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विश्व ब्रेल दिवस

हर साल 4 जनवरी को दुनियाभर में विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाता है। यह दिन नेत्रहीन लोगों के लिए बेहद खास होता है क्योंकि आज ही के दिन नेत्रहीनों के जिंदगी में रोशनी भरने वाले ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुइस ब्रेल का जन्म हुआ था। बता दें कि लुइस ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 को फ्रांस के कुप्रे में हुआ था।

👉🏻जानिए क्या है ब्रेल लिपि और नेत्रहीनों के लिए क्यो है उपयोगी-

विश्व ब्रेल दिवस
नेत्रहीनों के लिए ब्रेल लिपि

●ब्रेल लिपि एक प्रकार की लिपि है जिसका प्रयोग दृश्य-बाधितों के लिए लिखने और पढ़ने के लिए किया जाता है। इस लिपि में नेत्रहीन लोग कागज पर उभरे हुए बिंदुओं के स्पर्श के जरिए पढ़ते-लिखते हैं। इस लिपि के जरिए बुक भी लिखा जा सकता है।

●ब्रेल लिपि में हर अक्षर, नंबर, संगीत और गणितीय चिन्हों को छह बिन्दुओं के माध्यम से दर्शाया जाता है जिन्हें कई तरह से क्रमों में संयोजित किया जा सकता है और उनके ऊपर उंगलिया चलाकर पढ़ा जा सकता है।

👉🏻विश्व ब्रेल दिवस का इतिहास:-

6 नवंबर 2018 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें हर साल 4 जनवरी को ‘विश्व ब्रेल दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था। 4 जनवरी को ही लुइस ब्रेल का जन्म हुआ था।

👉🏻 ऐसे हुआ ब्रेल लिपि का आविष्कार :-

विश्व ब्रेल दिवस

फ्रांस में जन्मे लुइस ब्रेल के पिता की घोड़े की काठी बनाने की दुकान थी. परिवार में चार भाई-बहन थे, जिसमें लुइस सबसे छोटे थे. एक दिन तीन साल के लुइस दुकान में खेल रहे थे, उसी दौरान उन्होंने लेदर के टुकड़े में नुकीले औजार से छेद करना चाहा. वह औजार उनके हाथ से फिसलकर उनकी आंख में जा लगा।

इससे उनकी आंख में गंभीर चोट आई और इन्फेक्शन हो गया. धीरे-धीरे इन्फेक्शन दूसरी आंख में भी फैल गया. इस एक्सीडेंट के बाद पांच साल के होते-होते लुइस की आंखों की रोशनी पूरी तरह चली गई. इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने अपने नाम से एक राइटिंग स्टाइल बनाई जिसे आगे चल कर ब्रेल के नाम से जाना गया।

👉🏻नेत्रहीन लोगों की समस्याएं और चुनौतियां:-

विश्व ब्रेल दिवस
नेत्रहीनों के लिए ब्रेल लिपि

किसी भी नेत्रहीन के लिए, जो पूर्णतः दृष्टिहीन है अपने आसपास की जगहों को तलाशना सबसे जटिल कार्य है। आमतौर पर नेत्रहीन लोग अपने घर के आसपास के इलाकों में आसानी से आवाजाही कर सकते हैं, क्योंकि वह उस क्षेत्र से वाकिफ होते हैं। यदि आप किसी नेत्रहीन व्यक्ति के साथ रह रहे हैं तो बिना उन्हें सूचित किए ऐसी किसी भी वस्तु की स्थिति में कोई परिवर्तन न करें, जिनसे उन्हें इसे ढूंढने में दिक्कत आए।

हालांकि, बाजार और अन्य कमर्शियल जगहों पर टेकटाइल्स लगी हुई होती हैं, जिनकी मदद से नेत्रहीन अपने गंतव्य का पता लगा लेते हैं। दुर्भाग्यवश ज्यादातर जगहों पर इन टेकटाइल्स की व्यवस्था नहीं की गई है। इस स्थिति में नेत्रहीन को ऐसी जगहों पर आने जाने में एक चुनौती का सामना करना पड़ता है।

●नेत्रहीन लोगों के लिए अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए रोजगार एक बड़ी चुनौती है। ज्यादातर एंप्लॉयर नेत्रहीन लोगों के स्वभाव और उनकी कार्यक्षमता को समझ नहीं पाते हैं। ऐसे एंप्लॉयर्स को नेत्रहीन लोगों की कार्यकुशलता और क्षमता पर अविश्वास रहता है। इस वजह से अक्सर नेत्रहीन लोगों को नौकरी ढूंढने में समस्या का सामना करना पड़ता है। दफ्तर में भी उन्हें अपने सहकर्मियों कुछ समस्याएं पेश आती हैं।

 

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●सलाह:-

कई बार आप किसी दृष्टिहीन व्यक्ति को देखते ही उसकी मदद के लिए आतुर हो जाते हैं। बगैर यह जानें कि उन्हें मदद की आवश्यकता है या नहीं। यह एक स्वभाविक प्रतिक्रिया है। कुछ ऐसे भी कार्य होते हैं, जिन्हें एक दृष्टिहीन व्यक्ति स्वयं कर सकता है। ऐसे में यदि आप उनसे बिना इजाजत लिए मदद के लिए तैयार हो जाते हैं तो उनके आत्मविश्वास में कमी आती है। उन्हें ऐसा लगता है कि वो अन्य लोगों पर निर्भर हैं। अपनी दिनचर्या के कुछ कार्यों को भले ही दृष्टिहीन लोग धीरे-धीरे पूरा करें, लेकिन इसका यह मतलब नहीं की वह पूरी तरह से असमर्थ हैं।

यदि आप बिना किसी दृष्टिहीन की इजाजत के उसकी मदद के लिए तैयार हो जाते हैं तो आप कहीं न कहीं उसे स्वतंत्र रूप से उन कार्यों को पूरा करने के तरीको को सीखने से रोकते हैं। इससे उन्हें खुद से सीखने अनुभव नहीं मिलता। अंतरराष्ट्रीय ब्रेल दिवस (World Braille Day)) पर हम यही कहेंगे कि किसी भी दृष्टिहीन व्यक्ति को दूसरों पर निर्भर न बनाएं, बल्कि उन्हें खुद से सीखने का मौका जरूर दें। दृष्टिहीन व्यक्ति की मदद करने से पहले एक बार उनसे पूछें जरूर।

👉🏻पाठक का सवाल:- क्या नेत्रहीनों को भी सपने आते है??

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नेत्रहीनों के लिए ब्रेल लिपि

कितनी अजीब बात है न जो देख नही सकते वो भी सपने देखते हैं। दरअसल सपने को अपने आप ही आते हैं, वो तो किसी को भी आ सकते हैं। दरअसल जो लोग जन्म से ही अंधे होते हैं, वो लोग केवल साउंड से और अपने सेंसेज को महसूस करके सपने देख सकते हैं। लेकिन उनके सपने विजुअल नहीं होता है क्योंकि उन्होंने कभी कुछ देखा नहींं होता है, इसलिए वो सपने में विजुअल का अनुभव नहीं कर पाते हैं। लेकिन जो लोग बाद में नेत्रहीन होते हैं, वो लोग अपने सपने में विजुअल का अनुभव कर सकते हैं।

●नेत्रहीनों का सहारा होते है कुत्ते…

अधिकतर नेत्रहीन लोग अपने साथ कुत्ते को रखते हैं और उसकी मदद से ही कई कार्य करते हैं। नेत्रहीनों को रोड पर लगी लाइट नहीं दिखती और यह लाइट कुत्तों को समझाना मुश्किल होता है। ऐसे में नेत्रहीन बहुत ध्यान से कार और भीड़ की आवाजों के अनुसार चीजों को भांपते हैं। शायद यही कारण है कि नेत्रहीनों के सपने में कुत्ते का खो जाना या ट्रैफिक से जुड़े डरावने सपने ज्यादा आते हैं।

👉🏻स्टूडेंट कॉनर…

●आयु में वृद्धि होने पर मानव नेत्र में समंजन क्षमता घट जाती है इस दोष को क्या कहते है?
– जरा दृष्टि-दोष

●आकाश का रंग नीला प्रतीत क्यों होता है?
उत्तर- नीले रंग के प्रकाश के अधिक प्रकीर्णन के कारण

●एक सामान्य नेत्र के लिए निकट बिदु कितनी होती है?
उत्तर- 25 CM

●कौनसे बीमार व्यक्ति कभी नेत्रदान नहीं कर सकता हैं?
उत्तर- एड्स और मस्तिष्क रोग से पीड़ित व्यक्ति

●कौनसे बीमार व्यक्ति नेत्रदान कर सकता हैं
उत्तर- मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति

Lokendra Singh Tanwar
Auther at Hind Manch

लोकेन्द्र सिंह तंवर

आप मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के नागदा तहसील के रहने वाले हैं। आपने उज्जैन के विक्रम विश्विद्यालय से पत्रकारिता मास कम्युनिकेशन में एम.ए किया है। इससे पूर्व में नईदुनिया अखबार में एक वर्ष इंटरशिप किया है। जागरण,शिप्रा संदेश, दस्तक,अक्षर विश्व, हरिभूमि जैसे अखबारों में ऑथर के रूप में काम किया है। आप लोगो से मिलने ,उनके बारे में जानने, उनका साक्षात्कार करने उनके जीवन की सकारात्मक कहानी लिखने का शोक रखते हैं। साथ ही कुछ प्रोग्राम से जुड़ कर यूथ डेवलपमेंट व कम्यूनिटी डेवलोपमेन्ट पर भी काम कर रहे हैं।

आप  The Hind Manch में ऑथर के रूप में जुड़े हैं।

By Lokendra Singh Tanwar

लोकेन्द्र सिंह तंवर

आप मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के नागदा तहसील के रहने वाले हैं। आपने उज्जैन के विक्रम विश्विद्यालय से पत्रकारिता मास कम्युनिकेशन में एम.ए किया है। इससे पूर्व में नईदुनिया अखबार में एक वर्ष इंटरशिप किया है। जागरण,शिप्रा संदेश, दस्तक,अक्षर विश्व, हरिभूमि जैसे अखबारों में ऑथर के रूप में काम किया है। आप लोगो से मिलने ,उनके बारे में जानने, उनका साक्षात्कार करने उनके जीवन की सकारात्मक कहानी लिखने का शोक रखते हैं। साथ ही कुछ प्रोग्राम से जुड़ कर यूथ डेवलपमेंट व कम्यूनिटी डेवलोपमेन्ट पर भी काम कर रहे हैं। आप  The Hind Manch में ऑथर के रूप में जुड़े हैं।

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