ठंड (Cold Wave) ने पूरे उत्तर प्रदेश को अपने आगोश में ले लिया है।
इस समय यूपी में पश्चिम से लेकर पूर्व तक कड़ाके की ठंड (Cold Wave) पड़ रही है। ठंड (Cold Wave) और शीतलहर ने पूरे प्रदेशवासियों को ठिठुरने पर मजबूर कर दिया है। ठंड (Cold Wave) की वजह से बीते 5 दिनों से ऐसा कोई भी दिन नहीं है। जिसकी सुबह कोहरे से ढकी ना हो, ऐसे में पूरा प्रदेश कोहरे की चादर में लिपटा हुआ नजर आ रहा है। यदि पश्चिमी यूपी की बात करें तो मेरठ जिला सबसे ठंडा जिला रहा।
यहां सोमवार को 3.6 डिग्री सेल्सियस तापमान था। यही हाल मुजफ्फरनगर का भी रहा। इस तरह रामनगरी अयोध्या की बात करें तो यहां भी पारा 5 डिग्री तक आ पहुंचा। रायबरेली से लेकर प्रयागराज समेत काशी में भी ठंड का असर देखने को मिला इसी दौरान कई सारी ट्रेनें भी विलंब से चल रही हैं। जो की 6 से 8 घंटे की देरी से चल रही हैं। इससे यात्रियों को यात्रा करने में भी काफी मुसीबत का सामना कर करना पड़ रहा है। वहीं यदि पूर्वांचल की बात करें तो यूपी के पूर्वांचल में सोनभद्र सबसे ठंड (Cold Wave) जिला रहा है।
4.1 डिग्री इस जिले का तापमान रहा जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड तोड़ने वाला है। इसी कड़ी में आज हम आपको बताने वाले हैं कि इस ठिठुरन भरी ठंड (Cold Wave) से कैसे बचा जाए। क्योंकि आने वाले दिनों में ऐसी कोई उम्मीद नहीं लग रही है कि भगवान भास्कर के दर्शन होंगे। और, इस ठिठुरती भरी ठंड (Cold Wave) से राहत मिलने की कोई उम्मीद भी नजर नहीं आ रही है। आइए जानते हैं कि इस मौसम में क्या करें क्या ना करें जिससे कि ठंड (Cold Wave) से होने वाली बीमारियों से बचा जा सके
शीत लहर/ठंड (Cold Wave) के समय क्या करें क्या न करें
1. रेडियो सुनें यह जानने के लिए कि क्या शीतलहर आने वाली है, स्थानीय मौसम पूर्वानुमान के लिए टीवी देखें, समाचार पत्र पढ़ें।
2. सर्दियों के कपड़ों का पर्याप्त स्टॉक रखें। कपड़ों की कई परतें अधिक सहायक होती हैं।
3. आपातकालीन आपूर्ति तैयार रखें।
4. फ्लू बहती/बंद नाक या नाक से खून आने जैसी विभिन्न बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है, जो आमतौर पर ठंड (Cold Wave) के लबे समय तक संपर्क में रहने के कारण विकसित होती है या बढ़ जाती है। इस तरह के लक्षणों के लिए डॉक्टर से सलाह लें।

शीतलहर ठंड (Cold Wave) के दौरान
1. मौसम की जानकारी और आपातकालीन प्रक्रिया की जानकारी का बारीकी से पालन करें, और सलाह के अनुसार कार्य करें।
2. जितना संभव हो घर के अंदर रहे और ठंडी हवा के संपर्क से बचने के लिए यात्रा कम से कम करें।
3. भारी कपड़ों की एक परत के बजाय ढीले-ढाले, हल्के, हवारोधी गर्म ऊनी की कई परतें पहनें। टाइट कपड़े रक्त सचार कम करते हैं।
4. अपने आप सूखा रखें, यदि गीला है, तो अपने सिर, हाथ, और पैर, की उगलीयों को पर्याप्त रूप से ढकलें क्योंकि गर्मी को अधिकांश नुकसान शरीर के इन्हीं हिस्सों से होता हैं।
5. दस्तानें को प्राथमिकता दें। दस्तानें ठण्ड से अधिक गर्मी और इन्सुलेशन प्रदान करते हैं, क्योंकि उंगलियां अपनी गर्मी साझां करती हैं, और कम सतह क्षेत्र को ठंड (Cold Wave) के संपर्क में लाती है।

6. गर्मी के नुकसान को रोकने के लिए टोपी और मफलर का उपयोग करें, इंसुलेटेड/वॉटरप्रूफ0जुते पहनें।
7. शरीर के तापमान का संतुलन बनाए रखनें के लिए स्वस्थ भोजन खाए।
8. पर्याप्त रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाएं रखने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियां खाए ।
9. नियमित रूप से गर्म तरल पदार्थ पियें, इससे ठंड (Cold Wave) से लड़ने के लिए शरीर में गर्मी बनी रहेगीं।
10. अपनी नियमित रूप से तेल, पैट्रोलियम जैली या बॉडी क्रीम से मॉइस्चराइज करें।
11. बुजुर्गों और बच्चों का ख्याल रखें और अकेले रहने वाले पड़ोसियों, खासकर बुजुर्गों से उनका हालचाल पूछें।
12. आवश्यकतानुसार आवश्यक सामग्री को भण्डारण करें। पर्याप्त पानी संग्रहित करें क्योंकि पाइप जम सकतें हैं।
13. गैर-औद्योगिक भवनों के लिए ताप इन्सुलेशन पर गाइड का पालन करें और आवश्यक तैयारी उपाय करें।
14. ठंडी लहरों के संपर्क में आने पर शीतदंश के लक्षणों जैसे सुन्नता, उंगलियों, पैर की उंगलिया कान की लोब और नाक की नोक पर सफेद या पीला दिखना।

15. लबे समय तक ठंड (Cold Wave) के संपर्क में रहनें से त्वचा पीली, कठोर और सुन्न हो सकती है, और शरीर के खुले हिस्सों जैसे उंगलियों, पैर की उंगलियों, नाक औरध्या कानों पर कालें छालें पढ़ सकतें हैं। तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
16. शीतदंश से प्रभावित क्षेत्रों का गर्म (गर्म नहीं) पानी से उपचार करें। (शरीर के अप्रभावित हिस्सों के लिए तापमान छूनें के लिए आरामदायक होना चाहिए।)
17 . कंपकपी को नजरंअदांज न करें, यह महत्वपूर्ण पहला सकेंत है, की शरीर की गर्मी कम हो रही है, और यह जल्दी से घर के अन्दर लौटने का सकेंत हैं।
18. शीतदंश/हाइपोथर्मिया से पीड़ित किसी व्यक्ति के यथा शीघ्र चिकित्सा सहायता लें।
19. पालतू जानवरों को घर के अन्दर लें जाए। इसी तरह, मवेशियों या घरेलू पशुओं को भी अन्दर लें जाकर ठंड के मौसम से बचाएं।
20. शीत लहर के गंभीर संपर्क से हाइपोथर्मिया हों सकता हैं, शरीर के तापमान में कमी जिससे कपकपीं, बोलने में कठिनाई, नींद आना, मांसपैशियों में अकड़न, भारी सांस लेना, कमजोरी और ध्यान चेतना की हानि हो सकती हैं, हाइपोथर्मिया एक चिकित्सीय आपात स्थिति हैं, जिसके लिए तत्काल चिकित्सा ध्यान देनें की आवश्कता होती हैं।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।