कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) भारत के स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक और राजनीतिज्ञ थे।
कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) बिहार की राजनीति में जाना-पहचाना नाम है। कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) बिहार राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री और दो बार के मुख्यमंत्री थे। कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) को बिहार में समाजवादी नेता, वंचितों के मसीहा के रूप में जाना जाता है। ऐसे में मोदी सरकार ने कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) को उनके जन्म शताब्दी वर्ष पर भारत रत्न देने की घोषणा की है। कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) को मरणोपरांत यह सर्वोच्च सम्मान मिलने वाला है।
बता दें कि कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) को बिहार की राजनीति में सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने वाला नेता माना जाता है। कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) ने जीवन भर कांग्रेस की नीतियों का विरोध किया और उनके खिलाफ लड़ते रहे। कांग्रेस के खिलाफ लड़ते हुए कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) ने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया और बिहार के मुख्यमंत्री तक पहुंचे। कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) के राजनीति कद को देखते हुए तत्कालीन प्रधनमंत्री इंद्रा गांधी भी सकते में थी। यहां तक कि इंद्रा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी में कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) को गिरफ्तार करने की कोशिश की गई। लेकिन, कर्पूरी ठाकुर को गिरफ्तार करने में इंद्रा सरकार नाकाम रही।
कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) बिहार में समाजवाद के बड़े चेहरे
कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) का जन्म बिहार के समस्तीपुर जिले के पिंतौझिया गांव में 24 जनवरी 1924 को एक साधारण नाई परिवार में हुआ था। वर्ष 1952 में कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) आजीवन किसी न किसी सदन के सदस्य रहे। कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) जमीन से जुड़े नेता थे, इतने महत्वपूर्ण पदों पर रहने के बाद भी न तो उनका कोई अपना घर और न ही उनकी कोई निजी गाड़ी थी। उनके पास पैतृक संपत्ति भी नहीं थी। राजनीति में सज्जनता, ईमानदारी और लोकप्रियता के कारण कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) को जननायक बना दिया था।

कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) वर्ष 1977 में बिहार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) ने मुख्यमंत्री बनते ही समाज के दबे पिछड़ों, आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के सुधार के लिए काम करना शुरू किया। कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) ने अपने कार्यकाल में मैट्रिक तक कि पढ़ाई मुफ्त की। वहीं राज्य के सभी विभागों में हिंदी में काम करने को अनिवार्य कर दिया। कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) ने जो मुख्यमंत्री रहते काम किए, उससे उन्हें बिहार की राजनीति में मुख्य धारा में लाकर खड़ा कर दिया। देखते ही देखते कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) बिहार की राजनीति में समाजवाद का एक सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभर गए।

कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) ने ही लालू यादव और नीतीश कुमार नेताओं को तैयार किया। जानकर हैरानी होगी कि लालू यादव और नीतीश कुमार कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) के राजनीतिक छात्र रहे। कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) ने जनता पार्टी के दौर में लालू और नीतीश को राजनीति का ककहरा सिखाया। इसी क्रम में जब नीतीश कुमार ने सत्ता संभाली तो उन्होंने कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) के बताए रास्तों पर चलकर दबे कुचले, आर्थिक-सामाजिक रूप से कमजोर लोगों, पिछड़े वर्गों के हित के लिए कई कार्य किए।

हालांकि, कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) अब हमारे बीच नहीं हैं। कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) का निधन 17 फरवरी 1988 में 64 वर्ष की आयु में ही हो गया था। लेकिन, आज भी बिहार की जनता कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) के शासन को याद करती है। यही कारण है कि कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) को बिहार की राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता। आज भी कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) बिहार के पिछड़े और अति पिछड़े मतदाताओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। इसीलिए, हर राजनीतिक दल बिहार में अपने पिछड़े और दलित मतदाताओं को लुभाने के लिए कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) का नाम लेता है।
” मुझे खुशी है कि भारत ने सरकार न्याय के प्रतीक जननायक कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। खासकर ऐसे समय में जब हम उनकी जन्मशताब्दी मना रहे हैं। दलितों के उत्थान के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता और उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक और राजनीतिक ताने-बाने पर एक अमिट छाप छोड़ी है। यह पुरस्कार न केवल उनके उल्लेखनीय योगदान का सम्मान है बल्कि हमें अधिक न्यायसंगत समाज बनाने के उनके मिशन को जारी रखने के लिए भी प्रेरित करता है।”
नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।