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Fake Loan Appsसावधान! फर्जी लोन एप्स से कर्ज लेने से बचें

Fake Loan Apps : फर्जी लोन एप्स के चक्करों में न पड़े

दिल्ली के रहने वाले अनु ने बीते दिनों अपनी कुछ आर्थिक जरूरतों के लिए एक एप से चार हजार रुपये के ऋण के लिए आवेदन कर दिया। पैसे तो मिले नहीं, लेकिन 15 दिन बाद ही नौ हजार की रिकवरी के लिए प्रतिदिन 10-15 फोन आने लगे। रिकवरी एजेंट ने अपशब्द कहने के साथ-साथ अनु की निजी तस्वीरों से छेड़छाड़ कर उसे उनके आफिस के एक सहयोगी को भेजना शुरू कर दिया। स्थिति स्पष्ट हो पाती, उससे पहले ही अनु को नौकरी से निकाल दिया गया।

इसी तरह की एक घटना भोपाल में हुई जहां Fake Loan Apps के रिकवरी एजेंटों की धमकियों से आहत भोपाल के भूपेंद्र ने अपने पूरे परिवार के साथ आत्महत्या कर ली। दरअसल, Fake Loan Apps के जरिये इस तरह की ठगी, टार्चर और साइबर अपराध कुछ वर्षों से बहुत बढ़ गए हैं। बीते सप्ताह राज्यसभा में वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने बताया कि अगस्त 2023 तक गूगल ने प्ले स्टोर से लगभग 4,700 Fake Loan Apps हटाया है। भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य नियामक संस्थाओं के सहयोग से सरकार अवैध लोन एप पर कार्रवाई कर रही है। पिछले एक वर्ष में डिजिटल लोन के जरिये धोखाधड़ी के हजार से अधिक मामले रिपोर्ट हुए।

Fake Loan Apps : ऐसे फंस जाते हैं लोग इन एप्स के चक्करों में

Fake Loan Apps यूजर को बहुत आसानी से किसी दस्तावेज या वेरिफिकेशन के बिना ही कुछ ही क्लिक पर लोन दे देते हैं, जिसके लिए आमतौर पर पारंपरिक बैंकों में हफ्तों का समय लग जाता है। कुछ ही मिनटों में पैसे भी खाते में आ जाते हैं, पर असली खेल इसके बाद शुरू होता है। कुछ दिनों बाद ही 20 से 30 प्रतिशत ब्याज दर और 15 प्रतिशत से अधिक प्रोसेसिंग फीस आदि को लेकर रिकवरी शुरू हो जाती है। इस काले कारोबार के पीछे अक्सर चीनी कंपनियां होती हैं, जो स्थानीय एजेंटों के जरिये निर्दोष भारतीय यूजर्स को निशाना बना रही हैं।

Fake Loan Apps
सावधान! फर्जी लोन एप्स से कर्ज लेने से बचें

अवैध एप्स के हथकंडे: जरूरतमंदों को लोन में फंसाने के बाद ऐसे Fake Loan Apps अवैध तरीके से यूजर की कॉटैक्ट लिस्ट, इमेज में सेंध लगाते हैं। उसका दुरुपयोग करके ब्लैकमेल करने लगते हैं, जबकि आरबीआइ का स्पष्ट कहना है कि कर्ज देने वाली कोई भी संस्था यूजर के नाम, पते और उसके संपर्क नंबर के अलावा किसी अन्य डाटा का इस्तेमाल नहीं कर सकती।

इंटरनेट मीडिया के जरिये ट्रैप: स्कैमर भोलेभाले यूजर्स को फंसाने के लिए एप में ‘ईजी’, ‘लोन’, ‘आधार’ और ‘ईएमआइ’ जैसे प्रचलित शब्दों का बखूबी प्रयोग करते हैं, जिससे आनलाइन सर्च के दौरान आसानी वे यूजर की नजर में आ जाते हैं। फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्रचलित इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म व गूगल के एडसेंस से भी वे यूजर बेस बढ़ाते हैं।

Fake Loan Apps
सावधान! फर्जी लोन एप्स से कर्ज लेने से बचें

एप्स पर कार्रवाई होने पर वे नए नाम और नई जानकारियों के साथ सामने आ जाते हैं। इंटरनेट मीडिया के जरिये काम करने वाले फर्जी लोन एप के विस्तार को रोकने के लिए अब सरकार नए बड़े स्तर पर कदम उठाने की तैयारी बीते दिसंबर में आइटी मंत्रालय की तरफ से इस बारे में एक सख्त एडवाइजरी भी जारी की गई थी।

ऐसे बचें मुश्किलों से

  • ऋण लेने से पहले देखें कि एप किसी एनबीएफसी (गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनी) से संबद्ध है या नहीं। एनबीएफसी की सूची आरबीआइ की वेबसाइट पर देख सकते हैं।
  • अगर कोई एप किसी एनबीएफसी से संबद्धता का दावा करता है, तो भी वेबसाइट पर जाकर सत्यापन करें।
  • एप के डाउनलोड्स और उसके रिव्यूज को जरूर देखें। अगर किसी एप के लाखों डाउनलोड हैं और यूजर सकारात्मक टिप्पणी कर रहे हैं, तो उस पर विचार कर सकते हैं। लेकिन, ध्यान रखें केवल डाउनलोड ही प्रामाणिकता का पैमाना नहीं हो सकता।
  • मिलते-जुलते नामों से सतर्क रहें। कई बार वास्तविक प्रतीत होने वाले नामों के पीछे गलत एप्स भी डाउनलोड हो जाते हैं।
  • एप के नियम-शतों को जरूर पढ़ें और उसके ब्याज दरों, प्रोसेसिंग फीस आदि की जानकारी प्राप्त करें।
  • अपनी डिवाइस और एप को अपडेट करते रहें, सुरक्षित पेमेंट चैनल का प्रयोग करें। किसी एप के साथ संवेदनशील जानकारियों को साझा करने से बचें।
  •  किसी भी तरह की धोखाधड़ी की घटना या शिकायत को नेशनल क्राइम पोर्टल www.cybercrime.gov. in या हेल्पलाइन नंबर पर 1930 पर दर्ज करा सकते हैं।
Fake Loan Apps
सावधान! फर्जी लोन एप्स से कर्ज लेने से बचें

फर्जीवाड़े पर शिकंजा

  • गूगल की सख्ती : Fake Loan Apps को स्टोर नियमों को सख्त किया है। केवल एनबीएफसी या उससे संबद्ध एप को ही अब इसकी अनुमति दी गई है।
  • आरबीआइ का नियमन : कस्टमर सुरक्षा और रदेश दे में डिजिटल लेंडिंग सिस्टम को सुरक्षित बनाने के लिए आरबीआइ की तरफ से दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
  • साइबर सुरक्षा निगरानी : गृह मंत्रालय के अधीन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर (आइ 4 सी) फर्जी लोन एप की निगरानी कर रहा है।
  • जनसमर्थ पोर्टल : क्रेडिट-लिंवड सरकारी योजनाओं के तहत ऋण के लिए सरकार ने जनसमर्थ पोर्टल लांच किया है। इससे कोई भी व्यक्ति आसानी से वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकता है।
Rajesh Mishra
Writer at Hind Manch

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।

आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

By Rajesh Mishra

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं। आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

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