Gyanpith Puraskar 2023 : उर्दू के मशहूर गीतकार गुलजार और जगद्गुरु रामभद्राचार्य संस्कृत के विद्वान हैं
जगद्गुरु रामभद्राचार्य और गीतकार गुलजार को इस बार का Gyanpith Puraskar 2023 से सम्मानित किया जाएगा। Gyanpith Puraskar 2023 चयन समिति ने दोनों के नामों को घोषणा कर दी है। उर्दू के लिए मशहूर गीतकार गुलजार और संस्कृत के लिए जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 58वां ज्ञानपीठ सम्मान दिया जाएगा। गौरतलब है कि दोनों हस्तियां अपने-अपने क्षेत्र में काफी मशहूर हैं। भारतीय ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आरएन तिवारी ने बताया कि प्रसिद्ध कथाकार और Gyanpith Puraskar 2023 से सम्मानित प्रतिभा राय की अध्यक्षता में चयन समिति ने फैसला लिया।
जहां जगद्गुरु रामभद्राचार्य संस्कृत भाषा और वेद-पुराण के प्रकांड विद्वान हैं, वहीं गुलजार तमाम फिल्मों में गीत लिखने के अलावा गजल और कविता के क्षेत्र में मशहूर हैं। बैठक में ज्ञानपीठ के निदेशक मधुसुदन आनन्द भी शामिल थे। 1944 में भारतीय ज्ञानपीठ की स्थापना की गई थी। वर्ष 1965 से भारतीय साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिवर्ष ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की शुरुआत हुई। संस्कृत भाषा को दूसरी बार और उर्दू के के अलावा लिए पांचवीं बार ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जा रहा है।
Gyanpith Puraskar 2023 के निदेशक देश का सर्वोच्च साहित्य, सम्मान है। विजेताओं को पुरस्कार में 11 लाख रुपए की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। गोवा के लेखक दामोदर मौजो को 2022 का प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था। जगद्गुरु को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने पर दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय परिवार समेत धर्मनगरी में खुशी की लहर है। संस्कृत के प्रकांड विद्वान, बहुभाषाविद रामभद्राचार्यः रामभद्राचार्य का जन्म 1950 में जौनपुर के खांदीखुर्द गांव मान में हुआ था।

चित्रकूट में रहनेवाले रामभद्राचार्य प्रख्यात विद्वान, शिक्षाविद, बहुभाषाविद, रचनाकार, मिल थे। प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू पीठ की धर्मगुरु हैं। रामानन्द सम्प्रदाय के 1965 से वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर 1988 से विराजमान हैं। ‘रामभद्राचार्य चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान क पुरस्कार के संस्थापक और अध्यक्ष हैं।
Gyanpith Puraskar 2023 : कौन हैं जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य
बाल्यकाल में वेद कंठस्थ करने और अब तक 230 पुस्तकें लिखने वाले 22 भाषाओं के विद्वान तुलसी पीठाधीश्वर पद्मविभूषण जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य को भारतीय साहित्य का सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने पर धर्मनगरी में खुशी की लहर है। नेत्रहीन होते हुए भी उन्होंने कई भविष्यवाणी कीं, जो सत्य हुई हैं। विश्व का पहला दिव्यांग विश्वविद्यालय उन्होंने स्थापित किया, जिसे राज्य सरकार ने अपने अधीन कर लिया लेकिन वह उसके आजीवन कुलाधिपति हैं।

आध्यात्मिक गुरु, शिक्षक, दार्शनिक, लेखक, संगीतकार, गायक व नाटककार के साथ 22 भाषाओं के विद्वान जगद्गुरु की तीन पुस्तकों का विमोचन पिछले साल चित्रकूट आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तुलसीपीठ में किया था। विमोचित पुस्तकों में पाणिनी अष्टाध्यायी पद वृतित्यी, श्रीकृष्ण की राष्ट्रलीला और श्रीरामानंदाचार्य चरितमः महाकाव्य है। संस्कृत में नौ हजार पृष्ठ के महाकाव्य में 27 सर्ग है। जगद्गुरु ने नेत्र दिव्यांग होते हुए भी कई भविष्यवाणियां कीं, जो – सत्य हुई हैं। विश्व का पहला दिव्यांग विश्वविद्यालय उन्होंने स्थापित किया है जिसे राज्य सरकार ने अपनी-अधीन कर लिया है। विश्वविद्यालय के वह आजीवन कुलाधिपति हैं। जगद्गुरु जब दो माह के थे, तब आंखों में ट्रेकोमा संक्रमण होने से उनकी रोशनी चली गई थी।
इन संस्थानों की स्थापना की,
- जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय,
- तुलसी पीठ, नेत्र दिव्यांगजन के लिए – तुलसी प्रज्ञाचक्षु विद्यालय,
- जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग सेवा संघ
- कांच मंदिर।

सम्मान :
- पद्म विभूषण (2015),
- देवभूमि पुरस्कार (2011),
- साहित्य अकादमी पुरस्कार (2005),
- बादरायण पुरस्कार (2004),
- राजशेखर सम्मान (2003)1
- जगद्गुरु ने जताई प्रसन्नता
स्वामी रामभद्राचार्य ने ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने पर प्रसन्नता जताई है। वह इस समय एम्स दिल्ली में भर्ती हैं और वीडियो के माध्यम से उन्होंने कहा कि यह सम्मान मिलने पर पद्मविभूषण मिलने से ज्यादा प्रसन्नता हो रही है। यह मेरी विद्या का सम्मान है।
योगी ने जगदगुरु रामभद्राचार्य और गुलजार को दी बधाई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जगदगुरु रामभद्राचार्य और गीतकार गुलजार को 58 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किये जाने की घोषणा पर हर्ष व्यक्त किया है। उन्होंने सस्कृत विद्वान और तुलसी पीठ के संस्थापक रामभद्राचार्य को अपनी शुभकामनाएं देते हुए इंटरनेट मीडिया पर अपनी पोस्ट में लिखा, ‘पूज्य संत, संस्कृत भाषा के प्रकांड विद्वान व आध्यात्मिक गुरु, रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज जगद्गुरु को प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार- 2023 से सम्मानित होंने पर हृदयतल से बधाई। आपका तपस्वी और शुचिता पूर्ण जीवन पूरे समाज के लिए एक महान प्रेरणा है।’ मुख्यमंत्री ने गीतकार गुलजार को अपनी शुभकामनाएं देते हुए लिखा, ‘प्रख्यात गीतकार, कवि व फिल्मकार गुलजार जी को प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023 से सम्मानित होने पर हार्दिक बधाई।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।