Varanasi Ropeway Project: वाराणसी में जल्द होगा रोपवे का संचालन
धर्म नगरी वाराणसी में विकास की नई कहानी हर रोज लिखी जा रही है। वाराणसी, देवाधिदेव महादेव का स्थान होने के कारण पूरी दुनिया में विख्यात है। ऐसे में वाराणसी में धार्मिक पर्यटन भी खूब होता है। वहीं वर्ष 2014 से वाराणसी देश के पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र भी रहा है। काशीवासियों के लिए लिए बेहद गर्व की बात रही कि उनके सांसद देश के पीएम हैं। जिस तरह से वाराणसी ने पीएम मोदी को अपना समर्थन देकर पीएम बनाया। उसी तरह पीएम मोदी भी अपना भरपूर ध्यान वाराणसी को देते हैं।
बताते चलें कि वाराणसी में धार्मिक पर्यटन को बढ़ाने और वाराणसी आने वाले पर्यटकों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए नई-नई परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसी कड़ी में वाराणसी में रोपवे का निर्माण किया जा रहा है। जो भारत का पहला अर्बन Varanasi Ropeway Project है। इससे पहले बोलिविया और मैक्सिको के ही शहरों में अर्बन सिटी रोपवे का संचालन होता है।

जानकारी के लिए बता दें कि Varanasi Ropeway Project ने गति पकड़ ली है। रोपवे संचालन के लिए कुल 29 टावर स्थापित होंगे जबकि 148 मोनोकेबल डेटाचेबल गोंडोला (केबल कार) की जरूरत होगी। ‘अप्रैल-मई में ट्रायल रन करने की तैयारी है। कैंट, रथयात्रा और काशी विद्यापीठ में भवन निर्माण कार्य अंतिम दौर में है। छह महीने में जनता को रोपवे सुविधा देने का लक्ष्य तय हुआ है।
Varanasi Ropeway Project: 15 से 16 मिनट में तय होगा एक सेक्शन
स्विट्जरलैंड की कंपनी बर्थोलेट द्वारा भेजी गई गोंडोला और रोप की पहली खेप बनारस पहुंच चुकी है। चार टावर तैयार किए जा चुके हैं जबकि चुनाव से पहले बाकी कार्य पूर्ण करने की चुनौती है। रथयात्रा से गोदौलिया तक दूसरे सेक्शन का सर्वे हो चुका है। यहां भी काम शुरू करने की कोशिश है। छह मीटर प्रति सेकेंड की गति से रोपवे पर गोंडोला संचालित होगा।

अब किराया निर्धारण हो रहा है। भुगतान के लिए मेट्रो जैसी व्यवस्था लागू होगी। डिजिटल कार्ड और टोकन सिस्टम से किराये का पेमेंट होगा। रोपवे शुरू होने से काशी विश्वनाथ मंदिर जाने वाले भक्तों को काफी सुविधा होगी। एनएचएलएमएल रोपवे पर (नेशनल हाइवे लाजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड) अप्रैल तक तीन स्टेशन तैयार कर देगा। रोपवे की कुल लंबाई 3.85 किमी होगी, इसमें पांच स्टेशन बनेंगे। चढ़ने-उतरने के लिए चार स्टेशन ही रहेंगे। पहला स्टेशन कैंट होगा, जबकि दूसरा काशी विद्यापीठ, तीसरा रथयात्रा और चौथा गोदौलिया होगा। पांचवां स्टेशन गिरिजाघर होगा लेकिन उसे पार्किंग जोन व मरम्मत स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। ट्रायल रन के बाद कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।
Varanasi Ropeway Project : 15 से 16 मिनट में तय होगा एक सेक्शन
बताते चलें कि पूरे Varanasi Ropeway Projectकी लागत 809 करोड़ रुपए है, और इसे हैदराबाद की विश्व समुद्र कंपनी पूरा करेगी। रोपवे में लगने वाले प्रत्येक गंडोले का वजन 1.5 टन है और यह 800 केजी का भार सहन कर सकता है। इस पूरे प्रोजेक्ट में पहले चरण में 2.5 किमी में 18 टावर और दूसरे चरण में 1.3 किमी टावर में करीब 10 टावर लगेंगे। कैंट स्टेशन से गदौलिया तक रोपवे का सफर 15 से 16 मिनट में तय होगा।

हर स्टेशन पर कई टिकट काउंटर बनाए जाएंगे। रोपवे स्टेशन पर यात्रियों को हर तीन मिनट पर एक गंडोला उपलब्ध होगा। इस रोपवे का संचालन हर दिन16 घन्टे होगा। जानकर बेहद खुशी होगी कि वाराणसी विश्व का तीसरा शहर होगा। जहां अर्बन रोपवे बनाया जा रहा है। विभागीय इंजीनियरों का दावा है कि रोपवे के जरिए एक दिशा में प्रतिदिन 48 हजार यात्रियों को सफर कराया जा सकेगा।
इसमें कोई दोराय नहीं कि वाराणसी में रोपवे की सुविधा होने के बाद आने वाले पर्यटकों की सुविधा होने वाली है। वहीं वाराणसी की अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार देने में रोपवे एक अहम भूमिका निभाने वाला है। रोपवे से नए-नए रोजगार निकलकर सामने आएंगे।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।