Aditya L1 Mission : भारत ने मिशन लांच करने के बाद इतिहास रच किया है।
वर्ष 2023 में चंद्रयान 3 की सफलतम लैंडिंग के बाद अब इसरो ने नए वर्ष 2024 में सूर्य की चौखट पर दस्तक दे दी है। इसी के साथ भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में इतिहास रच दिया है। भारत का पहला सूर्य मिशन Aditya L1 Mission अपनी मंजिल पर पहुंच चुका है। Aditya L1 Mission सूर्य पृथ्वी लंग्रेज बिंदु L1 के चारों और एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित हो गया है। बताते चलें कि L1 उस जगह का नाम है जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल एक जैसा होता है।
इसकी जानकारी कल शाम पीएम मोदी ने देश को दी। जानकारी के लिए बता दें कि Aditya L1 Mission को 2 सिंतबर को PSLV-C57 पर लांच किया गया था। अपनी 110 दिवसीय यात्रा के बाद Aditya L1 Mission मिशन अंतरिक्ष यान को हेलो कक्षा में स्थापित हो चुका है। Aditya L1 Mission के लिए इस कक्षा में प्रवेश होना बेहद जरूरी था, क्योंकि यह उपग्रह को ग्रहण से बचाती हैं। इस कक्षा की मदद से Aditya L1 Mission सटीक तरीके से सौर अवलोकन कर सकेगा। आइए जानते हैं Aditya L1 Mission के बारे में कुछ खास बातें:
Aditya L1 Mission भारत के लिए मिशन है खास
बताते चलें कि Aditya L1 Mission सूर्य की जानकारी जुटाने के लिए 15 लाख किलोमीटर की यात्रा 120 दिन में करके L1 पर पहुंचा। Aditya, L1 से ही सूर्य की गतिविधियों पर नजर रखेगा और तमाम रहस्यों से पर्दा उठाएगा। भारत का यह पहला सौर मिशन होने के कारण पूरे भारतीयों को लिए गर्व का विषय है। इससे पहले यूरोप, अमेरिका, जापान और चीन की एजेंसियों ने ऐसे मिशन को लांच किया है।

जानकारी के लिए बता दें पूरे अंतरिक्ष में पांच लंग्रेज बिंदु हैं। Aditya L1 Mission में 7 पेलोड लगे हैं। चार पेलोड सीधे सूर्य की ओर होंगे। शेष तीन पेलोड L1 पर ही क्षेत्रों का अध्ययन करेंगे। मिशन के तहत सौर वायुमंडल (क्रोमोस्फियर, फोटोस्फेयर और कोरोना) का अध्ययन करेगा। इससे अन्य तारों के बारे में भी जानकारी मिल सकेगी। L1 की दूरी पृथ्वी से दूरी, सूर्य और पृथ्वी के बीच की दुरी का लगभग एक प्रतिशत है। इसरो के अनुसार L1 बिंदु के आसपास कक्षा में रखे गए सेटेलाइट से सूर्य को बिना किसी ग्रहण के देखा जा सकता है। इस मिशन से सौर गतिविधियों व अंतरिक्ष मौसम को देख सकते हैं।
Aditya L1 Mission पूरी दुनिया के लिए है
इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि सिर्फ भारत का ही नहीं पूरे विश्व का है। सोमनाथ ने कहा कि सूर्य को समझना केवल भारत ही पूरे विश्व को समझना बेहद जरूरी है। उन्होंने आगे बताया कि, आदित्य L1 हालो ऑर्बिट की ओर बढ़ रहा था। लेकिन, इसे सही जगह स्थापित करने के लिए इसे 31 मीटर/सेकंड का वेग देना पड़ा।

इस पूरे प्रोसेस में कंट्रोल इंजनों से फायरिंग करनी पड़ी। इसरो वैज्ञानिकों ने जो हासिल किया है वह हमारे माप और वेग की जरूरत की बहुत सही भविष्यवाणी पर आधारित सटीक प्लेसमेंट है। हमारी टीम अगले कुछ घंटों तक इस पर नजर रखेगी ताकि यह न भटके। यह थोड़ा भी भटकता है, तो हमें थोड़ा सुधार करना पड़ सकता है।

भारत के लिए यह वर्ष अन्य मिशन के लिए भी खास रहने वाला है। Aditya L1 Mission के बाद भारत के वैज्ञानिकों का हौसला काफी बढ़ा हुआ है। इससे पहले इसरो ने चंद्रयान 3 की लैंडिंग करके चांद के बारे में कई अनसुलझे पहलुओं को सुलझाया है। भारत की अंतरिक्ष में बढ़ती ताकत को देखते हुए विश्व में भी भारत के वैज्ञानिकों का डंका बज रहा है। दुनिया ने भी भारत के वैज्ञानिकों की ज्ञान का लोहा मान लिया है। ऐसे में मिशन सफलता के बाद भारत की पकड़ अंतरिक्ष की दुनिया में और भी मजबूत होती दिख रही है।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।
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