ज्ञानवापी परिसर का मुद्दा अब एक नया रूप ले चुका है।
ज्ञानवापी परिसर की ASI रिपोर्ट सार्वजनिक हुई है। यह रिपोर्ट अदालत के आदेश पर हिंदू और मुस्लिम पक्ष को सौंपी गई है। वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम से सटे ज्ञानवापी परिसर में एक नया मोड़ आया है। दरअसल, ज्ञानवापी मुद्दे पर मंदिर पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि एएसआई सर्वे की रिपोर्ट से साफ हो गया है कि वहां पहले विशाल मंदिर था। और, उसके अवशेष पर मस्जिद बनवाई गई है। ऐसे में हिंदू पक्ष अदालत में ज्ञानवापी परिसर में नमाज पढ़ने पर रोक लगाने और पूजा पाठ की अनुमति के लिए प्रार्थना पत्र देने वाले हैं।
बताते चलें कि ऐसी मान्यता है कि वर्तमान मस्जिद जिस जगह पर खड़ी है। वहां कभी विश्वेशर महादेव का मंदिर हुआ करता था। लेकिन, मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने अपनी कट्टरपंथी सोच के कारण सभी हिंदू मंदिरों को तोड़कर उस जगह मस्जिदों का निर्माण करवाना शुरू किया। जिसमें ज्ञानवापी परिसर में भी एक हिन्दू मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई गई। ऐसा भी कहा जाता है कि मस्जिद बनने से पहले इसी जगह पर हिंदू भगवान शिव की पूजा करते थे। हालांकि, अब जब उस जगह का निरीक्षण किया गया तो ऐसी कई प्रतीक नजर आए, जो हिंदू मंदिर होने की और इशारा कर रहे हैं।
ज्ञानवापी के वजूखाने का भी हो सर्वे
मंदिर पक्ष जे वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि ज्ञानवापी सर्वे में एएसआई को अयोध्या से ज्यादा साक्ष्य मिले हैं। जिससे साफ हो जाता है कि ज्ञानवापी परिसर में भी एक विशाल हिंदू मंदिर रहा होगा। वहीं विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हम कोर्ट में ज्ञानवापी परिसर में स्थित पानी की टंकी (वजू खाने) के सर्वे की मांग भी करेंगे।

वहीं अंजुमन इंतजामियां मस्जिद के सचिव एस एम यासीन का कहना है कि सर्वे रिपोर्ट अदालत का फैसला नहीं है। रिपोर्ट पढ़ने के बाद हम ऊपर की अदालत में जाएंगे। जानकारी के लिए बता दें कि ईजिला जज के आदेश पर एएसआई सर्वे की रिपोर्ट गुरुवार को सभी पक्षकारों को सौंप दी गई थी। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि अयोध्या में हुए सर्वे के दौरान एएसआई को साक्ष्य तलाशने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी थी।
वहां मौजूद इमारत गिराई जा चुकी थी इसलिए साक्ष्य तलाशने के लिए काफी गहरी खुदाई करनी पड़ी थी। जबकि ज्ञानवापी में कई ऐसे साक्ष्य मौजूद है। जो इस पूरे परिसर को हिंदू मंदिर साबित करने के लिए काफी है। सर्वे रिपोर्ट में इनका विस्तार से उल्लेख किया गया है। पश्चिमी दीवार हो या तहखाना में मूर्तियां ऐसे कई साक्ष्य है जो बता रहे हैं कि वहां पहले मंदिर था।

एएसआई की सर्वे रिपोर्ट के बाद साफ होता है कि ज्ञानवापी परिसर में हिंदू मंदिर था। सर्वे रिपोर्ट में सनातन परंपरा में वर्णित स्वास्तिक, ॐ, कमल फूल होने के निशान मिले हैं। सर्वे रिपोर्ट में त्रिशूल, अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां भी मिली है।
वहीं हिंदू पक्ष के वकील ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट पर सवाल उठाना गलत है। हमें यह ध्यान देना चाहिए कि यह रिपोर्ट एएसआई ने बनाई है। जिसने अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि में अहम भूमिका निभाई है। ऐसे में इस तरह के सवाल उठाना सही नहीं है। विष्णु शंकर जैन ने कहा कि यह देश की विश्वसनीय एजेंसी है और सर्वे के लिए इसे अदालत में नियुक्त किया है।
यह एजेंसी विषय विशेषज्ञ के अलावा आधुनिक तकनीक की मदद भी लेती है। इसलिए इसके ऊपर किसी को शक नहीं करना चाहिए। ज्ञानवापी के सर्वे में अत्याधुनिक तकनीक की मशीनों का प्रयोग हुआ है। कई जगह के विषय विशेषज्ञों को इस सर्वे में शामिल किया गया। इससे अधिक भरोसेमंद रिपोर्ट नहीं हो सकती है। अयोध्या में श्री राम मंदिर मामले में अदालत का जो फैसला आया उसके पीछे एएसआई की रिपोर्ट की अहम भूमिका थी।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।