Kisan Andolan : सरकार और किसानों के बीच अब तल्खी बढ़ती जा रही है।
इसी बीच दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर से एक बुरी खबर सामने आई है। दरअसल, हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर चल रही तनातनी के बीच जिला गुरदासपुर के गांव चाचौकी के रहने वाले एक किसान की मौत हो गई है। मृतक किसान की पहचान ज्ञान सिंह पुत्र गुज्जर सिंह के रूप में हुई है। उधर, मृतक किसान के परिवार को जैसी ही मौत की खबर मिली, में कोहराम मच गया। किसान के मौत की खबर से परिजनों सहित आसपास में शोक की लहर है।
मिली जानकारी के अनुसार,11 फरवरी को किसान मजदूर संघर्ष कमेटी जोन बाबा नामदेव जी के किसान संगठन का हिस्सा बनकर किसान ज्ञान सिंह शंभू बॉर्डर पर गए थे। दिल्ली में चल रहे Kisan Andolan में 14 फरवरी को उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। आनन फानन में उन्हें नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। गांव के सरपंच जगदीश सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि किसान की मौत की घटना के बारे में परिजनों बता दिया गया है। किसान का शव जल्द ही गांव भेजा जाएगा और किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के पंजाब प्रधान सरवन सिंह पंढेर इस मामले पर आगे की कार्रवाई करेंगे।
Kisan Andolan : खाने-पीने की वस्तुएं हुई महंगी
पंजाब से आ रहे Kisan Andolan का असर अब आम जन के जीवन पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। डेली रूटीन से जुडी हुई चींजें अब महंगी होने लगी है। खाने -पीने की चीजों की सप्लाई पर भी असर पड़ना शुरू हो गया है। पंजाब से आने वाला आलू, मटर, किन्नू और आजादपुर सब्जी मंडी से आने वाली कुछ सब्जियां भी रोहतक मंडी में नहीं पहुंच रही हैं।
गुजरात से आने वाले टमाटर के लिए ट्रांसपोर्ट वाले गुजरात जाने से मना कर रहे हैं। इसके चलते सब्जी मंडी में टमाटर का सिर्फ शुक्रवार का ही स्टॉक बचा हुआ है। फिलहाल स्थानीय स्तर पर पहुंच रहे टमाटर से ही काम चलाना पड़ रहा है। अगर किसानों का आंदोलन इसी तरह चलता रहा तो सब्जियों के दामों में भी भारी उछाल हो सकता है।

सब्जी मंडी के प्रधान सोनू छाबड़ा का कहना है कि ट्रांसपोर्ट यूनियन तो ट्रक भेजने के लिए तैयार है, लेकिन ड्राइवर गुजरात की तरफ जाने से मना कर रहे हैं। इसके चलते पिछले दो दिन से गुजरात की तरफ से टमाटर भी नहीं आ रहा है। वहीं पंजाब की तरफ से आने वाला आलू व मटर ट्रकों में भरकर आ रहा था, लेकिन उन्हें पंजाब से ही लौटना पड़ा। हालांकि अभी जिले के ही गांव से आने वाला टमाटर व फर्रुखनगर से आने वाली मटर से ही काम चलाया जा रहा है।
वहीं आजादपुर मंडी से भी सब्जियां न पहुंचने के कारण अगले दो दिन बाद समस्या गहरा सकती है। यही नहीं गुजरात की तरफ से आने वाला अंगूर भी कम मात्रा में पहुंच रहा है। अगर बॉर्डर सील इसी तरह से रहे तो अन्य सब्जियां भी इधर-उधर आने-जाने में समस्या और बढ़ेगी। नासिक से आने वाला प्याज भी अब नहीं पहुंच रहा है। फिलहाल एक सप्ताह का प्याज का स्टॉक पड़ा हुआ है।

वहीं इस बार लोगों को किसान आंदोलन को लेकर लोग सवाल भी खड़े कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर पंजाब व हरियाणा के किसानों का दिल्ली कूच करना सवाल खड़े कर रहा है। हो सकता है कि इसमें हजारों भोले-भाले किसान शामिल हैं, लेकिन क्या यह आंदोलन पूरे देश का नेतृत्व कर रहा है।

मौके की जो तस्वीरें मीडिया के जरिए सामने आ रही हैं उससे तो यही लगता है कि कुछ वर्ग विशेष के लोग उसमें शामिल है। उनकी सरकार से ऐसी मांगें हैं जो शायद ही पूरी की जा सकें, बावजूद इसके वे दिल्ली में आकर एक बार फिर से उपद्रव को दोहराना चाहते हैं। किसानों के बेटे ही सुरक्षा में खड़े हैं लेकिन उनके साथ जिस तरह से प्रदर्शनकारी लड़ रहे हैं इसकी गहन जांच होनी चाहिए।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।