Mukhtar Ansari : फर्जी शस्त्र लाइसेंस केस में उम्रकैद की सजा
उम्रकैद की सजा काट रहा अंतरराज्यीय गिरोह (आईएस-191) का सरगना और पूर्वांचल के बाहुबली Mukhtar Ansari को आजीवन सजा हो चुकी है। जानकरी के लिए बताते चलें गाजीपुर के 33 वर्ष 3 महीने 9 दिन पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में माफिया Mukhtar Ansari को वाराणसी की एमपी-एमएलए अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है।
इसी के साथ माफिया Mukhtar Ansari पर दो लाख दो हजार का जुर्माना भी लगाया गया है। बता दें की इस मामले में मुख़्तार अंसारी की सजा को लेकर 54 पेज का फैसला आया है। वाराणसी की एमपी -एमएलए कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हुई। आज जब Mukhtar Ansari को सजा सुनाई जा रही थी, तब बांदा जेल में बंद मुख़्तार ने सफेद टोपी और सदरी पहनी हुई थी। आज फैसले के दौरान Mukhtar Ansari काफी उदास नजर आया। अभी तक मुख़्तार अंसारी पर जितने भी मामले चल रहे हैं,उनमें अभी तक कुल आठवीं बार सजा हुई है।
Mukhtar Ansari : इन धाराओं के तहत हुई सजा
माफिया Mukhtar Ansari को अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420 यानी धोखाधड़ी, 467 यानी बहुमूल्य सुरक्षा, वसीयत आदि की जालसाजी और 468 यानी ठगी के मकसद से जालसाजी का दोषी पाया गया, जिसमें सजा सुनाई गई है। भारतीय दंड संहिता की इन धाराओं के तहत अधिकतम दस साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा मुख्तार अंसारी को आयुध अधिनियम की धारा 30 के तहत दोषी पाया गया है। इसके तहत अधिकतम छह माह की सजा या जुर्माना या दोनों से दंडित करने का प्रावधान है।

दरअसल, विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) अवनीश गौतम की अदालत ने आज फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में को मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई। इस दौरान मुख्तार अंसारी कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुआ बता दें कि इससे पहले माफिया मुख़्तार इसी अदालत ने बीते साल 5 जून 2023 को अवधेश राय हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा सुना चुकी है। इससे पहले मुख्तार को अब तक सात मामलों में सजा मिल चुकी है। आठवें मामले में दोषी करार दिया गया है।
Mukhtar Ansari : क्या है मामला
इस पूरे मामले में अभियोजन पक्ष का कहना है कि मुख्तार अंसारी ने 10 जून 1987 को गाजीपुर जनपद में जिलाधिकारी कार्यालय में दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। इसके बाद माफिया मुख़्तार अंसारी पर आरोप लगा कि उस समय के तत्कालीन गाजीपुर के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त किया था। इसके बाद जब इस पूरे फर्जीवाड़े के खिलाफ सीबीसीआईडी ने 4 दिसंबर 1990 को गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद और अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।

जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 1997 में आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया गया था। सुनवाई के दौरान गौरीशंकर श्रीवास्तव की मृत्यु हो जाने के कारण उसके विरुद्ध 18 अगस्त 2021 को मुकदमा समाप्त कर दिया गया। अदालत में अभियोजन की ओर से एडीजीसी विनय कुमार सिंह और अभियोजन अधिकारी उदय राज शुक्ला ने पक्ष रखा।
एक समय था जब पूर्वांचल में बाहुबली मुख्तार अंसारी का खौफ था। मुख्तार अंसारी ने समाजवादी पार्टी और बीएसपी से अपनी राजनीति की है। मऊ स सदर विधायक रहे मुख्तार अंसारी ने अपनी खूब चलती चलाई है। हालांकि, बता दें कि अभी मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी भी समाजवादी पार्टी से गाजीपुर जनपद के सांसद है। हालाँकि, इस बार आगामी लोकसभा चुनाव में एक बार फिर समाजवादी पार्टी ने मुख़्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी को लोकसभा का प्रत्याशी चुना है। मुख़्तार अंसारी को इससे पहले कुल 7 बार सजा का एलान हो चुका है।
वहीं जानकारी के लिए बता दें कि वाराणसी की ही एमपी एमएलए कोर्ट ने जनपद के चेतगंज थाने में अवधेश राय की हत्या सहित अन्य आरोपों में दर्ज मुकदमे में मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास और एक लाख रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया। अवधेश राय, कांग्रेस नेता व उत्तर प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के भाई थे।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।