इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) देश के वर्ष भर का वित्तिय लेखा जोखा होता है।
इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) में देश के आर्थिक विकास का विवरण दिया होता है। इस सर्वे को देश की आर्थिक सेहत भी कहा जाता है। इसे संसद में देश का वित्त मंत्री पेश करता है। हर वर्ष 31 जनवरी को यह सर्वे संसद में पेश किया जाता है। पिछले वर्ष की अर्थव्यवस्था का हाल क्या रहा, यह इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) ही बताता है।
देश में अर्थव्यवस्था का लाभ हानि भी इसी रिपोर्ट से पता चलता है। जानकारी के लिए बताते चलें कि यह सर्वे रिपोर्ट बजट पेश होने से पहले पेश की जाती है। इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) की रिपोर्ट के आधार पर ही अर्थव्यवस्था में संभावनाएं देखी जाती है और सरकार को भी बजट तय करने में सहायता होती है।
इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) रिपोर्ट को वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के आर्थिक विभाग द्वारा तैयार किया जाता है। यह रिपोर्ट मुख्य आर्थिक सलाहकार की देख-रेख में तैयार की जाती है। इसके बाद वित्तमंत्री इसपर अपनी सहमति देते हैं। इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) को देश के वित्त मंत्री द्वारा संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है। इसके बाद आर्थिक मुख्य सलाहकार मौजूदा वित्त बजट का ब्यौरा पेश करते हैं। बजट में मुख्य आर्थिक सलाहकार के सुझावों को शामिल किया जाता है। आइए जानते हैं इकोनॉमिक सर्वे के बारे में विशेष बातें:
इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) क्या है कब शुरू हुआ
इस रिपोर्ट में सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि,मुद्रास्फीति, राजकोषीय प्रदर्शन और व्यापार जैसे प्रमुख डेटा रहते हैं। यह अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों जिनमें कृषि, उद्योग और सेवा है। इन तीनों को भी आर्थिक सर्वेक्षण में शामिल किया जाता है। देश में पहली बार इकोनॉमिक सर्वे वर्ष 1950-51 में पेश किया गया था। वर्ष 1964 से पहले यह बजट का हिस्सा होता था, लेकिन इसे बजट से अलग कर दिया गया।

इसके बाद बजट पेश होने के एक दिन पहले इसे संसद में वित्तमंत्री द्वारा पेश किया जाता है। इकोनॉमिक सर्वे दो भागों में बंटा होता है। पहले भाग में देश की वर्तमान आर्थिक हालात का पूरा विवरण दिया जाता है। वहीं दूसरे भाग में स्वास्थ्य, गरीबी, जलवायु परिवर्तन और मानव विकास सूचकांक जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में जानकारी दी गई होती है।
बजट और इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) में अंतर
यहां बजट और इकोनॉमिक सर्वे में अंतर जानना बेहद जरूरी है। क्योंकि कई बार अक्सर इसे एक ही मान लिया जाता है, जो असली में ऐसा नहीं है। दरअसल, बजट का अर्थ आने वाले साल के लिए वित्त का लेखा जोखा होता है। मसलन सरकार आने वाले एक साल में कितना पैसा कहां किस क्षेत्र में खर्च करने वाली है। वहीं इकोनॉमिक सर्वे का अर्थ बीते हुए वित्तीय वर्ष में हुए लाभ हानि का विवरण होता है। जिसके आधार पर आने वाले वर्ष का वित्तीय बजट आधारित होता है।
इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) 2022-23 का सारांश
2023-24 के दौरान भारत की जीडीपी विकास दर 6.0 से 6.8 प्रतिशत रहेगी, जो वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक घटनाक्रमों पर निर्भर है। आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 का अनुमान है कि जीडीपी विकास दर वित्त वर्ष 2024 के लिए वास्तविक आधार पर 6.5 प्रतिशत रहेगी। अर्थव्यवस्था की विकास दर मार्च 2023 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए 7 प्रतिशत (वास्तविक) रहने का अनुमान है, पिछले वित्त वर्ष में विकास दर 8.7 प्रतिशत रही थी।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए ऋण में तेज वृद्धि दर्ज की गई है, जो जनवरी-नवम्बर, 2022 के दौरान औसत आधार पर 30.5 प्रतिशत रही। केन्द्र सरकार का पूंजीगत व्यय (कैपेक्स), जो वित्त वर्ष 2023 के आठ महीनों के दौरान 63.4 प्रतिशत की दर से बढ़ा, यह वर्तमान वर्ष के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को गति देने का प्रमुख कारण रहा है। आरबीआई का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2023 के लिए महंगाई दर 6.8 प्रतिशत रहेगी, जो इसकी लक्ष्य सीमा से अधिक है।

निर्माण गतिविधियों में प्रवासी श्रमिकों के लौटने से, निर्माण सामग्री के जमा होने की प्रक्रिया, जो पिछले साल के 42 महीनों के मुकाबले वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में 33 महीनों की रही है, में महत्वपूर्ण कमी दर्ज करने में मदद मिली है। वित्त वर्ष 2022 में निर्यात में तेजी दर्ज की गई, वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में उत्पादन प्रक्रिया में तेज वृद्धि दर्ज की गई है।

वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में निजी खपत जीडीपी के प्रतिशत के रूप में 58.4 प्रतिशत रही, जो 2013-14 के बाद के सभी वर्षों की दूसरी तिमाहियों के मुकाबले सबसे ज्यादा है, जिसे संपर्क आधारित सेवाओं जैसे व्यापार, होटल और परिवहन की मजबूती से समर्थन मिला। विश्व व्यापार संगठन का अनुमान है कि वैश्विक व्यापार में वृद्धि 2022 के 3.5 प्रतिशत के मुकाबले 2023 में 1.0 प्रतिशत के निम्न स्तर पर रहेगी; सर्वेक्षण ने इस तथ्य को रेखांकित किया है।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।