राम मंदिर (Ram Mandir) का भव्य और दिव्य स्वरूप सामने है।
नवनिर्मित राम मंदिर (Ram Mandir) के गर्भगृह में प्रभु श्री राम लला की मूर्ति को इस प्रकार से स्थापित किया जा रहा है, कि प्रत्येक वर्ष रामनवमी को भगवान सूर्य स्वयं भगवान राम का अभिषेक अपनी सूर्यकिरणों से कर सकेंगे। भारत के प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की सलाह पर मूर्ति की लंबाई और उसे स्थापित करने की ऊंचाई को इस प्रकार से रखा गया है कि हर साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की दोपहर 12:00 सूर्य की किरणें प्रभु श्री राम के ललाट पर पड़ेंगी। स्थापना के लिए रामलला को तीन मूर्तियां निर्मित कराई गई हैं। इनमें से दो श्याम वर्णन शील से निर्मित है और एक संगमरमर से बनाई गई है।
राम मंदिर (Ram Mandir) के गर्भगृह में रामलला की मूर्ति स्थापित होगी किंतु प्रथम तल पर प्रभु श्री राम के साथ माता सीता, तीनों भाई एवं हनुमान जी की प्रतिमा भी स्थापित होगी। देश के सुप्रसिद्ध तीन शिल्पकारों ने प्रभु श्री राम की मूर्ति का निर्माण अलग-अलग किया है। जिसमें से एक मूर्ति को प्रभु प्रेरणा से चुना गया है। चुनी गई मूर्ति की चरण से लेकर ललाट तक की लंबाई 51 इंच है और इसका वजन डेढ़ टन है।

श्यामल रंग के पत्थरों से निर्मित मूर्ति में न केवल भगवान विष्णु की दिव्यता और एक राजपुत्र की कांति है, बल्कि 5 साल के बच्चे की मासूमियत भी है। प्रभु श्री राम के चेहरे की कोमलता आंखों की बनावट, मुस्कान, शरीर आदि के ध्यान में रखते हुए मूर्ति का चयन किया गया है। 51 इंच ऊंची मूर्ति के ऊपर मस्तक, मुकुट और आभामंडल को भी बारीकी से तैयार किया गया है। आपको बताते चलें की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम 16 जनवरी से प्रारंभ कर दिया जाएगा।
राम मंदिर (Ram Mandir) से जुड़ीं विशेष बातें
मिली जानकारी के अनुसार 17 जनवरी को मूर्ति के साथ अयोध्या धाम में विशाल शोभायात्रा निकाली जाएगी। 18 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा की विधि प्रारंभ होगी। 19 जनवरी को अग्नि स्थापना की जाएगी। 20 जनवरी को मंदिर के गर्भ गृह को सरयू से लाए गए जल से पवित्र किया जाएगा
21 जनवरी को रामलला को 125 कलशों से दिव्य स्नान कराया जाएगा।
22 जनवरी को मृगशिरा नक्षत्र में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। प्रभु श्री राम की मूर्ति की एक विशेषता यह भी है कि से अगर जल और दूध से स्नान कराया जाएगा तो इसका नकारात्मक प्रभाव पत्थर पर नहीं पड़ेगा। इसी के साथ अगर कोई उसे जल या दूध का आचमन करता है तो शरीर पर भी इसका दुष्प्रभाव नहीं होगा।

इसी कड़ी में बताते चलें कि श्री राम मंदिर (Ram Mandir) भव्यता के साथ भारतीय परंपरा एवं तकनीक का भी उदाहरण बन रहा है। मंदिर निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है और न्यू के ऊपर कंक्रीट का भी प्रयोग नहीं किया गया है। राम मंदिर (Ram Mandir) की निर्माण की तकनीक की सबसे बड़ी विशेषता मंदिर की नींव ही है। जानकारी के लिए बता दें मंदिर की नींव 400 फीट लंबे एवं 300 फीट चौड़े विशाल भू क्षेत्र पर मोटी रोलर कंपैक्टेड कंक्रीट की बनाई गई है।

इसी कड़ी में आपको बताते चलें कि राम मंदिर (Ram Mandir) के अतिरिक्त राम मंदिर में बहुत श्रद्धालुओं के रहने के लिए धर्मशाला एवं गेस्ट रूम बनाया गया है। राम मंदिर (Ram Mandir) प्रांगण में संगीत फव्वारे, भोग प्रबंधन लघु क्षेत्र, माता सीता रसोई, सहित अन्य जन सुविधाओं भवनों को बनाया गया है। राम मंदिर (Ram Mandir) प्रांगण में बैंक एटीएम ,आपातकालीन चिकित्सा सहायता केंद्र, जलाशय ,उद्यान, यात्रियों के लिए लाकर तथा यात्री सुविधा केंद्र का भी निर्माण हो रहा है। यात्री सुविधा केंद्र के प्रथम चरण में 25000 की क्षमता वाले सुविधा केंद्र का निर्माण हो रहा है। परिसर में 16 लाइट उप केंद्र का संचालन शुरू हो चुका है।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।