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Utpanna Ekadashi: भगवान विष्णु के विजय का पर्वक्षीरसागर में भगवान श्रीहरि विष्णु

Utpanna Ekadashi: भगवान विष्णु के विजय का पर्व

हर वर्ष हिंदू धर्म में कुल 24 एकादशी का व्रत होता है। हर माह 2 एकादशी होती हैं। हर एकादशी का अपना अलग ही महत्व है। इन्हीं एकादशी में Utpanna Ekadashi का अपना खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सभी जन्मों के पाप भी मिट जाते हैं। इस व्रत को करने से व्यक्ति के पाप तो मिटते ही हैं, पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।

दरअसल, एकादशी माता भगवान विष्णु का ही रूप मानी जाती हैं। मान्यता है कि प्रत्येक हिंदू को एकादशी का व्रत करना चाहिए, जिससे भगवान विष्णु स्वयं प्रसन्न होते हैं। सभी 24 एकादशी व्रत की शुरुआत इसी Utpanna Ekadashi से ही होती है। यदि कोई व्यक्ति एकादशी का व्रत करना चाहे तो उसके लिए आज का दिन शुभ माना गया है। इस वर्ष Utpanna Ekadashi 8 दिसंबर को मनाई जाने वाली है। आइए जानते हैं कि Utpanna Ekadashi की कथा क्या है:

कथा: राक्षस मूर का अत्याचार

सतयुग में, नाड़ीजंघ नामक राक्षस ने अपने बलवान पुत्र मूर के साथ सभी देवताओं को परेशान किया। मूर ने देवताओं को हराकर उनके स्थान पर अपना अधिकार जमा लिया। देवताएं परेशान होकर भगवान शिव के पास गईं और उनसे मदद मांगी। शिवजी ने सभी देवताओं को भगवान विष्णु के पास भेजा, श्रीहरि ने उन्हें मुक्ति दिलाने का भरोसा दिया।

युद्ध की कहानी: भगवान विष्णु और मूर का संग्राम

भगवान विष्णु ने सभी देवताओं को चंद्रवती नगर की ओर प्रस्थान करने का कहा और स्वयं मूर से युद्ध करने के लिए युद्धभूमि में पहुंचे। दम्भी मूर ने भगवान विष्णु पर प्रहार किया, और एक भयंकर युद्ध शुरू हुआ जो 10 हजार वर्षों तक चलता रहा।

गुफा में भगवान विराजमान :

Utpanna Ekadashi: भगवान विष्णु के विजय का पर्व
ब्रम्हाण्ड में अनंत विष्णु
युद्ध की उत्तक्षेत्र में थके हुए भगवान विष्णु ने बद्रिकाश्रम की गुफा में आराम करने का निश्चय किया। इस गुफा का एकमात्र द्वार था, और भगवान की विराजमानता में यहां कोई भी पहुंचने से पहले देवी चंद्रवती का सामना करना पड़ेगा, देवी को उस स्थान का रक्षक बना दिया।

देवी चंद्रवती का उत्पत्ति:

युद्ध के दौरान, थककर गुफा में सोये भगवान विष्णु पर मूर ने हमला करने का इरादा किया, लेकिन उनके शरीर से एक चमकदार रूप वाली देवी का उत्पत्ति हुई। इस देवी ने मूर का वध कर दिया। भगवान विष्णु ने देवी चंद्रवती को आशीर्वाद दिया कि तुम्हारा जन्म मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर हुआ है। इसलिए तुम्हारा नाम ‘उत्पन्ना एकादशी’ होगा। इस व्रत को करने से व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।

उत्पन्ना एकादशी :

साल 2023 में Utpanna Ekadashi 8 दिसंबर को है. इस दिन सुबह 5 बजकर 6 मिनट से मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी शुरू हो रही है. यह तिथि 9 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 31 मिनट तक है.
 उदयातिथि के आधार पर Utpanna Ekadashi का व्रत 8 दिसंबर को रखा जाएगा.
Utpanna Ekadashi का व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति और मोक्ष के लिए किया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए पूजा-अर्चना और व्रत किया जाता है. एकादशी का व्रत बिना व्रत कथा के अधूरा माना गया है.

समापन:

Utpanna Ekadashi व्रत की कथा हमें यह सिखाती है कि भगवान की भक्ति और समर्पण से ही हम अपने जीवन के कठिनाईयों को पार कर सकते हैं। इस विशेष एकादशी के दिन व्रत करने से हम अपने पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं और अध्यात्मिक उन्नति की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। इस अद्वितीय पर्व के माध्यम से हम भगवान विष्णु की कृपा को प्राप्त करते हैं और अपने जीवन को पवित्र बनाने का संकल्प लेते हैं। Utpanna Ekadashi के इस अद्वितीय पर्व के माध्यम से हम सभी एक-दूसरे के साथ भाईचारे और प्रेम का संदेश बांटते हैं और समृद्धि की कामना करते हैं।
Rajesh Mishra
Writer at Hind Manch

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।

आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

By Rajesh Mishra

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं। आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

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