मकरसंक्रांति विज्ञान और धर्म का अद्भुत संगम
MakarSankranti: भारत एक कृषि प्रधान देश है।यहां खेती को भी त्योहार से जोड़ दिया जाता है। इसीलिए, भारत में मनाए जाने वाले हर तीज त्योहार रंग बिरंगे होते हैं। ऐसे ही लोहड़ी और मकरसंक्रांति (MakarSankranti) भी फसलों से जुड़े हुए त्योहार हैं, जिन्हें पूरे भारत में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। सर्दियों में पड़ने वाले इन दो त्योहार लोहड़ी और मकरसंक्रांति (MakarSankranti) अलग ही जोश और उत्साह होता है। बताते चलें कि इन दिनों वातावरण में ठंड कम होने लगती है।
वहीं खिली-खिली धूप भी नजर आने लगती है। इसी कड़ी में खाने-पीने को लेकर भी कई तरह के व्यजनों का ऑप्शन भी होता है। मकरसंक्रांति (MakarSankranti) के बाद से ही मांगलिक कार्यो का शुभारंभ हो जाता है। फसल से जुड़े इस त्योहार को उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब, उड़ीसा, असम और तमिलनाडु तक इन दो-तीन दिनों को अलग-अलग नाम व तरीकों से मनाया जाता है। लेकिन, अलग-अलग जगहों पर मनाए जाने के बाद भी इस पर्व का संदेश एक ही होता है। सर्दी की विदाई और प्रकृति द्वारा दी गई नई फसलों का स्वागत का संदेश देता यह पर्व एक नई ऊर्जा का संचार का जाता है। इसी कड़ी में इस त्यौहार से जुड़ी कई कहानियां भी प्रचलित हैं।

जहां पर दक्षिण भारत में इस त्योहार को पोंगल के नाम से मनाया जाता है और पंजाब, हरियाणा और दिल्ली सहित एनसीआर के कई इलाकों में लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है। वहीं उत्तर भारत समेत, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी या मकर संक्रांति के नाम से भी मनाया जाता है। इस दिन लोग खुली हुई धूप में बैठकर नई फसलों से मिले चूड़े, लाई,तिल से बनी रेवड़ी गजक, गुड़ से बनी मिठाइयां खाते हैं और सूर्य देव को नमन करते हैं। आइए जानते हैं मकरसंक्रांति (MakarSankranti)क्यों मनाई जाती है
मकरसंक्रांति (MakarSankranti) क्यों मनाई जाती है
दरअसल, मकरसंक्रांति (MakarSankranti) मनाने के पीछे धार्मिक कारण भी है। मकर संक्रांति पर कुछ उपाय करने से करने से मुक्ति और पुण्य का लाभ मिलता है। मकरसंक्रांति (MakarSankranti) के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए, ऐसा करने से 10,000 गोदान का फल प्राप्त होता है। इस दिन गर्म कपड़े,कंबल, तिल और गुड़ से बनें व्यंजन और खिचड़ी दान करने से सूर्य और शनि देव की कृपा प्राप्त होती है। मकर संक्रांति पर काशी और प्रयाग के गंगा तट पर स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

मकर संक्रांति पर तिल का दान,घी का दान, गुड का दान और खिचड़ी का दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसी दिन से एक महीने से रुके हुए सभी शुभ कार्यों का शुभारंभ हो जाता है। जिसमें लोग नए घर खरीदते हैं, जमीनों की रजिस्ट्री कराई जाती है। इसी कड़ी में शादी विवाह जैसे मांगलिंग कार्य भी इसी दिन के बाद से शुरू हो जाते हैं। बताते बताते चलें की मकर संक्रांति पर गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश मकरसंक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है। इसे देखते ही देखते हुए ही वर्ष 1989 से 14 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय पतंग दिवस भी मनाया जाता है।
हालांकि, पतंग उड़ाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। दरअसल, कड़ाके की सर्दी में शरीर सिकुड़ से जाता है। शीतलहर और कोहरे के कारण सूर्य के भी दर्शन लंबे समय तक नहीं हो पाते हैं। सर्दी से बचने के लिए हम अपने शरीर को भी गर्म कपड़ों में छुपा लेते हैं। जिससे शरीर को धूप लग नहीं पाती और विटामिन डी भी नहीं मिलता है।

लेकिन, पतंग उड़ाने के लिए जब छतों, मैदानों में निकलते हैं तो धूप हमारे शरीर पर पड़ती है। जिससे हमारे शरीर में ऊर्जा का नया संचार होता है। बताते चलें कि सूर्य की किरणें विटामिन डी का सबसे बड़ा सोर्स हैं। ऐसे में पतंग उड़ाने के पीछे केवल मनोरंजन ही नहीं सेहत का भी राज छुपा हुआ है।
इसी कड़ी में अपने देश में त्यौहार कोई भी हो उनसे जुड़े व्यंजनों का कोई जोड़ नहीं है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र में मकर संक्रांति को खिचड़ी के तौर पर भी जाना जाता है। जब नई फसल के चावल और दालों से खिचड़ी बनाई और दान की जाती है। ताकि हम हल्का-सुपाच्य भोजन करें और तिल गुड़ की सूखी मिठाइयों का आनंद लें।

असम में यह पर्व बिहू के नाम से जाना जाता है जिसमें चावल के आटे में गुड़ मिलाकर पीठा बनता है। उड़ीसा में इस दिन को नौखाई कहते हैं। जिसमें कच्चे केले से बना कदली भाजा बनता है। तमिलनाडु में इस दिन पोंगल पर मानते हैं। जिसमें चावल अच्छा में मूंग की दाल से बने वेन पोंगल व सक्कई पोंगल बनाते हैं।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।
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