Lata Mangeshkar : स्वर कोकिला की आज पुण्यतिथि
आज यानी 6 फरवरी को भारत की कोकिला लता मंगेशकर की पुण्यतिथि है। भारतीय संगीत में लता मंगेशकर “लता दीदी” के नाम से जाना जाता है। हिंदी फिल्मों में गीत-संगीत को जो आवाज लता दीदी ने दी, शायद वो कोई भी गायक/गायिका नहीं दे पाएगा। उनके गाए हुए गीतों को भारत समेत कई देशों में गुनगुनाए और सुने जाते हैं। जो भी व्यक्ति संगीत की समझ और पसंद रखता है, वो लता दीदी को सुनना पसंद करता है। लता दीदी न सिर्फ भारत के गीतकार/संगीतकारों की आदर्श रही, बल्कि दुनिया भर के संगीत प्रेमी भी उनके संगीत को पसंद करते थे।
बताते चलें कि Lata Mangeshkar ने हिंदी समेत 36 भाषाओं में 50 हजार से अधिक गानों में अपनी आवाज दी। भले ही आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन हिंदी सिनेमा में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। आज भले Lata Mangeshkar हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके गाए गीतों को लोग गुनगुनाते और सुनते हैं। आइए लता दीदी के जीवन से जुड़ी खास बातें जानते हैं

भारतीय संगीत की स्वर कोकिला Lata Mangeshkar का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर में हुआ था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर और माता का नाम शिवन्ति मंगेशकर था। लता मंगेशकर केवल एक गायिका ही नहीं थी, बल्कि वो महिला शक्ति की एक जीती जागती मिसाल थी। बहुत कम लोग को जानकारी है कि लता दीदी ने अपने जीवन में कभी शादी नहीं कि थी। स्वभाव से शांत लता दीदी ने अपना जीवन दूसरों के ही हित के लिए बिताया। हिंदी सिनेमा में बिना किसी गॉडफादर के लता दीदी ने अपनी एक पहचान बनाई, और कई उपलब्धियां अपने नाम की। आइए जानते हैं लता मंगेशकर ने शादी क्यों नहीं की और उनके जीवन से जुड़ी उपलब्धियां
Lata Mangeshkar : लता दीदी ने शादी क्यों नहीं की
दरअसल, लता दीदी ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि घर के छोटे-भाई बहनों एवं अन्य घर के सदस्यों की जिम्मेदारी उनके कंधे पर थी। घर की आर्थिक समस्या के कारण बेहद कम उम्र में ही काम शुरू करना पड़ा। जिसकी वजह से कभी शादी का ख्याल आया। लता दीदी के अनुसार, अपने छोटे भाई बहनों को सैटल करना, उनकी शादी विवाह की जिम्मेदारी उनपर ही थी। शादी के बाद उनके बच्चे हो गए और फिर लता पर उन्हें संभालने की भी जिम्मेदारी आ गई। इस तरह का उनका वक्त निकलता चला गया।

लता दीदी ने अपने जीवन में कामयाबी के कई कीर्तिमान छुए। जिसमें से लता दीदी ने वर्ष 1974 में वह रॉयल अल्बर्ट हॉल में प्रदर्शन करने वाली पहली भारतीय बनीं। उनकी उपलब्धियां इतनी थीं कि उसी वर्ष गिनीज रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज हुआ। उन्हें भारतीय संगीत के इतिहास में सबसे अधिक दर्ज की गई कलाकार होने का गौरव मिला।

वर्ष 1970 में स्वर कोकिला लता मंगेशकर को सर्वश्रेष्ठ प्लेबैक सिंगर का फिल्मफेयर अवार्ड मिला। 1972 में फिल्म परिचय के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया। 1974 में फिल्म कोरा कागज के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। इसके बाद 1977 में जैत रे जैत के लिए सर्वश्रेष्ठ गायिका और 1989 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1990 में फिल्म लेकिन के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला।
1989 में लता मंगेशकर को पद्म विभूषण, 1990 में श्री राजा लक्ष्मी फाउंडेशन चेन्नई द्वारा पुरस्कार, 2000 में आइफा लाइफस्टाइल अचीवमेंट अवार्ड, 2001 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 2001 में महाराष्ट्र रत्न, 2002 में आशा भोंसले पुरस्कार, 2004 में फिल्मफेयर विशेष पुरस्कार, 2007 में फ्रांस सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार (ऑफिसर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर) से सम्मानित किया
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।