राम मंदिर (Ram Mandir) में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का दिन बेहद नजदीक है।
आगामी नव वर्ष की 22 जनवरी के दिन भव्य आयोजन में पुण्य कार्य को पूरा किया जाना है। जिसे लेकर राम नगरी अयोध्या से लेकर भोलेनाथ की नगरी काशी तक तैयारियां जोरों शोरों से चल रही है। बताते चलें कि राम मंदिर (Ram Mandir) में प्राण-प्रतिष्ठा के समारोह में पूजन काशी के कर्मकांडी विद्वानों द्वारा कराया जाना है।
पूजन के लिए मुर्हुत भी काशी के विद्वानों ने ही तय किया है। इसी कड़ी में पूजन में प्रयोग होने वाले साजो सामान को भी काशी के ही शिल्पियों द्वारा कराया जा रहा है। जिनमें पांचों यज्ञ पात्र, अरणी मंथन, मंडप पर लगने वाले चारों गदा, शंख, चक्र और पद्म शामिल हैं। जिसे काशी के ही कारीगरों द्वारा अंतिम रूप दिया जा रहा है।

दरअसल, वाराणसी के रामापुरा क्षेत्र में सूरज विश्वकर्मा का परिवार कई पीढ़ियों से नव ग्रहों की लकड़ियों को तराशने का काम कर रहे हैं। सूरज इस परंपरा के चौथी पीढ़ी हैं, जो इस कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार, राम मंदिर (Ram Mandir) में प्राण प्रतिष्ठा के लिए कुल 10 सेट यज्ञ पात्र प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए तैयार किए जा रहे हैं। हर सेट में 5 चीजें होती हैं। जिनमें घी की आहुति के लिए “सुवा”, पूर्णाहुति के “सुरचि”, जल पात्र के लिए”प्रणिता”, घी पात्र के लिए “प्रोक्षणि” और वेदों का लेख खींचने के लिए “खड्ग” होता है। ये सभी यज्ञ पात्र यज्ञ के दौरान उपयोग होते हैं।
राम मंदिर (Ram Mandir) के लिए विशेष लकड़ियों का हुआ उपयोग
बताते चलें कि मंडप पर लगने वाले शंख, चक्र, गदा और पद्म तैयार करने में विशेष लकड़ी का उपयोग हो रहा है। इन सभी वस्तुओं को वैंककत की लकड़ी से निर्माण हुआ है। शमी की लकड़ी से “अरणी मंथन” तो पीपल की लकड़ी से “शंकु” बनाया जा रहा है। सभी पूजन के साजो सामान को मानक के अनुसार समय पर तैयार किए जाते हैं। बताते चलें कि अब अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा में ज्यादा समय नहीं रह गया है, जिसके कारण हर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

राम मंदिर (Ram Mandir) के लिए काशी की कलाकारी
दरअसल, सूरज के पूर्वजों को काशी के प्रसिद्ध कर्मकांडी लक्ष्मी कांत दीक्षित के ताऊजी गणेश दीक्षित द्वारा ही सिखाई गई थी। बताते चलें कि राम मंदिर (Ram Mandir) में प्राण प्रतिष्ठा की पूजा लक्ष्मी कांत दीक्षित द्वारा ही करवाई जानी है। सूरज खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि वो अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) की प्राण प्रतिष्ठा में उनकी कला का और उनके द्वारा बनाए गए साजो सामान का उपयोग हो रहा है। अगले हफ्ते में सभी वस्तुओं का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
बताते चलें कि राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर महादेव की नगरी काशी में भी जोश और उत्साह का माहौल है। काशी से भी राम नगरी अयोध्या के लिए कुछ न कुछ उपहार दिए जा रहे हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान राम विष्णु के अवतार हैं और भगवान विष्णु भोलेनाथ को अपना आराध्य मानते हैं, वहीं भगवान शंकर भी श्री हरि यानी विष्णु को अपना आराध्य मानते हैं।
भगवान भोलेनाथ के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति भगवान विष्णु यानी श्री हरि की उपासना करता है तो उसपर मेरी कृपा स्वतः ही हो जाएगी। भगवान राम ने भी अपने वनवासकाल के दौरान श्रीलंका जाते समय रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की, जो आज पूरे भारत के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।