>
Rambhadracharyaजानिए जगतगुरु रामभद्राचार्य जी के बारे में

जगतगुरू रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) ने राम मंदिर निर्माण में एक अहम भूमिका निभाई है।

जगतगुरु रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जी महाराज इन्हीं साधु संतों में सबसे प्रमुख हैं। जगतगुरु रामभद्राचार्य(Rambhadracharya)  वह संत हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में 441 साक्ष्य देते हुए यह साबित कर दिया कि भगवान राम अयोध्या में जन्में थे और, विवादित भूमि ही श्री रामजन्मभूमि है।

दरअसल, रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) का निवास स्थान चित्रकूट में है। जगतगुरु रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जी ने सनातन परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए काफी महत्वपूर्ण कार्य किये हैं। जगतगुरु रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जी ने नेत्रहीन होने के बाद भी श्री राम की भक्ति में अपना सारा जीवन लगा दिया। आज के समय में उनकी कारण उन्हें तुलसीदास की संज्ञा दी जाती है। जगतगुरु का कहना है की भगवान को बाहरी आंखों से नहीं आंतरिक नेत्रों से देखने की जरुरत है। उनके दिखाए रास्तों पर चलने की जरूरत है।

(Rambhadracharya
जानिए जगतगुरु रामभद्राचार्य जी के बारे में

जगतगुरु रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जी महाराज प्रख्यात विद्वान,कवि, रचनाकार, शिक्षाविद, प्रवचनकार, दर्शनिक और हिन्दू धर्म गुरु हैं। जगतगुरु रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) भगवान राम के अनन्य भक्त हैं। भारत सरकार ने जगतगुरु रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जी को पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया है। जगतगुरु रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जी को आधुनिक काल में एक कुशल ज्ञानी वक्ता, राम कथावाचक के रूप में जाना जाता है। आइये जानते हैं रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जी के बारे में उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातें

रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) का जन्म एवं उनका बचपन

प्रसिद्ध राम कथावाचक जगतगुरु रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जी का जन्म मकर संक्रांति के दिन यानी 14 जनवरी 1950 को उत्तर प्रदेश के जौनपुर शहर में हुआ था। इनका जन्म एक सर्यूपाणी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता पं. राजदेव मिश्र और इनकी माता का नाम शचीदेवी था। रामभद्राचार्य जी के बचपन का नाम गिरिधर था। क्योंकि इनकी एक बुआ थी, जो मीरा बाई की अनन्य भक्त थी। जो भगवान श्री कृष्ण की सबसे बड़ी भक्त थी। इसीलिए रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जी की बुआ ने इनका नाम गिरिधर रखा। इसी बीच रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जी की आंखों की रौशनी मात्र 3 वर्ष की आयु में चली गई। जिसके बाद उनका पालन पोषण उनकी बुआ के द्वारा ही किया गया।

Rambhadrachary
जानिए जगतगुरु रामभद्राचार्य जी के बारे में

रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जी बचपन से प्रतिभाशाली थे। इन्हें बचपन से सभी वेद पुराणों का ज्ञान होने लगा था। ऐसे में मात्र 4 वर्ष की आयु में रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जी ने कविताएं कहनी शुरू की। इसके बाद 8 वर्ष की आयु से ही रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जी ने भागवत कथा और रामकथा करने लगे। सबसे हैरानी की बात है कि जगतगुरु रामभद्राचार्य  (Rambhadracharya)  जी न तो देख सकते हैं न ही पढ़ सकते हैं।रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जी ने कभी भी ब्रेल लिपि का भी प्रयोग नहीं किया है। वे केवल बोलकर लिखते हैं और बोलकर अपनी वाणी को लिखित रूप देते हैं।

जानकारी के लिए बता दें कि जगतगुरु रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जी स्वयं नेत्रहीन हैं, ऐसे में उन्हें नेत्रहीनों और दिव्यांगों के कष्ट भली भांति जानते हैं। इसीलिए उन्होंने चित्रकूट में विश्व का पहला आवासीय विकलांग विश्विविद्यालय स्थापित किया है। इसमें विश्वविद्यालय में सभी प्रकार के विकलांग शिक्षा प्राप्त करते थे। राजकोट (गुजरात) में महाराज जी के प्रयास से सौ बिस्तरों का जयनाथ अस्पताल, बालमन्दिर, ब्लड बैंक आदि संचालित किया जा रहा है। यह भारत के लोगों के लिए गौरव का ही विषय है की जगतगुरु रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जीजैसे महापुरुषों का सानिध्य यहां की धरती को मिला है।

Rambhadrachary
जानिए जगतगुरु रामभद्राचार्य जी के बारे में

जगतगुरु रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) की शुरुआती शिक्षा-दीक्षा उनके घर पर ही हुई। रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जी के दादा जी ने उन्हें घर पर ही रामायण,  महाभारत, विश्रामसागर, सुखसागर, प्रेमसागर, ब्रजविलास आदि काव्यों के पद सुनाया करते थे। तीन वर्ष की आयु में रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) जी ने अवधी में अपनी सर्वप्रथम कविता रची और अपने दादाजी को सुनाई।

रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) को मिले सम्मान

जगतगुरु रामभद्राचार्य जी को उनकी विलक्षण प्रतिभा के लिए कई पुरस्कार एवम सम्मानों से सम्मानित किया गया है। जिनमें धर्मचक्रवर्ती,महामहोपाध्याय,श्रीचित्रकूटतुलसीपीठाधीश्वर,जगद्गुरु रामानन्दाचार्य, महाकवि, प्रस्थानत्रयीभाष्यकार सम्मान प्रमुख है

खबरों से अपडेट रहने के लिए जुड़ें :-


WhatsApp Group

Join Now

Telegram Group

Join Now

 

Rajesh Mishra
Writer at Hind Manch

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।

आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

By Rajesh Mishra

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं। आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »
error: Content is protected !!
  • Facebook
  • X (Twitter)
  • LinkedIn
  • More Networks
Copy link