राम मंदिर (Ram Mandir) में भगवान श्री राम की बाल स्वरूप की मूर्ति गर्भगृह में लग चुकी है।
राम मंदिर (Ram Mandir) गर्भ गृह में विराजमान रामलला की मूर्ति बेहद सुंदर और मन को मोहने वाली है। जानकारी के लिए बताते चलें की राम मंदिर (Ram Mandir) में विराजमान रामलला की मूर्ति को काली शीला से बनाई गई है। राम मंदिर (Ram Mandir) में विराजमान विग्रह में प्रभु श्री राम के बाल रूप को उकेरा गया है। जिनमें प्रभु की आयु को पांच वर्ष रखा गया है। इस रूप में उनके चेहरे से बाल रूप की मासूमियत को महसूस किया जा सकता है। इसी कड़ी में उनके चारों और कुछ प्रतीक बनाए गए है जिनसे इस विग्रह को ऊर्जा प्राप्त होगी।
बताते चलें की राम मंदिर (Ram Mandir) में प्रतिष्ठित होने के लिए इस विग्रह को कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगिराज ने बनाई है। मूर्तिकर अरुण योगिराज देश के जाने माने मूर्तिकार हैं। उन्होंने भगवान के अतिरिक्त सुभाषचंद्र बोस और आदि गुरु शंकराचार्य की भी मूर्तियां बनाई हैं। भगवान राम के विग्रह को बनाते समय इस बात का खास ख्याल रखा गया है, की मूर्ति से दिव्यता और भव्यता के दर्शन हो सकें।

दरअसल, जो विग्रह आप रूपी होते हैं उनमें आमतौर पर कुछ ख़ास चिह्न और निशानी लेकर प्रकट होते है जो की उनकी शक्ति को बढ़ा देते है। इस बात का मूर्तिकार अरुण योगिराज ने खास ख्याल रखा है। राम मंदिर में प्रतिष्ठित विग्रह को ध्यान से देखें तो कहीं से भी पत्थर को तोड़ा नहीं गया है। श्री राम लला के मस्तक के ठीक ऊपर भगवान सूर्य नारायण का प्रतीक है। भगवान राम स्वयं सूर्यवंशी है और सूर्य ऊर्जा के प्रतीक होने के साथ-साथ संसार आत्मा इसलिए उनके मस्तक के ऊपर आशीर्वाद के रूप में सूर्य नारायण को रखा गया है।
राम मंदिर (Ram Mandir) में विराजित विग्रह में सभी देवताओं का वास
मूर्ति के दाएं ओर ॐ और स्वस्तिक का चिह्न है। शिवपुराण विद्येश्वर संहिता के अनुसार शिव के पांच मुख है और ॐ उनके मुख से निकली पहली ध्वनि है। शब्द सिद्धि के लिए ॐ बेहद ज़रूरी है इसलिए मूर्तिकार ने ॐ के प्रतीक को बनाया। इसके बाद स्वास्तिक को भी जगह दी जिसके बिना कोई शुभ कार्य नहीं हो सकता। स्वास्तिक को हिन्दू धर्म में गणेश जी का प्रतीक माना गया है इसलिए विघ्नहर्ता के रूप में स्वास्तिक विराजमान हुआ है।

बाद विग्रह के बायीं ओर देखे तो चक्र और गदा है। इसका सीधा सम्बन्ध विष्णु से है। दरअसल विष्णु को देवताओं का नायक कहा गया है और देवासुर संग्राम में विष्णु ही देवताओं की मदद करते है। श्री राम उन्हीं विष्णु के अवतार हैं और वो चक्र गदा को धारण करते हैं। इसलिए आसुरी शक्तियों का नाश करने के लिए इस विग्रह को चक्र गदा से आभामंडित किया गया है।

विग्रह को ध्यान से देखने पर दाएं और बाएं दोनों ओर श्री हरि विष्णु के दसों अवतारों को भी उकेरा गया है। जिनमें मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि अवतार को दोनों ओर जगह दी गई है। वहीं वामन अवतार के नीचे हनुमान जी विराजमान है जो शिव के रूद्र रूप है और त्रेता में उन्होंने श्री राम की सेवा के लिए रुद्रावतार लिया था।

इसलिए मूर्तिकार ने हनुमान जी को श्री राम के चरणों के पास स्थान दिया है। श्री राम के चरण के पास ही कमल है जो श्री यानी लक्ष्मी का प्रतीक है ,श्री विष्णु कभी भी अपनी शक्ति के बिना कोई कार्य नहीं करते इसलिए कमल को शक्ति रूप में विराजित किया गया है। कल्कि अवतार के प्रतीक के नीचे गरुड़ को विराजित किया है। महाभारत के अनुसार ऋषि कश्यप और विनता के पुत्र गरुड़ को श्री विष्णु ने अपना वाहन बनाया था इसलिए मूर्तिकार ने इस बात का भी विशेष ख्याल किया और गरुड़ को श्री राम के चरण के पास स्थान दिया है। इससे श्री विष्णु की ऊर्जा इस विग्रह को प्राप्त होती रहेगी।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।