत्वपूर्ण भाग शिखर जो की बनकर तैयार नहीं है। ऐसे में अपूर्ण मंदिर में किसी भी देवी देवता की प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो सकती है।
दायर याचिका में यह भी कहा गया है कि पीएम और सीएम का पद संवैधानिक पद है। इन्हें किसी भी वर्ग विशेष के धार्मिक आयोजन में शामिल होने का कोई तुक नहीं है। यह संविधान के खिलाफ है क्योंकि भारत का संविधान भाईचारे को बढ़ावा देने वाला है। राम मंदिर (Ram Mandir) के प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में पीएम और सीएम का शामिल होना संविधान संगत नहीं है।

इस तरीके के धार्मिक अनुष्ठानों में पीएम सीएम के शामिल होने से देश में भाईचारे की भावना को झटका लगेगा। और वही याची अधिवक्ता अनिल कुमार बिंद ने बताया कि पीएम मोदी के कार्यक्रम पर रोक लगाने वाली जनहित याचिका मंगलवार को दाखिल हो गई है। कोशिश की जाएगी कि उसे पर हाईकोर्ट जल्दी सुनवाई कर याचिका स्वीकार कर ले
यह जनहित याचिका ऑल इंडिया लाॅयर्स यूनियन (एआईएलयू), उत्तर प्रदेश के राज्य अध्यक्ष अधिवक्ता नरोत्तम शुक्ल की ओर से दाखिल की गई है। याचिका में कुल चार लोगों को पक्षकार बनाया गया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता के समक्ष याचिका पर अविलंब सुनवाई के लिए प्रार्थना की गई। लेकिन, कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति की कोर्ट ने इसे अर्जेंट (अति आवश्यक) नहीं मानते हुए सुनवाई से इन्कार कर दिया।
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