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Ram Mandirराम मंदिर में जल्द शुरू होगा प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम

अयोध्या (Ayodhya) में प्रभु श्री राम की प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियों जोरो पर है।

ऐसे में पूरा देश प्रभु श्री राम के चरणों में एकता की भावना के साथ नतमस्तक है। अयोध्या (Ayodhya) के श्री राम मंदिर की तरफ इस समय भारत के उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्व से पश्चिम से भक्ति की बयार चल रही है। अयोध्या (Ayodhya) के तरफ हर व्यक्ति अपनी क्षमतानुसार अपने आराध्य के दर्शन के लिए आगे बढ़ रहा है।

पैदल, व्हील चेयर, साइकिल जैसी जिसकी सुविधा वो वैसे प्रभु श्री राम के दर्शन करने अयोध्या (Ayodhya) आ रहा है। पूरे भारत में भाव भक्ति की गंगा बह रही है, क्योंकि प्रभु के अपने नव्य-भव्य धाम में 22 जनवरी को विराजने से पहले रामलला का यह स्वरूप एक बार जी भर कर अपने आंखों में भर लेने की चाह है।

इतने वर्षों प्रभु ने जो कुछ झेला, उसकी कराह है तो है, लेकिन अब जो कुछ हो रहा, बदल रहा, संवर-निखर रहा, वह मुदित कर रहा। इसके लिए हर हृदय से निकल रही वाह है। कोई काशी-मथुरा तो कांची-अवंतिका या देश के विभिन्न रामजन्मभूमि पथ पर जयश्रीराम के उदघोष के साथ रामलला के दर्शन के लिए आगे बढ़ रहा है।

अयोध्या (Ayodhya) जोड़ रही पूरे भारत को

प्रभु के दर्शन के साथ ही उनकी लीलाओं से जुड़ी स्थलियों में शीश नवाता है। कनक भवन, दशरथ महल, हनुमान गढ़ी का दर्शन तो सरजू महारानी, नया घाट पर प्रणाम करने के साथ प्रभु के समाहित स्थल गुप्तारघाट भी हो आता है। इन सब के बीच लता चौक की अद्भुत छटा और उभरते चार पथ से अभिभूत हो जाता है। ऐसे वातावरण में सब तन अवध, हर मन राम हुआ जाता है।

Ayodhya
लता चौक

अवध धाम की बदलती तस्वीर को नयनों में सहेजते हुए प्रभु की चरण-शरण पा जाने का मन में सहज ही भाव आता है। इसमें खास यह कि हरि की चरण धूलि पाकर छोटा-बड़ा, ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम समेत सब भेद मिट जाता है।

Ayodhya
अयोध्या जोड़ रही पूरे भारत को

प्रभु प्रथम बार शिक्षा-दीक्षा के लिए गुरु वशिष्ठ के साथ वन गए तो दूसरी बार विश्वामित्र के साथ दंडकारण्य तक की यात्रा कर आसुरी शक्तियों का दमन किया। प्रभु श्रीराम लंका विजय के बाद अयोध्या लौटते समय हर समाज प्रमुख को साथ लाए और राज्याभिषेक आयोजन में अतिथ्य दिया। इस तरह शोषित, पीड़ित, वंचित समाज को राजमहल से जोड़ कर उचित सम्मान प्रदान किया। कुछ वैसे ही एक बार फिर अयोध्या में नजर आ रहा है। महर्षि वाल्मीकि के नाम पर एयरपोर्ट तो सुग्रीव किला और शबरी स्थल भी संवर रहा है। रामलला कि प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान उत्सव में 127 संप्रदायों और अखाड़ों के संत तो आ ही रहे, आमंत्रण का अक्षत, आदिवासी-वनवासी समाज तक बढ़ रहा है।

अयोध्या (Ayodhya) में मर्यादा का पाठ पढ़ाया

प्रभु का पूरा अवतार काल समाज और राष्ट्र निर्माण को सदा समर्पित रहा। वनवास में पहले और राज्याभिषेक के बाद भी सम्मूचे राष्ट्र को एक सूत्र करने में जुटे रहे। इसके लिए उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक संपूर्ण राष्ट्र को मर्यादा का पाठ पढ़ाते हुए एकाकार किया। उन्होंने भारत के विभिन्न प्रांतों से होते हुए लंका तक की यात्रा की। वनवास काल में गांव में रहने की अनुमति न थी, तो जगलों में रहे। ऋषि-मुनियों का आशीष लिया। उनके आश्रम आदिवासियों के बीच पहुंचे। उन्हें मान-सम्मान व नाम-पहचान दी।

Ayodhya
अयोध्या में मर्यादा का पाठ पढ़ाया

अयोध्या (Ayodhya) में भारत का हर जनमानस आगामी 22 जनवरी को मौजूद रहना चाहता है। हर राम भक्त अपने आराध्य की एक झलक पाने को आतुर है, व्याकुल है। 22 जनवरी को उन लोगों का भी सपना पूरा होने वाला है, जिन्होंने राम मंदिर के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। 22 जनवरी को प्रभु श्री राम को अपने घर में प्रवेश करते समय उन दिवंगत राम भक्तों की भी आत्मा तृप्त अवश्य होगी।

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Rajesh Mishra
Writer at Hind Manch

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।

आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

By Rajesh Mishra

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं। आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

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