Kisan Andolan : दिल्ली-शंभू बॉर्डर पर बसी अस्थाई सिटी
दिल्ली में आज Kisan Andolan के लिए बेहद महत्वपूर्ण दिन है। आज किसान और सरकार के मध्य चौथे दौर की बैठक होनी है। जिसमें किसान संगठनों के प्रमुख और सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्रियों का दल बैठक करने वाले हैं। जानकारी के लिए बता दें कि पंजाब किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि शंभू बॉर्डर पर आज हमारा छठा दिन है।
सरकार की तरफ से चर्चा करने के लिए समय मांगा गया है। दरअसल, दिल्ली में पंजाब और हरियाणा के किसानों ने सभी फसलों पर एमएसपी का गारंटी कानून बनाने की मांग की है। इस बार के आंदोलनों में किसानों की कुछ नई मांगें भी जुड़ी हुई है। जिसे लेकर किसान दिल्ली-शंभू बॉर्डर पर पिछले एक हफ्ते से आंदोलन कर रहे है।

वहीं आंदोलन में अन्य किसानों को जोड़ने के लिए भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने घोषणा की है कि 21 फरवरी को उत्तर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा। किसान अपने ट्रेक्टर दिल्ली की ओर जाने वाले राजमागों पर पार्क करेंगे। बताते चलें कि हरियाणा और पंजाब के किसानों का संगठन इसबार के Kisan Andolan को लीड कर रहा है। जिसके चलते दिल्ली से सटे कई इलाकों में आम जीवन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली-शंभू बॉर्डर से सटे स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल,ऑफिस जगहों पर आने जाने वालों के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
Kisan Andolan : छह महीने का राशन लेकर दिल्ली पहुंचे किसान
दरअसल, Kisan Andolan जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, इसके कई रंग देखने को मिल रहे हैं। शंभू बॉर्डर पर एक अस्थायी शहर बस चुका है। जिसमें पांच किलोमीटर से ज्यादा ट्रकों और ट्रैक्टरों की भूल भुलैया है। मिली जानकारी के अनुसार, करीब 15000 से ज्यादा किसान रोज शाम होते ही इन ट्रकों और ट्रैक्टरों को अपना बेडरूम बना लेते हैं। पास ही में खाना बनता है और ट्रैक्टरों पर लगे लाउड स्पीकरों पर गाने बजने लगते हैं।

पास ही चल रहे जेनरेटर का शोर भी उसमें घुल जाता है। भाई-चारे के साथ मिली-जुली रसोइयां चल रहीं हैं। युवा और बुजुर्गों का एक साथ रहने-खाने और सोने का इंतजाम है। इतना ही नहीं गर्मी के मौसम में कुछ ट्रक व ट्रालियां ऐसी हैं, जिसमें कूलर, एसी, टीवी व फ्रिज भी फिट हो जाते हैं।
इस बार भी किसान वर्ष 2020-2021 की तरह ही पूरी तैयारी के साथ दिल्ली-शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं। Kisan Andolan में शामिल किसानों के अनुसार, किसान रोज की जरूरत का सामान साथ ले आए हैं। किसान ट्राली पर गैस सिलेंडर, लकड़ियां, मिल्क पाउडर के डिब्बे, आलू-प्याज के बोरे, आटा, दाल-चावल, मसाले और घर में तैयार देसी घी जैसी चीजें लाए हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि किसानों द्वारा साथ लाई गई सभी चीजें छह महीने के लिए पर्याप्त मात्रा में हैं। वहीं Kisan Andolan में लगातार किसान जुड़ भी रहे हैं और अपने साथ जरूरी सामान भी ला रहे हैं। किसानों के अनुसार, यदि सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तो ऐसे में आंदोलन लंबा चल सकता है।

किसान अपने साथ ट्रैक्टरों में गद्दों और गद्दों के नीचे बिछाने के लिए पराली भी लेकर आए हैं। ऐसा देखा जा रहा है कि हर ट्राली को एक मिनी घर के रूप में तैयार किया गया है। हर ट्राली पर बल्ब लगाया गया है। एक ट्रॉली में बारह लोगों के रहने का इंतजाम है। किसान कहते हैं- ये हमारा बेडरूम है। हमें फर्क नहीं पड़ता कि यहां कितने दिन रहना पड़ेगा। जब हम घर से चले थे, तभी से हमें अंदाज़ा था कि ये लड़ाई लंबी चलेगी।
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि यह आंदोलन किसानों का नहीं एक अलगाववादी आंदोलन है। इसके जवाब में किसानों का कहना है कि कुछ राजनीतिक व आम लोग ये कहकर बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं कि ये तो एक अलगाववादी आंदोलन है, जो सरकार को ब्लैकमेल करना चाहता है। यह सरासर गलत है।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।