अयोध्या के राजपूत 500 वर्ष बाद पहनेंगे पगड़ी और जूते।
कवि जयराज सिंह ने लिखा था- ” जन्मभूमि उद्धार होय ता दिन बड़ी भाग। छाता पग पनहीं नहीं और न बांधहीं पाग। धर्म नगरी अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से पूरा बाजार ब्लॉक व आस-पास के क्षेत्रों में एक अलग ही उत्साह का माहौल है। यह क्षेत्र अयोध्या जिले में पड़ता है, जहां 1,2 नहीं पूरे 105 गांव में क्षत्रिय परिवार रहते हैं। जिन्हें अपने पूर्वज भगवान श्री राम की अयोध्या आने की काफी खुशी है। इसी के साथ इनके पूर्वजों का एक संकल्प भी पूरा होने जा रहा है। आइए आपको बताते हैं कि इस संकल्प की क्या कहानी है और ये कैसे प्रभु श्री राम से जुड़ी है:
क्षत्रिय अपना धर्म किस तरह से निभाते हैं, यदि इसकी बानगी देखनी हो तो आपको अयोध्या के इन 105 गांवों में आकर देखना चाहिए। यहां के निवासियों के लिए राम मंदिर निर्माण और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा किसी सपने के सच होने जैसा है। बताते चलें कि इस पूरे इलाके में करीब 105 क्षत्रिय परिवार रहते हैं, जो खुद को भगवान श्री राम का वंशज बताते हैं।
आज से करीब 500 वर्ष पूर्व इनके पूर्वजों ने कसम खाई थी कि जब तक पुनः राम मंदिर का निर्माण नहीं होगा, उनके वंश का कोई भी सदस्य न तो अपने सर पर पगड़ी बांधेगा, न हो छाता का उपयोग करेगा और न ही पैरों में चमड़े के जूते पहनेगा। अब चूंकि अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर बन कर विशाल आकार ले चुका है। ऐसे में अब इन परिवारों को संकल्प पूरा करने का भी समय आ गया है।
सर पर बांधेंगे पगड़ी, पहनेंगे जूता
इसी कड़ी में जब प्राण प्रतिष्ठा का दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, इन गांवों में घर-घर जाकर क्षत्रियों को पगड़ी, छाते और जूते बांटे जा रहे हैं। जिससे अब जब इनके पूर्वजों का संकल्प पूरा हो चुका है, इस गांव के लोग अपने आराध्य का स्वागत भी धूमधाम से कर सकेंगे। 500 वर्षों के बाद एक बार फिर इस गांव में भी दीवाली जैसा माहौल हो गया है। जैसे-जैसे प्राण प्रतिष्ठा का समय नजदीक आ रहा है, गांव के लोग भगवान राम के स्वागत के लिए तैयारियों में लगे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, अब तक सैकड़ों की संख्या में पगड़ियां बांटी जा चुकी है। इस समाज के करीब डेढ़ लाख राजपूत आस-पास के क्षेत्र में रहते हैं। इन्होंने इतने वर्षों तक अपने शादी-समारोहों में भी पगड़ी नहीं पहनी। अपने सर पर ये शगुन के लिए मौरी सिर पर रखते हैं, इसमें सर खुला रहता है। जिस समय इनके पूर्वजों ने संकल्प लिया था, उस समय खड़ाऊ होते थे। तभी से खड़ाऊ पहनने लगे, बाद में समय बदला और बिना चमड़े के जूते चप्पल का उपयोग करने लगे। लेकिन, कभी भी संकल्प के अनुसार चमड़े का जूता नहीं पहना था।
राम मंदिर बनने से खुशी का माहौल
वर्ष 2019 में जब देश की सर्वोच्च अदालत ने विवाद भूमि को श्री जन्मभूमि माना था, और राम मंदिर बनाने का निर्णय दिया था। तभी से इन गांवों में खुशी का माहौल है। इस मौके पर प्रयागराज हाइकोर्ट के पूर्व जज न्यायाधीश डीपी सिंह के अनुसार, उनके पूर्वजों ने 16वीं शताब्दी में मंदिर को बचाने के लिए ठाकुर गज सिंह के नेतृत्व में मुगलों से युद्ध लड़ा था, जिसमें उनकी हार हुई थी। तभी गज सिंह ने राम मंदिर के बनने तक पगड़ी और जूते न पहनने का संकल्प लिया था। जिसके बाद उनके वंशजों ने भी इस संकल्प को पूरा किया। दरअसल, ऐसी ढेरों कहानियां है जो राम मंदिर से जुड़ी हुई है। अब जब राम मंदिर का भव्य रूप सामने आ रहा है, ऐसी खबरें भी सामने आ रही हैं।

Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।
[…] अयोध्या में बनने वाले रेलवे स्टेशन पर वर्ल्ड क्लास सुविधाएं मिलने वाली हैं। जिनमें दुधमुंहे बच्चे से लेकर बुजुर्ग व्यक्ति को भी मेडिकल सुविधाएं दी जाएंगी। जिसे इनफेंट केयर रूम कहा जा रहा है। यदि किसी यात्री को यात्रा के दौरान चोट लगती है तो उसके लिए सिक रूम में फर्स्ट एड की सुविधा उपलब्ध रहेगी। वहीं, पैसेंजर फैसिलिटीज डेस्क और टूरिस्ट इनफॉर्मेशन सेंटर के माध्यम से यहां आने वाले पैसेंजर्स को श्रीराम मंदिर समेत क्षेत्र के सभी आध्यात्मिक व पर्यटन स्थलों की जानकारी व इन तक सुलभ पहुंच के साधनों के बारे में जानकारी मिल सकेगी। […]
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