Chhatrapati Shivaji Maharaj: छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती आज
भारत के गौरवमयी इतिहास में Chhatrapati Shivaji Maharaj का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है। वीर Chhatrapati Shivaji Maharaj ने भारत में मुगल साम्राज्य का अंत कर मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी। वीर Chhatrapati Shivaji Maharaj ने मुगलों का अत्याचार भारत की जनता पर होता हुआ देखा था, तभी से ठान लिया था कि भारत की धरती से मुगल साम्राज्य का नामोनिशान मिटा देना है।
जानकारी के लिए बता दें कि Chhatrapati Shivaji Maharaj ने मुगलों के खिलाफ अपना पहला युद्ध मात्र 15 वर्ष की आयु में लड़ा। Chhatrapati Shivaji Maharaj ने युद्ध की एक खास रणनीति गुरिल्ला युद्ध नीति खोज की। इस युद्ध नीति में दुश्मन को मारकर भाग जाना होता था। शिवाजी महाराज भारत में हिंदू सम्राज्य को स्थापित करना चाहते थे। इसीलिए, Chhatrapati Shivaji Maharaj ने बीजापुर पर हमला किया और गोरिल्ला युद्ध नीति व अपनी कुशल रणनीति से बीजापुर के शासक आदिलशाह को मात दी और बीजापुर के चार किलो पर भी कब्जा कर लिया।

बता दें कि वर्ष 1674 में Chhatrapati Shivaji Maharaj ने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींख रखी। इसके बाद शिवाजी महाराज मराठा गौरव के नाम से प्रसिद्ध हुए। दरअसल, शिवाजी ने अपनी एक स्थायी सेना बनाई थी। इस सेना की मदद से ही शिवाजी ने अपना मराठा साम्राज्य खड़ा किया था। शिवाजी की सेना में बारगीर व घुड़सवार सैनिक थे। जिन्हें राज्य की ओर से घोड़े और शस्त्र दिए जाते थे।
घुड़सवार सेना की सबसे छोटी इकाई में 25 जवान होते थे, जिनके ऊपर एक हवलदार होता था। पांच हवलदारों का एक जुमला होता था। जिसके ऊपर एक जुमलादार होता था। दस जुमलादारों की एक हजारी होती थी और पांच हजारियों के ऊपर एक पंजहजारी होता था। वह सरनोबत के अंतर्गत आता था। प्रत्येक 25 टुकड़ियों के लिए राज्य की ओर से एक नाविक और भिश्ती दिया जाता था। आइए जानते हैं वीर शिवाजी के जीवन से जुड़ी हुई विशेष बातें:
Chhatrapati Shivaji Maharaj : वीर शिवाजी का जन्म, उनकी शिक्षा-दीक्षा
वीर शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में मराठा परिवार में हुआ था। छत्रपति शिवाजी के बचपन का नाम शिवाजी भोंसले था। छत्रपति शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले और माता का नाम जीजाबाई था। छत्रपति शिवाजी के पिता अहमदनगर सल्तनत में सेनापति थे। वहीं शिवाजी की माता जीजाबाई एक धार्मिक महिला थीं।

इसीलिए बालक शिवाजी पर इसका प्रभाव पड़ा। बचपन में उनकी माता जीजाबाई ने बालक शिवाजी को रामायण, महाभारत तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों एवं उनसे जुड़ी हुई कहानियां सुनाया करती थी। वहीं दादा कोणदेव के संरक्षण में उन्हें सभी तरह की सामयिक युद्ध आदि विधाओं में भी निपुण बनाया था। धर्म, संस्कृति और राजनीति की भी उचित शिक्षा दिलवाई थी। उस युग में परम संत रामदेव के संपर्क में आने से शिवाजी पूर्णतया राष्ट्रप्रेमी, कर्त्तव्यपरायण एवं कर्मठ योद्धा बन गए।
वर्ष 1640 में छत्रपति शिवाजी महाराज का विवाह सइबाई निम्बालकर के साथ हुआ था। उनके बड़े पुत्र का नाम संभाजी था। यही संभाजी आगे चलकर मराठा साम्राज्य के उत्तराधिकारी बने। और, 1680 से 1689 ई. तक राज्य किया।
छत्रपति शिवाजी महाराज का शासन
वर्ष 1674 में छत्रपति शिवाजी महाराज का बड़ी धूमधाम से राज्याभिषेक हुआ। छत्रपति वीर शिवाजी महाराज ने अपने शासनकाल के दौरान दबी-कुचली हिन्दू जनता को भयमुक्त किया। हालांकि ईसाई और मुस्लिम शासक बल प्रयोग के जरिए बहुसंख्य जनता पर अपना मत थोपते, अतिरिक्त कर लेते थे, जबकि शिवाजी के शासन में इन दोनों संप्रदायों के आराधना स्थलों की रक्षा ही नहीं की गई बल्कि धर्मान्तरित हो चुके मुसलमानों और ईसाईयों के लिए भयमुक्त माहौल भी तैयार किया।

शिवाजी ने अपने आठ मंत्रियों की परिषद के जरिए उन्होंने छह वर्ष तक शासन किया। उनकी प्रशासनिक सेवा में कई मुसलमान भी शामिल थे।दरअसल, छत्रपति शिवाजी मुस्लिम विरोधी कभी नहीं रहे, इतिहास में उल्लेख मिलता है कि वो केवल कट्टरता और उद्दंडता के विरुद्ध थे, जिसे औरंगजेब जैसे शासकों और उसकी छत्रछाया में पलने वाले लोगों ने अपना रखा था।
छत्रपति शिवाजी को मराठा गौराव कहा गया। गंभीर बीमारी के कारण 3 अप्रैल 1680 को शिवाजी की मृत्यु हो गई। लेकिन उनके योगदान हमेशा याद किए जाते रहेंगे। शिवाजी के बाद इनके पुत्र संभाजी ने राज्य की कमान संभाली।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।