राम मंदिर (Ram Mandir) में प्राण प्रतिष्ठा की तारीख बेहद नजदीक है।
ऐसे में अयोध्या सहित पूरे देशभर में प्रभु श्री राम के स्वागत को लेकर तैयारियां तेज हो चुकी हैं। राम मंदिर (Ram Mandir) ट्रस्ट और आरएसएस की घर-घर संपर्क अभियान के तहत अयोध्या समेत पूरे देश में में पूजित अक्षत का वितरण भी शुरू हो गया है। इसी कड़ी में राम मंदिर की जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, वे भी बेहद मन मोहने वाली हैं।
आपको बताते चलें कि अयोध्या में निर्मित राम मंदिर (Ram Mandir) पूरे उत्तर भारत का सबसे बड़ा और विशाल मंदिर होने वाला है। राम मंदिर (Ram Mandir) का मुख्य सिंह द्वार हो या गर्भ गृह की दिव्यता और भव्यता सभी आकर्षित करने वाली हैं। ऐसे में आइए जानते हैं अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर (Ram Mandir) की विशेषताएं:
राम मंदिर (Ram Mandir) का निर्माण नागर शैली में
राम मंदिर (Ram Mandir) परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है। राम मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी। राम मंदिर (Ram Mandir) तीन मंजिला रहेगा, प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे। राम मंदिर के मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा। राम मंदिर में 5 मंडप होंगे: नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप होंगे। राम मंदिर के खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं।

रामलला के दर्शन के लिए मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा। राम मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले दिव्यांगजनों एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी। मंदिर के चारों ओर चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी। परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा।

उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा। मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा। मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे। दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है एवं तथा वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है।
राम मंदिर (Ram Mandir) में लोहे का उपयोग नहीं
राम मंदिर (Ram Mandir) में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है। राम मंदिर (Ram Mandir) के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है। राम मंदिर (Ram Mandir) को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है। मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे।

25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी। राम मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी। मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।
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