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आम बजट

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार पांचवी बार आम बजट करेंगी पेश

आम बजट : आज यानी 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार पांचवी बार बजट पेश करेंगी। बता दें कि वर्ष 2024 चुनावी साल होने के कारण यह बजट अंतरिम बजट है। बजट का सीधा अर्थ होता है वित्तीय खर्चो का लेखा जोखा। जिस तरह एक व्यक्ति अपने खर्च का बजट बनाता है, वैसे ही सरकार भी देश चलाने के लिए वित्तीय खर्चो का हिसाब- किताब बनाती है।

जानकारी के लिए बता दें कि विश्व में बजट की शुरुआत सबसे पहले वर्ष 1760 में इंग्लैंड में हुई थी। और, भारत में इसकी शुरुआत स्कॉटिश अर्थशास्त्री और ईस्ट इंडिया कंपनी के राजनेता ‘जेम्स विल्सन’ ने 7 अप्रैल 1860 में ब्रिटिश क्राउन के समक्ष पेश किया था। आजाद भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को तत्‍कालीन वित्‍तमंत्री आरके शटमुखम शेट्टी द्वारा पेश किया गया था।

दरअसल, भारत में आजादी के बाद रेल बजट और आम बजट को अलग से पेश किया जाता था। दरअसल, रेलवे से होने वाली आय राजस्व की आय से 6 प्रतिशत अधिक थी। इसीलिए सर गोपालस्वामी आयंगर समिति ने रेलवे बजट को आम बजट से अलग पेश किया जाना चाहिए। इस प्रस्ताव पर 21 दिसंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा एक प्रस्ताव अनुमोदित किया गया था।

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हालांकि, इस अनुमोदन के अनुसार, 1950-51 से लेकर अगले पांच साल तक की अवधि के लिये ही रेलवे बजट को आम बजट से अलग पेश किया जाना था। लेकिन, ऐसा नही हुआ और वर्ष 2016 तक रेल बजट को आम बजट से अलग पेश किया गया। इसके पीछे कारण था कि जब से रेल बजट को अलग से पेश किया जाने लगा, रेल राजस्व में धीरे धीरे कमी आने लगी। और, 70 के दशक में रेलवे बजट सम्पूर्ण राजस्व का 30 प्रतिशत ही रह गया। इसके बाद मोदी सरकार के कार्यकाल में विशषज्ञों ने अलग रेलवे बजट को समाप्त करने का सुझाव दिया था। इसके बाद सरकार ने रेल बजट और आम बजट का विलय कर दिया।

जानकारी के लिए बता दें कि 21वीं सदी का बजट भी एनडीए सरकार के ही वित्त मंत्री ने पेश किया था। वर्ष 2000 में केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी। वर्ष 2000-01 का बजट उस समय के वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने संसद में पेश किया था। इस वर्ष पेश हुए बजट को ‘मिलेनियम बजट’ का नाम दिया गया। इस बजट में की गई घोषणाओं के कारण आईटी सेक्टर में क्रांति आई थी। आज आईटी सेक्टर का जो भी विस्तार देख पा रहे हैं, ये बजट इसकी बुनियाद कहा जा सकता है।

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जानकर हैरानी होगी कि पहले देश में केंद्रीय बजट पेश करने का समय शाम पांच बजे हुआ करता था। ये नियम अंग्रेजी हुकूमत के समय बनाया गया था। इसके पीछे का कारण था कि जब भारत में शाम होती थी तो उस समय इंग्लैंड में सुबह के साढ़े 11 बज रहे होते थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि अंग्रेजों द्वारा चलाई गई परंपरा को आजादी के बाद भी निभाया जाता था। लेकिन, वर्ष 2001 में इस नियम में बदलाव हुआ। ऐसे में जब वर्ष 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आई तो 28 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट को एक फरवरी को पेश करना शुरू किया गया।

इसके बाद जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला, तो उन्होंने ने भी कई बदलाव किए। वर्ष 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का पहला पेपरलेस बजट पेश किया। यह भारत में बजट के इतिहास में अहम बदलाव था। यह बजट देश का पहला ‘पेपरलेस बजट’ था। इस वर्ष के बजट के सभी प्रतियों को डिजिटली स्टोर करके पेश किया गया। वर्ष 2022 का भी बजट पेपरलेस बजट था। वित्त मंत्री ने बजट से जुड़े दस्तावेज को कैरी करने के लिए सूटकेस का इस्तेमाल बंद कर दिया। इसके बाद अब वे बही-खाता जैसी दिखने वाली बैग में बजट से जुड़े दस्तावेज कैरी करती दिखतीं हैं।

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Rajesh Mishra
Writer at Hind Manch

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।

आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

By Rajesh Mishra

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं। आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

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