>
सरदार पटेल

आजादी के बाद अलग थलग देश को एक करने में, एक नए भारत की नींव रखने में अहम योगदान

भारत की आजादी के बाद देश को एक सूत्र में पिरोने वाले सरदार पटेल की आज 73वीं पुण्यतिथि है। 15 अगस्त 1947 में मिली आजादी के बाद अलग- थलग पड़े देश को एक करने में सरदार वल्लभ भाई पटेल की महत्वपूर्ण भूमिका रही। ” लौह”पुरूष के नाम से विख्यात सरदार पटेल ने एक नए भारत की नींव रखने में अहम योगदान दिया था। किसी भी देश का आधार उसकी अखंडता और एकता होता है, और सरदार पटेल इसके सूत्रधार थे। सरदार पटेल सिविल सेवाओं के बड़े पक्षकारों में से एक थे। उन्होंने सिविल सेवाओं को स्टील फ्रेम भी कहा था।

सरदार पटेल देश के पहले गृह मंत्री और उपप्रधानमंत्री भी थे। आजादी के बाद देश में कई चुनौतियां थी।भारत-पाकिस्तान का बंटवारा, देश भर में हो रहे हिंदू-मुस्लिम दंगे, छोटी-बड़ी रियासतों की मनमानी को एक साथ सुलझाने में सरदार पटेल ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। यह देश का दुर्भाग्य है कि गुलाम भारत को आजाद कराने वाले सभी नेताओं ने भारत के आजाद होते ही देश का साथ छोड़ दिया। लगभग सभी नेताओं का धीरे-धीरे देहांत हो गया या उनकी कोई खोज-खबर नहीं मिली। इन्हीं महापुरुषों में सरदार पटेल का भी नाम शामिल है, जिनका 15 दिसंबर 1950 को निधन हो गया। इस तरह भारत की एकीकरण का यह भगीरथ भारत माता के आंचल में सदा के लिए चिरनिद्रा में चला गया।
आइए सरदार पटेल के जीवन के बारे में जानते हैं

सरदार पटेल का जन्म और शिक्षा दीक्षा

सरदार पटेल का जन्म गुजरात के नाडियाड में 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। सरदार के पिता का नाम झवेरभाई पटेल और माता का नाम लाड़बा देवी था। पटेल अपने 6 भाई-बहनों में चौथे नंबर के थे। पटेल का जीवन काफी संघर्षो में बीता। जिसका असर पटेल की पढ़ाई लिखाई पर भी हुआ। लेकिन, शिक्षा का महत्ब जानते हुए उनका पढ़ाई से मोह नहीं छूटा। 22 वर्ष की आयु में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की।

इसके बाद पटेल उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भी गए, वहां से वो बैरिस्टर बनकर भारत लौटे। वकालत खत्म करने के बाद पटेल अहमदाबाद आकर वकालत करने लगे। पटेल राष्ट्र पिता महात्मा गांधी के विचारों से काफी ज्यादा प्रभावित थे, इसीलिए इन्होंने भी आजादी की लड़ाई में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। महात्मा गांधी ने वल्लभ भाई पटेल को “लौह पुरुष” कहा था।

सरदार पटेल का पहला स्वतंत्रता संग्राम

सरदार पटेल

 

 

वर्ष 1918 में सरदार पटेल ने अपने पहले स्वतंत्रता आंदोलन खेड़ा आंदोलन में भाग लिया। इसके बाद 1928 में उन्होंने बारदोली में किसान आंदोलन का सफलतापूर्वक नेतृत्व भी किया। बारदोली के संघर्ष की सफलता पर वहां की महिलाओं ने पटेल को “सरदार” की उपाधि दी।

सरदार पटेल को एक साथ 5 विश्वविद्यालय ने किया सम्मनित

आजादी के बाद देशी रियासतों को एकीकरण करके अखंड भारत के निर्माण में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाता है। इस दुरूह कार्य के लिए पूरे देश भर में सम्मानित किया जाने लगा। उन्हें वर्ष 1948 से 1949 तक नागपुर, इलाहाबाद, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, उस्मानिया विश्वविद्यालय, पंजाब विश्वविद्यालय ने मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया। पटेल के कार्यो को देखते हुए वर्ष 1947 से पहले उन्हें टाइम मैगज़ीन के कवर पेज पर स्थान दिया गया।

सरदार पटेल की बिगड़ती सेहत

सरदार वल्लभ भाई पटेल का स्वास्थ्य दिनोंदिन गिर रहा था। एक बार जब सरदार पटेल संसद की कार्यवाही में हिस्सा ले रहे थे, तभी अचानक उनकी तबियत बिगड़ गई। उसी वर्ष गर्मियों में उनकी सेहत में लगातार गिरावट होने लगी। उन्हें खांसी रहती और खांसी में खून की मात्रा आनी शुरू हुई। अब पटेल का संसद जाना और अन्य कार्यक्रम भी कम होने लगे। सरदार पटेल को हमेशा मेडिकल स्टाफ की देख रेख में रखा जाने लगा। उस वक्त बंगाल के मुख्यमंत्री बिधान राय एक डॉक्टर भी थे, उन्होंने भी पटेल का कुछ समय तक इलाज किया था। डॉ. बिधान के अनुसार, सरदार पटेल को आभास हो गया था, कि उनका अब अंतिम समय निकट है।

दिल्ली में दो नवंबर 1950 को सरदार पटेल की तबियत ज्यादा ही खराब हो गई थी। उनकी याददाश्त भी कमजोर पड़ने लगी थी। सरदार पटेल को पूर्णतः बेडरेस्ट करने की सलाह दी गई। दिल्ली के मौसम ने उनकी सेहत पर प्रभाव डालना शुरू कर दिया था। इसीलिए डॉ. बिधान की सलाह पर उन्हें 12 दिसंबर को दिल्ली से मुंबई लाया गया। नेहरू, राजगोपालाचारी, राजेंद्र प्रसाद और वीपी मेनन जैसे दिग्गज नेता उन्हें दिल्ली हवाई अड्डे पर विदा करने आए।

सरदार पटेल का निधन

मुंबई पहुंचकर उनका जोरदार स्वागत हुआ, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से वे अभिवादन भी नहीं कर पाए। उन्हें मुंबई एयरपोर्ट से सीधे बिरला हाउस ले जाया गया। हालांकि, मुंबई में भी उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं आया। 15 दिसंबर को उन्हें सुबह तीन बजे दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया।

और इस तरह अखंड भारत के प्रणेता सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारत से विदा ली, और माँ भारती के आंचल में सदा के लिए आंखे मूंद ली।

Rajesh Mishra
Writer at Hind Manch

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।

आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

By Rajesh Mishra

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं। आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »
error: Content is protected !!
  • Facebook
  • X (Twitter)
  • LinkedIn
  • More Networks
Copy link