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ROTI BANK संस्था का संस्थापक आरोपी - दिलीप पांडेय

Roti Bank Lucknow/ सहयोग करने के नाम पर लोगों के साथ धोखाधड़ी कर लोगो की चल अचल संपत्ति को हथियाना शायद यही काम बना है ROTI BANK संस्था के संस्थापक व समाजवादी प्रदेश साप्ताहिक समाचार पत्र के संपादक दिलीप पांडेय का, जो दिखाते है अपने आपने आप को समाज का सेवक लेकिन ROTI BANK संस्था और पत्रकारिता की आड़ में बहुत बड़ा गेम खेल रहे हैं। उजागर मामला फतेहपुर के रहने वाले बृजेश कुमार का है जिसके साथ Roti Bank संस्था के संस्थापक पत्रकार दिलीप कुमार पांडेय ने सहयोग के नाम पर धोखाधड़ी की है।

क्या है मामला ?

फतेहपुर निवासी बृजेश कुमार के थाना विकास नगर, विकास नगर लखनऊ में दिए शिकायत पत्र के अनुसार 2016 में प्रार्थी के स्थानीय थानें में प्राथमिकी दर्ज हुई थी, जिसमें क़ानूनी सहयोग के लिए प्रार्थी ने ROTI BANK संस्था के संस्थापक, पत्रकार दिलीप पांडेय पुत्र श्री राज बहादुर पांडेय नि.538क /1681 शिवलोक त्रिवेणी नगर- 3 लखनऊ से कानूनी सलाह हेतु किसी सलाहकार के बारे में पूछा था। जिस पर ROTI BANK संस्था के संस्थापक, पत्रकार दिलीप पांडेय ने लखनऊ मिलने के लिए बुलाया और कानूनी सलाह हेतु अच्छे वकील से मिलवाने का आश्वासन भी दिया। जिस पर प्रार्थी अपने पिता के साथ में लखनऊ आ गया और विकास नगर में ROTI BANK संस्था के संस्थापक पत्रकार दिलीप पांडेय ने एक ब्रोकर के माध्यम से प्रार्थी को किराए का एक मकान दिलवाकर रखवा दिया ।
ROTI BANK संस्था संस्थापक
ROTI BANK संस्था का संस्थापक आरोपी – दिलीप पांडेय
लगभग एक साल इधर उधर भटकाते हुए वकीलों की फीस के नाम पर प्रार्थी से टुकड़ों में 2 लाख रूपये ले लिए परंतु कोई मदद नहीं की। धीरे धीरे प्रार्थी की आर्थिक स्थिति खराब होती चली गई जिससे की प्रार्थी अपने बीमार पिता की दवाइयां भी लाने में असमर्थ होने लगा क्योंकि वो कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित थे।अवसरवादी ROTI BANK संस्था के संस्थापक, पत्रकार दिलीप पांडेय ने फिर से प्रार्थी को अपने झांसे में लेकर कहने लगा की आपके पास गांव में एक स्कॉर्पियो गाड़ी है न हो तो उसको यहां मंगवा लो मैं किसी भी विभाग में अधिकारी के पास 30 से 35 हजार रूपए प्रति माह पर लगवा दूंगा, जिससे कि तुम्हारी कुछ आर्थिक सहायता हो सकेगी और बीमार पिता का इलाज भी हो पाएगा।

पत्रकार दिलीप पांडेय की बातों पर विश्वास करके प्रार्थी ने अपनी स्कॉर्पियो गाड़ी जो कि S–10 2.2mhwk M H डायमंड व्हाइट जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर यू.पी.70 सी.वी.2067(UP70CV2067) था। दिनांक 20 फरवरी,2017 को गांव से गाड़ी मंगवा कर ROTI BANK संस्था के संस्थापक दिलीप कुमार पांडेय को लेखराज पन्ना चौराहा विकास नगर थाना विकास नगर लखनऊ में गाड़ी व उससे संबंधित सभी कागजात और चाभी सौंप दिया ।

ROTI BANK संस्था के संस्थापक की धमकी से डरा प्रार्थी

1से 2 माह के पश्चात जब ROTI BANK संस्था के संस्थापक प्रार्थी की फ़ोन कॉल और सभी तरह के संपर्क करने से हिला हवाली शुरू कर दी और गाड़ी विभाग में लगने के फलस्वरूप में मिलने वाले पैसे भी नहीं दिए तब प्रार्थी ने पत्रकार दिलीप पांडेय से कहा मेरी गाड़ी वापस कर दो ,तब ROTI BANK संस्था के संस्थापक ने कहा न तो कोई पैसा मिलेगा और न ही तुम्हारी गाड़ी जाओ जो चाहो कर लो। ज्यादा बोलोगे तो मैं अपनी पहुंच के बल पर तुमको और तुम्हारे पिता दोनो को जेल में डलवा दूंगा।

जिस पर प्रार्थी सहम और सिहर गया क्योंकि प्रार्थी के पिता का स्वास्थ्य ठीक नहीं था। जब प्रार्थी ने बार-बार मिन्नते की कि मेरी गाड़ी वापस कर दो तो दिलीप पांडेय कहने लगे जाओ 5 लाख रुपए का इंतजाम करो, तब मैं तुमको गाड़ी वापस कर दूंगा दिलीप पांडेय जान गया था की प्रार्थी के पास पैसे नहीं थे,और गांव में प्रार्थी के ऊपर प्राथमिकी दर्ज होने के कारण कुछ कर नहीं पायेगा।

जब ये सभी बातें प्रार्थी के पिता को पता चली तो सदमे से प्रार्थी के पिता जी का 22 जुलाई, 2019 में निधन विकास नगर लखनऊ में हो गया जो की प्रार्थी के जीवन की अपार क्षति थी । प्रार्थी भी टूट गया था और पूर्व में प्रार्थी पर दर्ज प्राथमिकी की वजह से उसपर कोई विधिक कार्यवाही नही कर पाया। कही से कोई विधिक सलाहकार की मदद न मिलने पर पूर्व में प्रार्थी पर दर्ज प्राथमिकी में प्रार्थी ने जनपद फतेहपुर के जिला एवं सत्र न्यायालय में 4 दिसंबर 2020 को आत्मसमर्पण कर दिया और 16 जनवरी,2022 को प्रार्थी जेल से रिहा होकर बाहर आया।

ROTI BANK संस्था के संस्थापक ने फर्जी हस्ताक्षर से गाड़ी अपने नाम की

प्रार्थी जेल से रिहा होने के बाद दिलीप कुमार पांडेय से संपर्क साधना चाहा पर ये अपने निवास को बेच कर कही और चला गया किसी तरह से प्रार्थी ने पत्रकार दिलीप पांडेय का नंबर प्राप्त कर अपने गाड़ी के बारे में पूछा तो पत्रकार दिलीप पांडेय कहने लगा किसकी गाड़ी ? कैसी गाड़ी ? UP70CV2067 यह गाड़ी तो मेरी है मेरे नाम पर पंजीकृत है। जब प्रार्थी ने ऑनलाइन चेक किया तो पाया कि बिना प्रार्थी के जानकारी और बिना प्रार्थी अनुमति के जालसाजी करके गाड़ी अपने नाम करवा ली।

क्या कहते हैं विकास नगर चौकी इंचार्ज

मामले की जाँच कर रहे विकास नगर चौकी इंचार्ज संतोष पटेल जी का कहना है की जाँच चल रही है, यदि बिना अनुमति के फर्जी हस्ताक्षर से गाड़ी ट्रांसफर हुई होगी तो विभिन्न धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर आरोपी को जेल भेजा जायेगा और गाड़ी पूर्व मालिक के नाम ट्रांसफर करवाई जाएगी।

Rajesh mishra
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आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के नक्खी घाट के रहने वाले है। आपने लखनऊ के पॉलिटेक्निक लखनऊ से पत्रकारिता मास कम्युनिकेशन किया है। आप हिस्टोरिकल प्लेस में घूमना और उनके बारे में जानने के साथ लिखने का शोक रखते हैं।
आप Hind Manch में Editer के रूप में जुड़े हैं।

By Rajesh Mishra

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के नक्खी घाट के रहने वाले है। आपने लखनऊ के पॉलिटेक्निक लखनऊ से पत्रकारिता मास कम्युनिकेशन किया है। आप हिस्टोरिकल प्लेस में घूमना और उनके बारे में जानने के साथ लिखने का शोक रखते हैं। आप Hind Manch में Editer के रूप में जुड़े हैं।

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