कैसे बढ़ाए मिट्टी की उपजाऊ क्षमता…….
भारत प्राचीन काल से ही एक कृर्षि प्रधान देश रहा है। और कृर्षि क्षेत्र में मिट्टी की कितनी उपयोगिता है,इसे भी हर कोई जानता है।इसलिए मिट्टी की गुणवत्ता और उसके महत्व के बारे में लोगो को जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है।
ऐसे हुई World Soil Day मनाने की शुरूआत-
वर्ष 2002 में इंटरनेशनल यूनियन ऑफ सॉइल सांटस ने यह प्रस्ताव दिया था कि 5 दिसंबर को World Soil Day के रूप में मनाया जाए. ताकि मिट्टी की खराब होती कंडिशन के बारे में लोगो को अवेयर किया जाए। इसके बाद जून 2013 में फूड और एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन कॉन्फ्रेंस ने 68 वें संयुक्त राष्ट महासभा में World Soil Day को मनाने का आग्रह किया। असेंबली ने आखिरकार 5 दिसंबर 2014 को पहले ऑफिशियल World Soil Day के रूप में मनाने की घोषणा की. तब से हर साल 5 दिसंबर को World Soil Day मनाया जाता है।
5 दिसंबर का ही दिन इसलिए चुना गया-

World Soil Day किसी भी तारीख को मनाया जा सकता था। लेकिन 5 तारीख को हीWorld Soil Day मनाने के पीछे का तर्क है कि इसी दिन थाईलैंड के स्वर्गीय राजा एच.एम.भूमिबोल अदुल्यादेल का जन्मदिवस है। जो कि मृदा संरक्षक के मुख्य समर्थको में से एक थे।
भारत में 8 प्रकार की पाई जाती है मिट्टी-
भारत में कुल 8 प्रकार की मिट्टी पाई जाती है। जिनकी उर्वरक व उपजाउ क्षमती भी अलग- अलग है।
1 जलोढ़ मिट्टी- जलोढ़ मिट्टी वह मिट्टी होती है। जो कि बहते हुए पानीे के साथ जमा होती है। इस मिट्टी को अक्सर नदियों के किनारे में देखा जा सकता है।यह भुरभुरी और ढीली मिट्टी होती है। जिसके कण आपस में नहीं चिपकते है।
2 काली मिट्टी- काली मिट्टी को रेगुर मिट्टी भी कहा जाता है। इस मिट्टी में नाइटोजन,पोटास, और हूमस की कमी होती है। काली मिट्टी कपास की खेती के लिए अधिक उपयोगी होती है। इसलिए इसे कपास की मिटी के नाम से भी जानते है। भारत में यह मिट्टी अधिकतम महाराष्ट, मप्र, गुजरात और कर्नाटक में देखने को मिलती है।
3 लाल मिट्टी- यह मिट्टी शुष्क वातावरण के चट्टानो के टूटने से बनती है।और पानी के संपर्क में पीली दिखती है। इस मिट्टी में लोहा,चूना,एल्यम्यूनियम की अधिकता होती है।लाल मिट्टी बाजरे की फसल के लिए अधिक उपयोगी मानी जाती है।
4 जंगली मिट्टी- जंगली मिट्टी भारत के वनक्षेत्र में पाई जाती है। आपको यह मिट्टी अधिक वर्षा वाले वनों में देखने को मिल जाएगी।
5-मरू मिट्टी- धरती का अधिकांश इसी मिट्टी से बना होता है। क्योकि यह शुष्क मिट्टी होती है। रेगिस्तानी इलाको में आपको इस प्रकार की मिट्टी देखने में मिलती है।
6-लैटेराइट मिट्टी-
लैटेराइट मिट्टी लैटेराइट चट्टानो से फूटकर बनी होती है। जो कि चौरस उंची भूमियों पर मिलती है।इस मिट्टी में एल्युमिनियम, लोहा, चूना अधिक मिलता है। भारत में यह तमिलनाडू,केरल,कर्नाटक, महाराष्ट और पं.बंगाल में मिलती है।
7 नमकीन मिट्टी- नमकीन मिट्टी में नमक की मात्रा अधिक होती है। इसलिए इसे नमकीन मिट्टी कहा जाता है। हालांकि मिट्टी में नमक की मात्रा अच्छी नहीं मानी जाती है।
8 पीट मिटी- इस मिटी में फॉस्फोरस और पोटाश की मात्रा अधिक नहीं होती। इस कारण इस मिटी को जैविक मिट्टी भी कहा जाता है। यह मिट्टी उतराखंड और पं. बंगाल में पाई जाती है।
किसान का मित्र होता है, केचुआ-
आपको यह बात जान कर आश्चर्य जरूर होगा कि किसान का मित्र केचुआ को कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योकि केचुआ किसानो की खेती की मिट्टी को काटकर उसकी उपजाउ क्षमता को काफी बढ़ा देता है।इसलिए अधिकांश जगह खेतो मेें किसान केचुए को छोड़ते है।
मिट्टी का ज्ञान ,जो आपको रखे आगे-
-मिट्टी के अध्ययन को पेडोलॉजी कहा जाता है।
मृदा विज्ञान के जनक रूसी भूविज्ञानी वसीली डोकुचेव है।
2023 में World Soil Day की थीम- मिट्टी और पानी,जीवन का स्त्रोत।
World Soil Day पहली बार 5 दिसंबर 2014 को मनाया गया था।

Lokendra Singh Tanwar
लोकेन्द्र सिंह तंवर
आप मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के नागदा तहसील के रहने वाले हैं। आपने उज्जैन के विक्रम विश्विद्यालय से पत्रकारिता मास कम्युनिकेशन में एम.ए किया है। इससे पूर्व में नईदुनिया अखबार में एक वर्ष इंटरशिप किया है। जागरण,शिप्रा संदेश, दस्तक,अक्षर विश्व, हरिभूमि जैसे अखबारों में ऑथर के रूप में काम किया है। आप लोगो से मिलने ,उनके बारे में जानने, उनका साक्षात्कार करने उनके जीवन की सकारात्मक कहानी लिखने का शोक रखते हैं। साथ ही कुछ प्रोग्राम से जुड़ कर यूथ डेवलपमेंट व कम्यूनिटी डेवलोपमेन्ट पर भी काम कर रहे हैं।
आप The Hind Manch में ऑथर के रूप में जुड़े हैं।
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