International Women’s Day : महिलाओं के योगदान को सलाम करने का दिन
आज का दिन बेहद ही खास है। आज जहां देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती के विवाह की रात्रि “महाशिवरात्रि ” है। वहीं आज महिलाओं के हक़ और सम्मान का दिन “International Women’s Day” भी भारत सहित पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि हर वर्ष 8 मार्च को भारत सहित पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) मनाया जाता है। इस दिन दुनिया भर की महिलाओं के अधिकारों व उनके द्वारा समाज में दिए गए योगदन को याद किया जाता है।
आज के समय में भारत सहित पूरी दुनिया की महिलाओं ने अपनी प्रतिभा, ज्ञान, साहस का अदम्य परिचय दिया है। आज महिलाएं समाज की हर धारा में पुरूष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। राजनीति से लेकर कला, रक्षा से सुरक्षा, वाद से लेकर विवाद तक, शिक्षा से लेकर दीक्षा तक हर विभाग में महिलाएं अपनी मौजूदगी को दर्ज करा रही है। जानकारी के लिए बता दें कि हर वर्ष अंतराष्ट्रीय महिला दिवस को एक विशेष थीम पर मनाया जाता है। ऐसे में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम “एक ऐसी दुनिया,जहां हर किसी को बराबर का हक और सम्मान मिले” है।

दरअसल, आज 8 मार्च को महिला दिवस इस लिए मनाया जाता है कि वर्ष 1908 में करीब 116 साल पहले इसी दिन यूरोप और अमेरिका की महिलाओं ने अपने हक़ और सम्मान के लिए आवाज उठाया था। इसके लिए वहां की महिलाओं ने इस आंदोलन में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में महिलाओं ने हजारों की संख्या में अपनी मांगों को लेकर परेड निकाली थी। जानकारी के लिए बता दें कि इन महिलाओं की मुख्य मांगों में महिलाओं के काम के घंटों में कमी, काम करने पर अच्छी सैलेरी और वोट डालने के अधिकार की मांग प्रमुख रूप से थी।
अमेरिका की महिलाओं को अपने हकों और सम्मान के लिए लड़ता हुआ देख, यूरोप की महिलाओं ने भी 8 मार्च को अपनी भी लड़ाई शुरू की। कुछ समय बाद सोशलिस्ट पार्टी द्वारा इस दिन को महिला दिवस मनाने का ऐलान किया गया। इसके बाद वर्ष 1975 संयुक्त राष्ट्र ने 08 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। तभी से इस दिन को International Women’s Day के रूप में मनाने की परम्परा चली आ रही है।

महिलाओं के हक और उनके सम्मान के लिए एक सामाजिक कार्यकर्त्ता क्लारा जेटकिन ने सबसे पहले आवाज उठाई थी। क्लारा ने सबसे 1910 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में एक महिलाओं के लिए आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में यह सुझाव दिया कि International Women’s Day की शुरुआत होनी चाहिए। उस सम्मेलन में 17 देशों की 100 महिलाएं पहुंची थी। और, उनके इस सुझाव को सर्वसम्मति से स्वीकार भी किया गया।
इसके बाद वर्ष 1917 में रुसी महिलओं ने हुकूमत से सीधी लड़ाई लड़ी और “रोटी और शांति” की मांग करते हुए हड़ताल की। इस हड़ताल के कारण पूरी दुनिया की महिलाओं पर पड़ी। इन महिलओं के आंदोलन में इतना दम था कि जार निकोलस द्वितीय को गद्दी छोड़नी पड़ी थी। इसके बाद बनी अस्थायी सरकार ने महिलाओं को वोट डालने का अधिकार दिया। यह महिलाओं की बहुत बड़ी जीत थी।
International Women’s Day : जब पहली बार मना अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
जेटकिन की मुहिम रंग लगाई. 1911 में पहली बार जर्मनी, ऑस्ट्रिया, स्विटजरलैंड में International Women’s Day मनाया गया। हालांकि इसे औपचारिक मान्यता 1955 में तब मिली जब संयुक्त राष्ट्र ने इसे मनाना शुरू किया। 1996 में पहली बार इसके लिए थीम तैयार की गई। इसके बाद हर साल इस खास दिन के लिए थीम रखी जाने लगी।
जेटकिन ने जब महिलाओं के सामने International Women’s Day मनाने की बात रखी तो उस समय किसी खास तारीख का जिक्र नहीं किया गया था। शुरुआती दौर में इसे फरवरी के पहले रविवार को मनाने की परंपरा शुरू की गई। . हालांकि बाद में संयुक्त राष्ट्र ने इसके लिए 8 मार्च की तारीख तय की. इसके बाद से यही तारीख International Women’s Day तौर पर दुनियाभर में सेलिब्रेट की जा रही है।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।