इंटरनेट की दुनिया में बचपन दांव पर
Cyberbullying: इंसान ने खुदको सशक्त बनाने के उद्देश्य से अपने आप को तकनीक से लैस कर लिया, लेकिन कई बार विज्ञान और प्रौद्योगिकी इंसान के लिए अभिशाप भी बन जाती है जब वो इसका दुरुपयोग करने लगता है। एक तरफ दुनिया वैश्विक गांव बन चुकी है इंटरनेट के इस्तेमाल से, तो वहीं दूसरी तरफ साइबरबुलिंग जैसे खतरों के कारण बच्चों का बचपन भी दांव पर लग गया है। ऑनलाइन क्राइम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लगभग बेलगाम हो चुके हैं और ये बच्चों को डराने-धमकाने के लिए भी इस्तेमाल किए जा रहे। इसकी वजह से Cyberbullying का खतरा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। Cyberbullying से बचने के लिए 11 टिप्स शेयर किए हैं, बच्चों की शिक्षा और सेहत पर काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था- यूनिसेफ ने।
अपनाएं बचाव के ये तरीके-
Cyberbullying से बचाव के तरीकों की बेहतर और प्रभावशाली समझ के लिए यूनिसेफ ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, टिकटॉक और एक्स (ट्विटर) जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ काम किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के अलावा, साइबरबुलिंग का खतरा मैसेजिंग और गेमिंग प्लेटफॉर्म यूजर्स पर भी है। आपराधिक मानसिकता के लोग निशाना बनाते हैं स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रही युवा पीढ़ी को। मासूम यूजर्स को डराने, शर्मिंदा करने या गुस्से और आवेश में कोई गलत काम करने के लिए उकसाते हैं साइबरबुलिंग करने वाले ये अपराधी।
Cyberbullying का दायरा इंटरनेट जैसे माध्यम की वजह से बहुत प्रभावी है, जिसमे सोशल मीडिया पर किसी के बारे शर्मनाक तस्वीरें या वीडियो शेयर कर किसी के चरित्र को बदनाम करने की कोशिश करना, झूठ फैलाना, धमकी भरे मैसेज, फोटो या वीडियो का गलत तरीके से इस्तेमाल भी साइबरबुलिंग है। नकली सोशल मीडिया अकाउंट्स का इस्तेमाल किसी दूसरे के नाम की आईडी, बनाकर अश्लील और घटिया संदेश भेजकर दूसरों को परेशान करना भी साइबरबुलिंग है।
Cyberbullying से कैसे बचें ?
Cyberbullying इसलिए भी अत्यधिक खतरनाक है क्योंकि इससे डिजिटल वर्ल्ड में भ्रामक और बदनाम करने वाली सूचनाएं बहोत तेजी से फैलती हैं। डिजिटल दुनिया में होने का एक लाभ भी है। जिसमे गतिविधियों के निगरानी के जरिये दुरुपयोग पर पाबंदी लगाया जा सकता है। ऐसे क्रूर अपराधियों पर लगाम कसने में डिजिटल सबूतों का प्रभावशाली रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है। यूनिसेफ के अनुसार साइबरबुलिंग से बचने के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन पर संपर्क कर मनोवैज्ञानिक और काउंसलर जैसे पेशेवरों की सहायता भी ली जा सकती है।
1. क्या ऑनलाइन धमकाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं साइबर यानी इंटरनेट माध्यमों का इस्तेमाल कर?
2. किसी के साथ मजाक और धमकी के बीच का फर्क कैसे जान सकते हैं? साइबरबुलिंग से मानसिक सेहत पर कैसे कितना और क्या क्या प्रभाव पड़ता है?
3. साइबरबुलिंग बच्चों और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को किस तरह से प्रभावित कर सकती है?
4. अगर कोई ऑनलाइन धमका रहा है तो उससे बचने के लिए किससे बात करनी चाहिए? ऐसे मामलों की कांप्लेन क्यों जरूरी है?
5. इस बारे में अपने माता-पिता से बात करने से डर लगता है, साइबरबुलिंग का शिकार होने की जानकारी होने के बावजूद। इससे पीड़ित लोग ऐसी जटिल परिस्थिति में किनसे और कैसे संपर्क कर सकते हैं?
6. अपने दोस्तों की मदद कैसे करें जो साइबरबुलिंग के शिकार? खासकर अगर वो मानसिक रूप से कमजोर हैं और इन मामलों पर बात ही नहीं करना चाहते तो उन्हें कैसे इसके लिए समझाएँ?
7. Cyberbullying को कैसे रोका जा सकता है, इंटरनेट का इस्तेमाल छोड़े बिना?
8. हेरफेर या अपमानित होने से बचने के लिए सोशल मीडिया पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी का गलत इस्तेमाल होने से कैसे रोकें?
9. क्या कोई सजा है Cyberbullying जैसे जघन्य अपराध के लिए?
10. Cyberbullying जैसे ऑनलाइन अपराध और बच्चों-युवाओं के उत्पीड़न की कोई परवाह नहीं है प्रौद्योगिकी कंपनियों को। क्या कंपनियों की जवाबदेही ऐसी घटनाओं के साबित होने पर तय की जा रही है?
11. क्या कोई प्रमाणिक ऑनलाइन एंटी-बुलिंग टूल है बच्चों या युवाओं को Cyberbullying से बचाने के लिए?
यूनिसेफ ने इन सभी सवालों पर विस्तार से जानकारी दी है।
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Deepak Maurya
दीपक कुमार मौर्य
आप उत्तर प्रदेश के गंज, सारनाथ, वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने सिक्किम मनिपाल विश्वविद्यालय दिल्ली से BCA किया है,आप टेक्नोलॉजी के बारे में जानना एक्सप्लोर करना और लिखने का शौक रखते हैं। आप HIND MANCH में Tech Writer के रूप में जुड़े हैं।